कुंडली के प्रथम घर के बारे में जानिए

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कुंडली के प्रथमा भाव यानि घर का स्वामी मेष राशि है। मेष राशिका स्वामी मंगल है। मंगल व सूर्य प्रथम भाव के कारक बताए गए हैं। मंगल व सूर्य ऊर्जा व अग्नि के प्रतीक हैं। सारा ब्रहमांड भी ऊर्जा व अग्निके अधीन है। प्रथम भाव को तनु यानि तन भी कहते हैं। इससे जातक के तन यानि शरीन के बारे में विचार किया जाता है। यह लग्न भी कहलाता है। इस स्थान से व्यक्ति की शरीर यष्टि, वात-पित्त-कफ प्रकृति, त्वचा का रंग, यश-अपयश, पूर्वज, सुख-दुख, आत्मविश्वास, अहंकार, मानसिकता आदि को जाना जाता है। इस घर से यह जांचा जाता है कि इसमें कौन सा ग्रह बैठा है। यह ग्रह जातक के जीवन में क्या-क्या प्रभाव डालता है। ग्रह को देखकर पता लग जाता है कि जातक कैसा हो सकता है, उसका कद कितना होगा, उसका चेहरा कैसा होगा, रंग कैसा होगा उसकी आंखें कैसी होंगी इत्यादि। आईए आपको उदाहरण से बताते हैं। यदि गुरु यानि बृहस्पति प्रथम भाव में है तो क्या विचार करना है।
www.bhrigupandit.comप्रथम भाव का बृहस्पति सामान्यत उत्तम फल ही देता है। आप एक मनोहर व्यक्त्वि के स्वामी हैं। बलवान और दीर्घायु व्यक्ति हैं। स्पष्ट वक्ता और स्वाभिमानी हैं। स्वभाव से उदार हैं। ब्राह्मणों और देवताओं के प्रति श्रद्धा रखते हैं। दान और धर्म में भी गहरी आस्था होगी। विद्याभ्यासी और विचार पूर्वक काम करने वाले व्यक्ति हैं। आपको घूमने फिरने का खूब शौक होगा।
आध्यात्म और रहस्यमयी विद्याओं में आपकी गहरी रुचि होगी। आपका स्वभाव स्थिर होना चाहिए। आप उदार, प्रमाणिक सच बोलने वाले और न्यायप्रिय व्यक्ति हैं। आपको राजा के द्वारा मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होगी। लेकिन कभी-कभी झूठी अफवाहों के द्वारा आपको कष्ट भी होगा। आप अपने शत्रुओं के लिए विषवत कष्टकर होंगे। आपके शरीर में वात और श्लेष्मा जनित रोगों की उत्पत्ति सम्भव है।
यदि आप पुलिस, सेना या आबकारी विभाग से जुड़े  हैं तो लग्नस्थ बृहस्पति आपके लिए हानिकारक हो सकता है, विशेषकर तब जब आप घूसखोरी का काम करते हैं। इनसे बचाव जरूरी है। घमंड और व्यभिचार से भी दूर रहने की सलाह आपको दी जाती है। आप विभिन्न प्रकार के भोगों के अपना धन खर्च करेंगे। आपको स्त्री पुत्र आदि का सुख प्राप्त होगा। आपका पुत्र दीर्घायु होगा। आप स्वर्ण और रत्नों को धारण करने वाले होंगे।

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