सीता माता का परित्याग व राजा राम

सीता माता का परित्याग व व राजा राम
जब राम वन को गए तो वह राजा नहीं एक पुत्र थे, भाई थे व पति भी थे। पिता के वचन की खातिर राज छोड़ दिया। एक पल भी न लगाया और वन की तरफ चल पड़े,वह भी 14 वर्षों के लिए। सब कुछ भरत के लिए हंस कर छोड़ दिया। अब इस घटना को आज के परिपेक्ष मे देखते हैं। औरंगजेब ने अपने चारों भाइयों को मरवा दिया गद्दी के लिए, अपने पिता तक को कैद में डाल दिया। जब वह मरा तो रातों-रात दफना दिया। 2 भाई अरबों की सम्पत्ति, शराब व्यापार के किंग जायदाद को लेकर एक दूसरे को गोलियां मारी और दोनों ही मर गए। जिस सम्पत्ति के लिए सारा जीवन मेहनत की इसे पचा भी न सके। कनाडा से अपनी जमीन में हिस्सा लेने के लिए पुहंचे भाई व उसके सारे परिवार को उसके भाई ने सुपारी देकर मरवा दिया। यह इतना आसान नहीं छोडऩा और दो कपड़ों में वन को चले जाना। राम जी पिता से कह भी सकते थे आपके द्वारा दिए गए वचनों का मैं पालन करने के लिए बाध्य नहीं, मैं नहीं छोड़ता राजगद्दी। लोकिन ऐसा नहीं किया। वह पुत्र थे अपने पिता के
दिए वचन को पूरा किया। सीता माता का हरण होने पर आम मानव की तरह व्याकुल सीते-सीते कह कर वन-वन भटकते रहे। अपने प्रेम को पाने के लिए लंका तक 30 किलोमीटर का समुद्र में पुल बना दिया। यह ऐसी प्रेम गाथा है जो फिर न दोहराई जा सकी। राम-सीता में कितना प्रेम रहा होगा। इतिहास में एक भी राजा ने ऐसा न किया। आज पति-पत्नी के हजारों तलाक के केस अदालतों में धक्के खा रहे हैं। सीता माता भी व्याकुल हैं राम के बिना। उन्हें विश्वास है रामजी आएंगे और उसे मुक्त करवा लेंगे।  आज एक घटना हुई पत्नी काम से पैदल घर लौट रात को थोड़ी देर हो गई,पति ने उसके घरwww.bhrigupandit.com पहुंचते ही ऐसे लांछन लगाए कोई सुन न पाए और तलाक दे दिया। हम आज की बात नहीं हजारों साल पहले के समाज की बात, उस समाज की सोच तथा उस समाज के नियम। राजा राम ने किसी की परवाह नहीं माता सीता को साथ लाए और महारानी का दर्जा दिया। अब वह पति नहीं राजा राम थे। राजा यानि समाज के नियमों से बंधा हुआ। एक धोबी की बात नहीं,एक समाज की बात थी, नियम थे, राजा को उनपर चलना ही था। अग्नि परीक्षा सीता माता की पवित्रता का प्रमाण था। राम इंकार कर देते सीता का परित्याग करने को, राजा थे यदि कोई खिलाफ जाता तो जेल में डाल देते। राजा थे नियमों से बंधे थे, ऐसा उन्होंने नहीं किया। एक अंग को अपने से काट दिया क्योंकि राजा थे आम पुरुष नहीं समाज के कानून थे,पालन तो करना ही था। राजा राज नियमों से बंधा होता है वह गद्दी नहीं छोड़ सकता और न ही आम इंसान की तरह व्यवहार कर सकता।
आज के समाज में संविधान है नियम है इन नियमों से हर कोई बंधा है। हर देश के अपने-अपने कानून हैं। क्या सही है क्या गलत है इसका निर्णय उस देश का समाज व कानून करता है। पश्चिमी देशों में पूरी आजादी है अरब देशों में महिला अकेले बाजार, सिनेमा नहीं जा सकती। उसे नकाब से अपना चेहरा ढकना पड़ता है। ये उस देश के नियम है। इसी तरह हजारों साल पहले भी नियम थे, कानून थे।
आज कुछ लोग लोग किंतु- परंतु कहते हैं कि उनके अनुसार राम जी को ऐसा करना चाहिए था, ऐसा नहीं। यह उसी तरह है जब एक फिल्म देखकर बाहर आए दर्शक कहते हैं कि हीरो को ऐसा होना चाहिए था, ऐसा नहीं। लेकिन फिल्म निर्माता ने जो पेश किया वो कर दिया जो वह संदेश देना चाहता था उसने दे दिया। इससे उसको कोई फक्र नहीं पड़ता क्योंकि उसकी रचना लोगों के दिलों में बस गई है। अब इस रचना का विरोध करने वाले लोग उस रचना को फेल करने के लिए औछी हरकतों का भी सहारा लेते हैं ,कुछ प्रसंगों को तोड़-मरोड़ कर एक वर्ग विशेष को ऐसे पेश किया जाता है जैसे उनकी हर समस्या का मूल कारण ही यह रचना है। इसेएक नफरती,समाज से अलग करने के लिए प्रयोग किया जाता है। अंत में मर्यादा परुषोत्तम राम भारतीयों के दिलों की धड़कन है। सुनो-सुनो जी राजा राम की कहानी।
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