हिंसा व अहिंसा क्या है?


हिंसा व अहिंसा को प्राय: गलत दृष्टिकोण से देखा जाता है। इस मानव जीवन में यह सम्भव नहीं कि वह हिंसा न करे। माता के गर्भ में जाने से ेपहले करोड़ों शुक्राणु मर जाते हैं, चलते समय कई जीव मारे जाते हैं, कई अपराधियों को मृत्युदंड दे दिया जाता है, कई बम धमाकों में बिना वजह मारे जाते हैं। इस प्रकार की उदाहरण हैं।
हिंसा का अर्थ है वह हिंसा जो बिना वजह की जाए। इस हिंसा से मानव जाति को नुकसान पहुंचता है। जिस प्रकार की हिंसा आतंकवादी करते हैं। निर्दोश लोगों की हत्याएं कर देते हैं।
अहिंसा का अर्थ है कम से कम हिंसा यानि आपको पता चलता है कि एक आतंकवादी की हजारों लोगों की हत्याएं कर सकता है या और करेगा तो उसे मार देना अहिंसा कहलाएगी।
कहने का मतलब यह है कि  कुछ जगहें ऐसी हैं कि आप कुछ उगा नहीं सकते न ही कोई आपकी भूख मिटाने या जिंदा रहने का साधन उपलब्ध है तो आपको जिंदा रहने के लिए जीव हत्या करनी पड़ सकती है। अपनी खुशी के लिए,जब अन्य चीजें उपलब्ध हैं तो जीवों की हत्या करना हिंसा कहलाएगी। भगवान कृष्ण से जब अर्जुन से पूछा कि क्या इन विरोधियों को मारने से हिंसा हिंसा नहीं होगी? क्या इससे पाप नहीं लगेगा? माधव कहते हैं कि ये धर्मविरोधी आततायी आपके खिलाफ आपसे युुद्ध करने के लिए,आपकी हत्या करने के लिए खड़े हैं। इनको मारने से कोई पाप नहीं लगेगा, कोई हिंसा नहीं होगी। यदि ये लोग बच जाते हैं तो पूरी मानवता के लिए खतरा हैं,इसलिए इन्हें खत्म करना आपका क्षत्रिय धर्म है।
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