dera baba murad shah nakodar | डेरा बाबा मुराद शाह नकोदर

Image result for dera baba murad shah hindidera baba murad shah nakodar | डेरा बाबा मुराद शाह नकोदर

नकोदर में डेरा बाबा मुराद शाह की दरगाह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बन गया है। पंजाब के गायक गुरदास मान के इस डेरे के मौजूदा गद्दीनशीन साई हैं। इस डेरे की देखभाल करना और हर साल यहां मेला करवाना उनकी एक बड़ी जिम्मेदारी है। देश की आजादी से पहले से ही पंजाब में सूफी सम्प्रदाय का काफी जोर रहा है।
लगभग हर पंजाबी गायक किसी न किसी दरगाह या पीर की मजार पर जुड़ा हुआ  है। ये गायक यहां कव्वालियां या सेमी रिलीजियस सांग गाते रहते हैं। इस जगहों पर उनको अपने फन का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है और  कुछ आय भी हो जाती है। लोग यहां पर हर वीरवार को जुड़ते हैं और  यह दिन उनके लिए अपने फन का मुजाहिरा करने का अच्छा मौका होता है। आपको हर खेत व हर एक किलोमीटर के दायरे में पीर की मजार जरूर मिल जाएगी और  वहां हर साल जेठ-हाड़ के महीने में मेले लगते रहते हैं। सूफी इस्लाम का नर्म रुख होने के कारण गैर मुसलमानों यानि कि ज्यादातर हिन्दुओं के लिए आर्कषण का केन्द्र रहा है। सूफी पीरों फकीरों के प्रति उनकी विशेष तौर पर श्रद्धा रही है। कई युवक- युवतियां व नए जोड़े यहां आपको सेवा करते नजर  जाएंगे। हर साल बाबा मुराद शाह में लगने वाले मेले में लोगों की भीड़ को देखकर पता चल जाता है कि लोगों में कितनी श्रद्धा है। 

डेरे बावा मुराद शाह में संगमरमर का सुंदर काम- दरगाह में कारिगरों के द्वारा किया गया संगमरमर का सुंदर का देखते ही बनता है। सफेद पत्थर पर की गई मीनाकारी लाजवाब है। इसमें बने सुंदर फूल इसकी शोभा को अौर भी बढ़ावा देते हैं। वातावरण में अगरबत्तियों व धूफ की सुंगध वातावरण को आध्यात्मिक बना  देती है।
कैसे पहुंचे डेरे में- यह डेरा अमृतसर से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर है। अमृतसर से जालंधर को ट्रेन से फिर वहां से बस के द्वारा आसनी से डेरे में 

पहंचा जा सकता  है। जालंधर से यह दूरी महज 24 किलोमीटर है यहां लोग हर वीरवार को आते-जाते रहते हैं। लुधियाना से भी यगभग इसी तरह डेरे में पहुंचा जा सकता है। एक दम शांत इलाके में बना डेरा लोगों को मन की शांति देता है। 

BABA MURAD SHAH JI  STORY - नकोदर पीर की कहानी

सूफी डेरा बाबा मुराद शाह एक सूफ़ियाना दरबार है।  यह दरबार नकोदर, जालंधर जिला, पंजाब, भारत में स्थित है। नकोदर में इस इस डेरे पर बाबा मुराद शाह बाबा शेरे शाह का चेला बन गए थे। उस समय यहां बहुत कम आबादी थी। मुराद शाह केवल 24 साल की उम्र में  फकीर बन गए थे और  पक्के तौर पर 28 वर्ष में पक्की तरह से फकीर बनकर अपने गुरु के साथ डेरे में ही रहने लग गए थे ।
 उस समय यह एक पिछड़ा हुआ  क्षेत्र था और  यहां आबादी भी बहुत कम थी।  बाबा शेरे शाह एकांत में वास करते थे वे  चाहते थे कि कोई यहां उनके पास आकर उनकी इबादत में खलल न डाले। वह अक्सर सूफी फकीर वारिस शाह द्वारा लिखी गई किताब "हीर" पढ़ते थे।
साईं गुलाम शाह  को प्यार से लाडी शाह के नाम से भी बुलाते हैं। कुछ समय बाद बाबा मुराद शाह जी ने इस दुनिया से कूच कर दिया। इसके बाद साईं लाडी शाह जी को गद्दी दे दी गई। लोगों की मदद से साईं ने इस दरबार की देखभाल काम  करना जारी रखा और दरबार का निर्माण जारी रखा। यहां हर साल मेला लगाया जाता है। आसपास व देश-विदेश से लाखों लोग यहां हाजिरी भरने के लिए आते हैं।
इसी दौरान पंजाब के मशहूर गायक यहां आए और  लाडी शाह के भक्त बन गए।इसके बाद उनका यहां डेरे में आना-जाना बढ़ गया। लाडी शाह के दरबार में वह अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। इस प्रकार यहां लोगों का भीड़ बढ़ती गई। गुरदास मान को उनका साथ इतना भाया कि वह सदा के लिए उनके चेले बन गए। लाडी शाह गुरदास मान जी से बहुत ही स्नेह करते थे।
आज भी गुरदास मान जब भी अपने गुरु की बात सुनाते हैं तो वह भावुक हो जाते हैं। कई बार तो अपने गुरु की बात करते-करते उनकी आंखों  में आंसु भी आ  जाते हैं।
साईं लाडी शाह जी के परलोग गमन के बाद  गुरुदास मान अब साई लाडी शाह जी और बाबा मुराद शाह जी की याद में मेले का आयोजन करते हैं।
सूफी वाद को इस्लाम का साफ्ट रुप माना जाता है। लाखों हिन्दू इस्लाम के इस साफ्ट साईड से प्रभावित होकर इस्लाम की ओर आकर्षित हुए हैं। ज्यादातर हिन्दू सूफीवाद से प्रभावित होकर अघोषित तौर पर इस्लाम को अपना चुके हैं।
                                                             Ladi Shah photo Nakodar  Peer

बाबा मुराद शाह की जीवनी  (नकोदर पीर की कहानी) laddi shah nakodar history in hindi
पाकिस्तान से एक  सूफी फकीर शेरे शाह पंजाब के नकोदर शहर में आ  गया। नकोदर में एक विरान जगह को उसे चुना और वहां रहने लग गया। वह एंकात में रहता और अपनी साधना में व्यस्त रहता। वह नहीं चाहता था कि कोई उसे परेशान करे। यहां रहकर विराने में बाबा शेरे शाह अपनी इबादत में व्यस्त रहता। धीरे-धीरे लोगों को इसके बारे में पता चलने लगा और  वे यहां माथा टेकने आने लगे। history of nakodar darbar
दूसरी तरफ एक अच्छे घराने से ताल्लुक रखने वाला युवक विद्यासागर  आद्यात्मिकता की खोज में था। उसे एक मुसि्लम युवती से प्यार हो गया।
इस युवती ने इस युवक के आगे शर्त रखी कि वह मुसलमान हो जाए तो वह उसके साथ शादी कर सकती है। इसके बाद यह युवक घूमते-घूमते बाबा शेरे शाह के पास पहुंचा। शेरे शाह ने कहा कि वह मुसलमान बनना चाहता है इसलिए वह उसे मुसलमान बना देंगे। उसे वह अपना चेला बना लेंगे। इस प्रकार विद्यासागर ने अपना धर्मपरिवर्तन कर लिया और  शेरे शाह के चेले बन गए। शेरे शाह ने उनका नाम मुराद शाह रख दिया। कुछ  समय बाद मुराद शाह बाबा शेरे शाह के पास आकर ही रहने लगे। शेरे शाह उनकी हर बार परीक्षा लेते रहते और  वह हर बार परीक्षा में पास हो जाते। इस प्रकार समय बीतता रहा। अब मुराद शाह की ख्याति जोर पकड़ने लगी। शेरे शाह ने बाबा मुराद शाह को अपनी गद्दी सौंप दी। अब बाबा मुराद शाह डेरे में पक्के तौर पर रहने लगे और  लोगों का भला करने लगे। मुराद शाह को वारिश शाह की रचना हीर बहुत पसंद थी और  वह हमेशा इसे पढ़ते रहते थे।
STORY OF A BOY-
 एक बार की बात है कि एक औरत जिसके लड़के को फांसी होने वाली थी,को जेल में रोटी देने जा रही थी। बाबा मुराद शाह ने उससे पूछा कि माता तेरा बेटा तो बरी हो गया है तू किसे रोटी देने जा रही है। औररत को उऩकी बात पर भरोसा नहीं हुआ । लेकिन जब वह जेल पहुंची तो वहां उसका बेटा सचमुच बरी हो गया था। वहीं भगृपंडित को उन्होंने सफल होने का आशीर्वाद भी दिया तो वह दुनिया भर में फेमस हो गया। अाज उनके भक्त दुनिया भर में मौजूद हैं। बाबा मुराद शाह जी ने 24 साल की उम्र में फकीरी शुरू की थी तथा 28 साल की उम्र में दुनिया से चले गए थे। इसके बाद लाडी शाह जी गद्धी में बैठे और  अब गुरदास मान
को यह दर्जा मिला है। वह  आजकल दरगाह का कामकाज सम्भालते हैं और और  हर साल यहां मेला भी करवाते हैं जहां लाखों लोग आते हैं और  सेवा करते हैं।

laddi shah death reason


laddi shah death reason के बारे में कोई पुष्ट जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मत्यु हार्ट अटैक से हुई। लेकिन वहीं कोई कहता कि उनकी मृत्यु गम्भीर रहस्यमयी बीमारी से हुई है। उनके भक्त यह भी कहते हैं कि लाडी शाह ने अपनी मृत्यु के बारे में पहले ही बता दिया था और उसी दिन वे दुनिया को अलविदा कह गए। sai laddi shah ji death reasonलाडी शाह जी चेन स्मोकर थे इसलिए इससे उनके फैफड़ों व जिगर पर काफी कुप्रभाव पड़ा था। यह भी कारण हो सकता है कि उनकी मत्यु हुई हो।  भक्त यह  भी कहते हैं कि बाबा जी के शरीर पर बाबा लाडी शाह नकोदर घाव का निशान था जिसकारण उनकी मृत्यु हुई। आज भी लाडी शाह की मृत्यु एक रहस्य का कारण बनी हुई है किसी को भी नहीं पता कि उनकी मृत्यु का वास्तिवक कारण क्या था।


कैसे पहुंचे डेरे में- 
आप रेलगाड़ी द्वारा जालंधर रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाएं। यहां से आटो 10 या 15 रुपए में बस स्टैंड तक जाते हैं। आप आटो लें और  बस स्टैंड पहुंच जाएं । वहां से आप नकोदर के लिए बस ले सकते हैं। जालंधर से नकोदर की दूरी 14 किलोमीटर है। नकोदर पहुंच कर  आप बाबा मुराद शाह के लिए आटो या रिक्शा ले सकते हैं। यदि  आप सीधा बस से आ रहे हैं तो आप सीधी बस नकोदर वाली ले सकते हैं। या जालंधर बस अड्डे से नकोदर की अगली बस ले सकते हैं। बाहर से आने वाले लोगों के लिए डेरे में चाय पानी व भोजन आदि की भी सुविधा होती है। वीरवार को डेरे में बहुत रश होता है।



Note- Timings of Dera due to COVID may change.

for astrological help call or whatsapp
Call us: +91-98726-65620
E-Mail us: info@bhrigupandit.com
Website: http://www.bhrigupandit.com
FB: https://www.facebook.com/astrologer.bhrigu/
Pinterest: https://in.pinterest.com/bhrigupandit588/
Twitter: https://twitter.com/bhrigupandit588

Tags- नकोदर पीर की कहानी, बाबा मुराद शाह जी नकोदर फोटो, मुराद शाह, नकोदर पीर हिस्ट्री इन हिंदी, बाबा लाडी शाह जी नकोदर इतिहास, laddi shah death reason, बाबा लाडी शाह नकोदर घाव का निशान, बाबा मुराद शाह जी की हिस्ट्री, देरा बाबा मुराद शाह जी नकोदर nakodar, laddi shah death reason




Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal