how to do diwali puja | दीवाली पूजा कैसे करें
how to do diwali puja | दीवाली पूजा कैसे करें
दीवाली का त्यौहार हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार पूरे विश्व में उल्लास से मनाया जाता है। रात्रि को की गई दीपमाला से सारी पृथ्वी जगमगा उठती है। ऐसा लगता है कि धरती पर सितारे उतर आए हों। वैसे तो सभी हिन्दू इस रात्रि को महालक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। इस पूजा के लिए ब्राहमण को बुलाकर विधी से पूजा की जाती है। यदि किसी कारणवश ब्राहमण न मिले तो आप घर पर स्वयं भी पूजा कर सकते हैं। यदि आप विदेश में हैं और पूजा नहीं करवा सकते तो अपने नाम की पूजा करवा सकते हैं। श्री महालक्ष्मी पूजन के लिए सूर्य अस्त के बाद पूजा की जाती है। दिन में भी समयानुसार पूजा की जा सकती है। श्री महालक्ष्मी पूजन, दीपदानादि के लिए प्रदोषकाल तक आधी रात तक रहनेे वाली अमावस श्रेष्ठ होती है। यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथी का अभाव हो तो प्रदोष काल में ही दीप प्रज्जवलन, महालक्ष्मी पूजन, श्री गणेश पूजन, कुबेर आदि पूजन करने का विधान है।
कैसे मनाएं दीवाली - वैसे तो यह त्यौहार सिखों के लिए भी पवित्र है क्योंकि दीवाली वाले दिन ही गुरु जी मुगल शासक की कैद से छूट कर वापस आए थे।बौद्ध व जैनी भी इस त्यौहार को मनाते हैं । दुनिया में जहां कहीं भी हिन्दू रहते हैं वे इस त्यौहार को पूरे जोशो-खरोश से मनाते हैं। दीवाली आने से कुछ दिन पहले अपने घरों की सफाई,रंग- रोगन आदि करवाएं, नए वस्त्र खरीदें, घर में बने मंदिरों में भी सफाई करें, सुंदर भगवान के चित्र मंदिर में लगाएं, धन तेरस को कोई बर्तन खरीदें, कारिगर लोग विश्वकर्मा जी की पूजा करें, दीवाली के एक दिन बाद भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने का विधान है। अपनी समर्था के अनुसार घर में कोई नया सामान खरीद सकते हैं। बच्चों को खुश करने के लिए हल्के पटाखे, फुलझड़ी शगुन के तौर पर जरूर दें।
पूजा का सामान, मिठाइयों, धूप, दीप, अगरबत्ती के साथ घर में रात्रि को पूजा करें और इसके बाद बच्चों को प्रशाद बाटें, उन्हें अपनी देखरेख में पटाखे आदि
चलाने को दें। मंदिर पास में हो तो मंदिर में दीप जलाएं। आजकल लोग घरों को बिजली के बल्बों से घरों को सजाते हैं लेकिन पूजा घर में केवल शुद्ध तेल या घी का दीपक ही जलाएं, मोमबत्तियां आदि बाहर जला सकते हैं। आप अपने रिश्तेदारों परिचितों को दीवाली के गिफ्ट,मिठाई आदि दे सकते हैं। नए कपड़े पहने महिलाएं इस दिन अपने पूर्वजों के गहने पहन कर उनको याद कर सकती हैं।
14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे श्री राम-
इस दिन भारत के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर वापस अयोध्या आए थे। भगवान राम केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भरतवासियों व पूरे विश्व के महानायक व ऐतिहासिक पुरुष हैं। इसलिए धर्म आदि से ऊपर उठ कर उनका आगमन दिवस दीपक जलाकर अराधना करके करना चाहिए। पूजा करने के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए और उनको श्रद्धा के अनुसार उपहार मिठाई आदि देनी चाहिए। किसी भी हिन्दू को चाहे वह किसी भी गुरु को मानता हो या किसी भी सम्प्रदाय से हो इस त्यौहार को जरूर मनाना चाहिए। I
प्रदोषे दीपदान, लक्ष्मी पूजनादि विहितम ।। धर्मसिंधू
अन्येपि- कार्तिक कृष्ण पक्षं व प्रदोषे भूतदर्शयो.,
नर.प्रदोष समय दीपान् दद्यात मनोरमान्।। - तत्व चिंतामणि
वर्ष 2019 कार्तिक अमावस 27 अक्तूबर रविवार 2019 को दीवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। सायं सूर्यास्त के बाद दीवाली की पूजा की जा सकती है।
दीवाली पर महालक्ष्मी की पूजा के लिए स्नान करके पूजा सामग्री, महालक्ष्मी जी की तस्वीर या घर में बनाए गए मंदिर में पूरे परिवार के साथ पूजा की जाती है। संकल्प लेकर सभी गणपित आदि देवों, नव ग्रह आदिकी पूजा के बाद महालक्ष्मी जी की पूजा,कुबेर जी की पूजा की जाती है। आरती के बाद प्रशाद बांटा जाता है। इस प्रकार भगवान से परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की जाती है। पूजा के बाद यंत्र सिद्धी, मंत्र सिद्धी की जाती है।
दीपावली असल में 5 पर्वों का महोत्सव माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वीतीय (भाई दूज ) तक रहता है। दीपावली मां लक्ष्मी का आहवाह्न किया जाता है। आटा, हल्दी, अक्षत से अषटदल कमल बनाकर पूजा की जाती है।
आवाहन मंत्र
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलंती तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्व्ये श्रीयम । श्री शूक्तम्
पूजा का मंत्र
ओम् गं गणपतये नम. ।। लक्ष्म्यै नम.।। नमस्ते सर्वदेवानाम वरदासी हरे. प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्तवदर्चनात् ।। एरावतसमारुढ़ो वज्रहस्तोमहाबल.।
शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नम. ।
इस मंत्र से कुबेर व इन्द्र देव की पूजा करें-
कुबेराय नम., दनदाय नमस्तुभ्यम् निधिपद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद. ।।
पूजन साम्रगी में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल- पुष्पादि,धूप, दीपादि सुगंधित वस्तुएं शामिल करना चाहिए। दीपवली पूजन में
बही खाता पूजन,भी किया जाता है।
दीवाली का त्यौहार वैसे तो सभी भारतीयों को मनाना चाहिए लेकिन हर हिन्दू चाहे व किसी भी सम्प्रदाय से जुड़ा हो इसे जरूर मनाना चाहिए। दीपमाला जरूर करनी चाहिए। कुछ सैकुलर बाबे चालाकी से हिन्दुओं को इस त्यौहार से दूर करने के लिए प्रपंच रचते हैं कि दीपक आदि नहीं जलाने चाहिए। उनको इसकी बात नहीं सुननी चाहिए और पूरे जोशों खरोश से इस त्यौहार को मनाना चाहिए।
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दीवाली का त्यौहार हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार पूरे विश्व में उल्लास से मनाया जाता है। रात्रि को की गई दीपमाला से सारी पृथ्वी जगमगा उठती है। ऐसा लगता है कि धरती पर सितारे उतर आए हों। वैसे तो सभी हिन्दू इस रात्रि को महालक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। इस पूजा के लिए ब्राहमण को बुलाकर विधी से पूजा की जाती है। यदि किसी कारणवश ब्राहमण न मिले तो आप घर पर स्वयं भी पूजा कर सकते हैं। यदि आप विदेश में हैं और पूजा नहीं करवा सकते तो अपने नाम की पूजा करवा सकते हैं। श्री महालक्ष्मी पूजन के लिए सूर्य अस्त के बाद पूजा की जाती है। दिन में भी समयानुसार पूजा की जा सकती है। श्री महालक्ष्मी पूजन, दीपदानादि के लिए प्रदोषकाल तक आधी रात तक रहनेे वाली अमावस श्रेष्ठ होती है। यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथी का अभाव हो तो प्रदोष काल में ही दीप प्रज्जवलन, महालक्ष्मी पूजन, श्री गणेश पूजन, कुबेर आदि पूजन करने का विधान है।
कैसे मनाएं दीवाली - वैसे तो यह त्यौहार सिखों के लिए भी पवित्र है क्योंकि दीवाली वाले दिन ही गुरु जी मुगल शासक की कैद से छूट कर वापस आए थे।बौद्ध व जैनी भी इस त्यौहार को मनाते हैं । दुनिया में जहां कहीं भी हिन्दू रहते हैं वे इस त्यौहार को पूरे जोशो-खरोश से मनाते हैं। दीवाली आने से कुछ दिन पहले अपने घरों की सफाई,रंग- रोगन आदि करवाएं, नए वस्त्र खरीदें, घर में बने मंदिरों में भी सफाई करें, सुंदर भगवान के चित्र मंदिर में लगाएं, धन तेरस को कोई बर्तन खरीदें, कारिगर लोग विश्वकर्मा जी की पूजा करें, दीवाली के एक दिन बाद भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने का विधान है। अपनी समर्था के अनुसार घर में कोई नया सामान खरीद सकते हैं। बच्चों को खुश करने के लिए हल्के पटाखे, फुलझड़ी शगुन के तौर पर जरूर दें।
पूजा का सामान, मिठाइयों, धूप, दीप, अगरबत्ती के साथ घर में रात्रि को पूजा करें और इसके बाद बच्चों को प्रशाद बाटें, उन्हें अपनी देखरेख में पटाखे आदि
चलाने को दें। मंदिर पास में हो तो मंदिर में दीप जलाएं। आजकल लोग घरों को बिजली के बल्बों से घरों को सजाते हैं लेकिन पूजा घर में केवल शुद्ध तेल या घी का दीपक ही जलाएं, मोमबत्तियां आदि बाहर जला सकते हैं। आप अपने रिश्तेदारों परिचितों को दीवाली के गिफ्ट,मिठाई आदि दे सकते हैं। नए कपड़े पहने महिलाएं इस दिन अपने पूर्वजों के गहने पहन कर उनको याद कर सकती हैं।
14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे श्री राम-
इस दिन भारत के महानायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर वापस अयोध्या आए थे। भगवान राम केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भरतवासियों व पूरे विश्व के महानायक व ऐतिहासिक पुरुष हैं। इसलिए धर्म आदि से ऊपर उठ कर उनका आगमन दिवस दीपक जलाकर अराधना करके करना चाहिए। पूजा करने के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए और उनको श्रद्धा के अनुसार उपहार मिठाई आदि देनी चाहिए। किसी भी हिन्दू को चाहे वह किसी भी गुरु को मानता हो या किसी भी सम्प्रदाय से हो इस त्यौहार को जरूर मनाना चाहिए। I
प्रदोषे दीपदान, लक्ष्मी पूजनादि विहितम ।। धर्मसिंधू
अन्येपि- कार्तिक कृष्ण पक्षं व प्रदोषे भूतदर्शयो.,
नर.प्रदोष समय दीपान् दद्यात मनोरमान्।। - तत्व चिंतामणि
वर्ष 2019 कार्तिक अमावस 27 अक्तूबर रविवार 2019 को दीवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। सायं सूर्यास्त के बाद दीवाली की पूजा की जा सकती है।
दीवाली पर महालक्ष्मी की पूजा के लिए स्नान करके पूजा सामग्री, महालक्ष्मी जी की तस्वीर या घर में बनाए गए मंदिर में पूरे परिवार के साथ पूजा की जाती है। संकल्प लेकर सभी गणपित आदि देवों, नव ग्रह आदिकी पूजा के बाद महालक्ष्मी जी की पूजा,कुबेर जी की पूजा की जाती है। आरती के बाद प्रशाद बांटा जाता है। इस प्रकार भगवान से परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की जाती है। पूजा के बाद यंत्र सिद्धी, मंत्र सिद्धी की जाती है।
दीपावली असल में 5 पर्वों का महोत्सव माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वीतीय (भाई दूज ) तक रहता है। दीपावली मां लक्ष्मी का आहवाह्न किया जाता है। आटा, हल्दी, अक्षत से अषटदल कमल बनाकर पूजा की जाती है।
आवाहन मंत्र
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलंती तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्व्ये श्रीयम । श्री शूक्तम्
पूजा का मंत्र
ओम् गं गणपतये नम. ।। लक्ष्म्यै नम.।। नमस्ते सर्वदेवानाम वरदासी हरे. प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्तवदर्चनात् ।। एरावतसमारुढ़ो वज्रहस्तोमहाबल.।
शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नम. ।
इस मंत्र से कुबेर व इन्द्र देव की पूजा करें-
कुबेराय नम., दनदाय नमस्तुभ्यम् निधिपद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद. ।।
पूजन साम्रगी में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल- पुष्पादि,धूप, दीपादि सुगंधित वस्तुएं शामिल करना चाहिए। दीपवली पूजन में
बही खाता पूजन,भी किया जाता है।
दीवाली का त्यौहार वैसे तो सभी भारतीयों को मनाना चाहिए लेकिन हर हिन्दू चाहे व किसी भी सम्प्रदाय से जुड़ा हो इसे जरूर मनाना चाहिए। दीपमाला जरूर करनी चाहिए। कुछ सैकुलर बाबे चालाकी से हिन्दुओं को इस त्यौहार से दूर करने के लिए प्रपंच रचते हैं कि दीपक आदि नहीं जलाने चाहिए। उनको इसकी बात नहीं सुननी चाहिए और पूरे जोशों खरोश से इस त्यौहार को मनाना चाहिए।
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