शादी अग्नि के समक्ष क्यों की जाती है
शादी अग्नि के समक्ष क्यों की जाती है
मानव जब इस धरती पर आया तो वही शादी वगैहरा के बंधन में नहीं बंधता था। सभ्य भी नहीं
था। पुरुष ताकतवर था और नारि पर बल का प्रयोग करता था। जो पुरूष ताकतवर होता था वह
नारि से सम्भोग करता और बच्चे पैदा करता। स्वभाव से मानव पोलीगैमिस्ट या ज्यादा लोगों से
शारीरिक संबंध बनाने वाला था। इस प्रकार छीना-झपटी का खेल चलता रहता था।
मानव सभ्य होने पर शादी की परम्परा शुरु हुई। राजा-महाराजाओं के दौर में हरम में हजारों सुंदर महिलाएं राजा की काम वासना को शांत करने के लिए रखी जाती थीं। शादी तो होती थी लेकिन
ताकतवर पुरुष फिर भी अपनी मनमर्जी करता रहता था।
समाज में शादी को पवित्र रिश्ता माना जाने लगा, जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध इसे बताया गया।
विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग इस संबंध को मानने लगे। हिन्दू धर्म में शादी वैदिक मंत्रों, अग्नि के समक्ष होने लगी। धर्म के अनुसार अग्नि देव इस विश्व में थे और रहेंगे। इसलिए ये विटनेस
बनाए जाते हैं और वेद मंत्र ईश्वरीय वाणी होने के कारण उनका उच्चारण किया जाता है।
सात फेरे 7 जन्मों के बारे में बताते हैं और 7 वचन भी पवित्रता को पक्का करते हैं।
शादी के दौरान दूल्ह-दुल्हन भगवान का रुप धारण करते हैं। शादी एक ऐसा पवित्र बंधन है जो
जन्म-जन्मांतरों तक चलता रहता है।
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