्युद्ध भूमि में अर्जुन को भगवान उपदेश न देते तो क्या होता?

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्युद्ध भूमि में अर्जुन को भगवान उपदेश न देते तो क्या होता?
आज से हजारों साल पहले कुरूक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में कौरवों व पांडवों की सेना आमने-सामने खड़ी
थीं। कौरव अधर्म का प्रतीक व पांडव धर्म का। ऐसा नहीं था कि कौरवों में अच्छे लोग नहीं थे,भीष्म पिताहम, कृपाचार्य,द्रोणाचार्य, कर्ण आदि महारथी थे लेकिन वे सभी अधर्म के साथ
खड़े थे। युद्धक्षेत्र में पहुंचने पर अर्जुन भगवान कृष्ण जो उनके सारथी भी थे, को कहते हैं कि हे भगवन आप मेरे रथ को बीच मैदान में ले जाएं ताकि मैं अपने विरोधियों को ठीक से देख सकूं।
भगवान वैसा ही करते हैं लेकिन वहां पहुंच कर अर्जुन मोह ग्रस्त हो जाते हैं और भगवान को कहते हैं कि ये जो मेरे साथ युद्ध करने के लिए खड़े हैं मेरे सगे-सम्बंधी, मित्र, गुरुजन, भाई इत्यादि
हैं। मैं इनको मारकर पाप का भागी नहीं बनना चाहता। भगवान कहते हैं कि हे अर्जुन तुम क्षत्रिय हो और तुम्हारा कर्म है युद्ध करना और अपने शत्रुओं का नाश करना। धर्म की रक्षा के लिए लडऩा तुम्हारा कर्म व कर्तव्य भी है। इस प्रकार अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं और जीत दिलाते हैं।
           अब प्रश्न उठता है कि भगवान न होते तो अर्जुन क्या करता। अर्जुन युद्ध नहीं करता और कौरव सेना उन्हें खत्म कर देती, उन्हे पकड़ कर कारागार में डालकर यातनाएं देती या पांडव बुजदिलों की तरह किसी जगह छिप जाते। अर्जुन की अहिंसा वादी नीति अधर्म को पनपने देती और अधर्मी कौरवों का शासन होता, सत्य व न्याय की हार होती। अर्जुन सम्भवत पहले बौद्ध होते
जो अहिंसा के कारण मानवता व धर्म  का गला घोंटने की कोशिश करते। कांलांतर में भारत देश की तब-तब हानि हुई जब-जब क्षत्रियों, ब्राह्मणों,वैश्यों शूद्रों आदि ने अपने-अपने वर्णाश्रमों का
पालन करना छोड़ दिया। गौतम बुद्ध क्षत्रिय थे उन्होंने अपना क्षत्रिय धर्म छोड़ दिया व अहिंसा वादी नास्तिक हो गए। अशोक क्षत्रिय थे, वे भी अपने क्षत्रिय धर्म को छोड़कर अहिंसावादी हो गए और फिर वहीं से भारत गुलामी की तरफ बढऩे लगा। बौद्धों की अहिंसावादी नीतियों के कारण विदेशी हमलावरों ने भारतीयों को गाजर-मूली की तरह काटा। यदि उस समय लोग सनातन वैदिक परम्परा से दूर न जाते तो भारत कभी भी गुलाम न होता। आज भी तिब्बतियों को उनके
देश से चीन ने निकाल दिया, म्यांमार में बौद्धों ने क्षत्रिय धर्म का पालन किया और हथियार उठाए तो वे स्वयं को लुप्त होने से बचा पाए। आज यही लोग कहते हैं कि आप कितने भी क रुणा व दयावान हों लेकिन आप पागल कुत्ते के साथ नहीं रह सकते। वह आपको काट लेगा और आपकी मौत निश्चित है। आज भारत स्वतंत्र होने के बाद भी गुलाम है। आज भी हर किसी को अर्जुन बनकर लडऩा ही होगा तभी धर्म व सत्य की जीत हो सकती है।

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