महाशिवरात्रि पर हर भक्त करे शिव का जलाभिषेक


महाशिवरात्रि पर हर भक्त करे शिव का जलाभिषेक

भगवान शिव बहुत ही भोले हैं। सब पर प्रसन्न हो जाते हैं। इनके भक्त भी निराले होते हैं। वे विश्व में जहां कहीं भी हों अपने ईष्ट को कभी नहीं भूलते और उसकी अराधना करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में शिव भक्त उमड़ पड़ते हैं। शिवालयों में पूजा करने से पहले भक्तों को पूरी विधी से भगवान का पूजन  करना चाहिए। कुछ निषेध भी हैं जिनका पालन करना जरूरी है।
शिव को हल्दी से नहीं चढ़ानी चाहिए-
शिव को हल्दी से नहीं चढ़ानी चाहिए, चंदन का टीका या लेप करना चाहिए, शिवलिंग को छूना नहीं चाहिए, शिवालय में शांत रहना चाहिए, शिव को सफेद फूल अॢपत करने चाहिए, तांबे के लोटे में जल चढ़ाना चाहिए, स्टील के लौटे से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग को पार नहीं करना या उसकी पूरी परिक्रमा निषेध-
 शिवलिंग को पार नहीं करना या उसकी पूरी परिक्रमा निषेध है। ओम नम शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। शिवालय से बची पूजा सामग्री को किस अन्य देव को नहीं चढ़ानी चाहिए। कोशिश करें कि आप शिव मंदिर में अंत में जा जाएं यानि सभी अन्य देवों की अराधना के बाद,या फिर सबसे पहले शिव मंदिर जाने के बाद अन्य देवों की साधना बाहर से ही करें।

आप शिवरात्रि पर अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत भी रखें। यदि आप मंदिर न भी जा सकें तो आप अपने किसी परिजन या पंडित जी को कह कर अपने नाम से पूजन जरूर करवाएं क्योंकि यह पर्व बार-बार नहीं आता।

वैसे तो शिवरात्रि के दौरान दाड़ी आदि बनाना निषेध होता है लेकिन बहुत जरूरी है तो दाड़ी बना सकते हैं। शिवरात्रि के दिन तुलादान भी कर सकते हैं। शिवार्चन कैसे होता है?

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