अमेरिका की विभिन्न एजैंसियां दूसरे देशों को तोडऩे या कमजोर करने के लिए कैसे काम करती हैं

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अमेरिका की विभिन्न एजैंसियां दूसरे देशों को तोडऩे या कमजोर करने के लिए कैसे काम करती हैं
आप ताकतवर जब तक हैं जब तक दूसरा अपने को कमजोर समझता है। ताकतवर बने रहने के लिए यह जरूरी नहीं होता कि आप दूसरे
को नष्ट कर दो। बस उसे यह अहसास करवाते रहो कि वह गरीब है, कमजोर है और उसकी अपनी समस्याएं इतनी हैं कि वह उसे निपट ही नहीं सकता। उस देश को भीतर से इतना कमजोर कर दो कि हर कोई एक दूसरे से नफरत करे, गृह युद्ध की स्ेिथति बनी रहे।
भारत के मामले में अमेरिका का अपना स्वार्थ है। वह भारत को इतना ताकतवर नहीं बनने देना चाहता कि वह चीन जैसा बन जाए और इतना
कमजोर भी नहीं करना चाहता कि यह टूट जाए। अमेरिका भारत को एक बड़े बाजार की तरह देखता हैं जहां वह अपने हथियार बेच सकता
है। वह भारत को वैचारिक रूप से तोडऩे के लिए विभिन्न प्रकार की अपनी गतिविधियां जारी रखता है। अपनी युनिवर्सिटयों में राष्ट्रवादियों
को जगह नहीं देता वह उन भारतीय लोगों को मोटे वेतन देकर भर्ती करता है जो इसके एजैंडे को भारत में फैला सकें। इसके लिए कई तरह
की वैचारिक थीसिस तैयार किए जाते हैं और फिर इनको फंड देकर फैलाया जाता है। इसके लिए विभिन्न चेयर स्थापित की जाती हैं जैसे
मूल निवासी, दलित नेटवर्क, वामपंथी चेयर, संस्कृत चेयर, अम्बेदकर चेयर, आदिवासी चेयर आदि। इन चेयरों के अंतर्गत यहां भारत से
प्यार करने की बातें नहीं पढ़ाई जाती। यहां ऐेसा साहित्य, इतिहास पढ़ाया जाता है कि देश के  समुदायों में नफरत ज्यादा से ज्यादा फैलाई जाए।
इसमें ईसाई मिशनरियों का भी पूरा सहयोग लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर आजकल भारत में मूल निवासी कंसेप्ट को फैलाने के लिए
ईसाई, इस्लाम व वामपंथी हिन्दू दलितों को इस ट्रैप में लेकर नफरत फैलाई जा रही है। नफरत फैलाने के लिए मनघड़ंत इतिहास का भी सहारा
लिया गया है। संस्कृत चेयर से भी धार्मिक ग्रंथों का मनघड़ंच अनुवाद अपने एजैंडे को लागू करने के लिए किया जाता है। फारवर्ड प्रेस में
हिन्दू धर्म के प्रति इतनी निम्र घृणित बातें फैलाई जाती हैं और ये बातें वामपंथियों आदि फीड की जाती हैं। ऐसी विचारधाराएं केवल भारत के लिए ही नहीं विभिन्न देशों में थोड़ा बहुत बदलकर फीड की जाती हैं लेकिन एजैंडा वही रहता है।
यूरोप में पैनेन धर्म नामक बड़े हाथी को मिलकर ईसाई, इस्लाम व वामपंथ ने मार डाला अब ये लोग सैंकड़ों सालों से आपस में लड़ रहे हैं।
अमेरिका में जब कथित दलित ईसाई नेता  जाते हैं तो वहां ये कट्टर ईसाई की तरह प्रचार करते हैं लेकिन भारत आने पर ये लोग लिब्रल होकर
वामपंथियों,मुस्लिमों के साथ हिन्दू विरोधी अभियान में जुड़ जाते हैं। एक बात जो इनमें कामन है ये मिलकर हिन्दू धर्म पर हमला करते हैं।
देश के राज्यों में चल रही अलगाववादी साजिशों में ये लोग सक्रिय रहते हैं। चीन व पाकिस्तान भी इस मामले में पीछे नहीं है। पंजाब में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। दुश्मन अपनी गतिविधियां जारी रखता है और भारत
के हर नागरिक को उसकी चालों से जागरूक रहना है।  (मूल लेखक राजीव मल्हौत्रा, पुस्तक विखंडित भारत)

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