राहु है छाया ग्रह पर डालता है बहुत प्रभाव





राहु है छाया ग्रह पर डालता है बहुत प्रभाव
 वैसै तो हमारे जीवन हर ग्रह अपना प्रभाव डालता है। सूर्य, चंद्र, मंगल, शनि शुक्र आदि ग्रह अपना प्रभाव डालते रहते हैं। राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पडऩे वाली छाया। राहु के उपाए यदिठीक समय पर कर लिए जाएं तो परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं। व्यक्ति अच्छे व बढिय़ा निर्णय लेने लगता है। खुश रहता है और इसमें आत्मविश्वास बढ़ जाता है। नींद अच्थी आती है और अच्छे सपने आते हैं। हर समस्या का समाधान बहुत ही अच्छे तरीके से वह निकालने की क्षमता रखता है। राहू अच्छा हो तो जातक को जीवन में तरक्की मिलती है।
कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है।
राहु ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। कुंडली में राहु तीसरे, छठे व ग्यारहवें भाव में मौज़ूद हो तो शुभ फल प्रदाता हो जाता है। तीसरे भाव में स्थित राहु पराक्रम में  बढ़ोत्तरी कर देता है। ऐसा राहु छोटे भाई को भी बहुत मजबूती देता है। यदि इस भाव में बैठे राहु को मित्र या शुभ ग्रहों की दृष्टि प्राप्त हो अथवा वह स्वयं उच्च या उच्चाभिलाषी हो तो अतिशय मात्रा में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
 छठे भाव में मजबूत स्थिति में बैठा राहु शत्रु व रोग नाशक बन जाता है। यदि छ्ठे स्थान पर शुक्र अथवा गुरु आदि शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या इस स्थान पर शुक्र व राहु की युति हो तो ऐसी दशा में विशिष्ट शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसी दशा वाले जातक के शत्रु या तो होते नहीं और यदि होते हैं तो हार कर समर्पण कर देते हैं। यही नहीं ऐसा जातक शारीरिक रूप से काफी हृष्ट-पुष्ट होता है तथा बीमारी आदि समस्याएं उससे कोसों दूर होती हैं।  एकादश स्थान पर मजबूत होकर बैठा राहु भी शुभता का द्योतक है। इस स्थिति में संबंधित जातक को व्यापार-उद्योग, सट्टा-लॉटरी, शेयर बाज़ार आदि में एकाएक भारी मात्रा में लाभ प्राप्त होता है। ऐसा जातक शत्रु नाशक तो होता ही है साथ ही जीवनोव्यापार में भी सफल रहता है।

आइए अब जानते हैं कि यदि राहु कुण्डली में अशुभ स्थिति में बैठा हो तो क्या उपाय किए जाएं ताकि भावी या चल रही समस्याओं का निराकरण हो सके

1.   ओं रां राहवे नम: प्रतिदिन एक माला जपें।

2.   नौ रत्ती का गोमेद पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वा लें। शनिवार को राहु के बीज मन्त्र द्वारा अंगूठी अभिमंत्रित करके दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें।

राहु बीज मन्त्र ओम भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: (108 बार)

3.   दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

4.   पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं।

5.   सप्तधान्य का दान समय-समय पर करते रहें।

6.   एक नारियल ग्यारह साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।

7.   शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।

8.   अपने घर के नैऋत्य कोण में पीले रंग के फूल अवश्य लगाएं।

9.   तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें।

10.   ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ओम ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

इस मंत्र को विशुद्ध उच्चारण के साथ तेज स्वर में पूरी राहु की दशा के दौरान कीजिए।

 ध्यान रहे कि राहु की वक्र दृष्टि या अशुभ स्थिति इंसान को संकटापन्न कर देती है। विवेक-बुद्धि का ह्रास हो जाता है तथा ऐसी दशा में जातक निरुपाय रह जाता है। इसलिए वह स्वयं प्रयत्नहीन होकर उल्टे-बेढंगे निर्णय लेने लगता है। यहां पर पीडि़त जातक के बंधु-बांधवों को चाहिए कि यथाशक्ति उसे अवलंबन प्रदान करें तथा राहु की अशुभ दशा के आरंभ के पूर्व ही उससे बचने और निवारण के उपाय शुरू करवा दें।

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