आपके कुल व वंश पर आपका नियंत्रण क्यों नहीं है
आपके कुल व वंश पर आपका नियंत्रण क्यों नहीं है
एक तरफ महान अभिनेता अमिताब बच्चन के घर अभिषेक बच्चन का जन्म लेना और दूसरी तरफ एक गरीब की झोपड़ी में एक अन्य बच्चे का जन्म लेना। दोनों प्रकृति के लिए एक सामान्य घटनाएं हों सकती हैं, लेकिन जन्म लेने वालों के लिए यह समान्य घटना नहीं है।
अभिषेक को जन्म लेते ही अपने कुल का गौरव अपने समृद्ध माता-पिता का नाम उनकी सम्पत्ति, उनके परिजनों का प्यार अपने- आप ही मिल जाएगा। अब अभिषेक चाहें भी तो अपने को इस जन्म से मिले सम्मान से दूर नहीं कर पाएंगे। अमीर कुल में जन्म लेना चाहे उनके पूर्व कर्मों के आधार पर हो सकता है। एक बात तो तय है कि इस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। दूसरी तरफ एक गरीब के घर में पैदा हुआ बच्चा
अपने कुल के सम्मान का हकदार है। अब इस भौतिक धरातल में दोनों के कर्म तो बाद में देखे जाएंगे। अभिषेक एक समृद्ध परिवार का हिस्सा
होने के कारण या अपनी मेहनत के कारण एक पहचान बना पाया और उसकी शादी ऐश्वर्या राय से हुई। अब उस गरीब का बेटा अपने कर्मों के
हिसाब से इसके निकट भी नहीं फटक सकता लेकिन प्राकृति की नजर में दोनों एक समान हैं। प्रकृति की नजर में दोनों एक जीव हैं जो अपने-अपने स्तर पर मेहनत कर रहे हैं। जिस लड़की से इस गरीब की शादी होगी प्रकृति की नजर में वह भी ऐश्वर्या राय ही होगी।
एक धन्ना सेठ के घर में पैदा होने वाला बालक उसकी सम्पत्ति का हकदार पैदा होते ही हो जाता है। जब आपसे कोई कहता है कि हम पांच
पीढिय़ों से यह कार्य करते आ रहे हैं तो आपका विश्वास व सम्मान उस पर बढ़ जाता है। जो लोग कहते हैं कि कुल व वंश का कोई प्रभाव नहीं
पड़ता उनके लिए ये उदाहरणे काफी हैं। कुछ अपवादों में यह जरूरी नहीं कि डाकू के घर में पैदा होने वाला बालक डाकू ही बने जो लोग अपराधों के कारण दूर टापुओं पर भेज दिए गए थे उनके वंशजों ने ऐसा साम्राज्य खड़ा कर दिया कि लोग आज उनकी ईमानदारी के किस्से सुनाते हैं। केवल कर्म से चलने वाले लोग यह नहीं जानते अपने साथ व जन्म संस्कार भी लेकर चल रहे हैं। आज ब्राहम्णों व अन्य जातियों के खिलाफ बोलने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि वह जो कर रहे हैं वह भी जातिवाद का ही हिस्सा हैं। नफरत चाहे ऊंची जाति वाले करें या नीची जाति वाले करें वह नफरत ही कहलाएगी। ऊंचे लोगों को ऊंचे होने का घमंड या नीचे लोगों को पीडि़त होने की कुंठा या नफरत या ऊंचे लोगों
को इसके लिए दोषी ठहराकर नफरत फैलाना दोनों ही सभ्य समाज के लिए नुकसानदेय है।
सभ्य समाज को लोगों को अब सामने आकर अपनी समस्याओं का सकारात्मक रूप से हल निकालना होगा न कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल कर नफरत को बढ़ावा देना।
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