जाने ब्राह्मणों का गौरवमई इतिहास
जाने ब्राह्मणों का गौरवमई इतिहास
समाज के सभ्यता के मार्ग पर चलाने के लिए ब्राह्मणों का योगदान इतना है कि इसे भुलाया नहीं
जा सकता। देश व समाज पर जब भी संकट का दौर हुआ तो ब्राह्मणों ने समाज के अन्य वर्गों के साथ मिलकर इसमें तन-मन-धन से योगदान दिया। पिछले लगभग 250 सालों से ब्राह्मणों के प्रति कुछ देश द्रोही तत्व एक षडयंत्र के तहत नफरत फैला रहे हैं। यह नफरत वैसी ही है जैसी हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ चलाई थी। वे इसके भयंकर परिणामों का शिकार इसलिए हुए क्योंकि वे उसी समय एकमंच पर आकर इस नफरत का जवाब नहीं दे सके। इस नरसंहार से उन्होंने प्रेरणा ली और आज कोई भी उनकी तरफ आंख उठाकर नहीं देख सका।
भारत में ब्राह्मणों के जितने नरसंहार हुए शाहद इस पृथ्वी में किसी अन्य के न हुए हों। इतना सब कुछ झेलने के बाद भी आज ये गर्व से सीना तान कर खड़े हैं। वर्तमान का समय इनका सबसे चुनौती पूर्ण है क्योंकि समाज में इनके खिलाफ देशद्रोही नफरत फैला रहे हैं।
हम मिलकर एक इस गौरवमई इतिहास के बारे में एक 1500 पृष्ठों की पुस्तक लिख रहे हैं। इसमें
हर ब्राह्मण का सहयोग चाहिए। अपने-अपने क्षेत्रों के महान ब्राह्मण नायक-नायिकाओं के बारे
में आप हमें लिखकर भेज सकते हैं। हम इसे इस पुस्तक में जानकारी देने वाले के चित्र के साथ
प्रस्तुत करेंगे। काम बहुत मुश्किल है। अकेले व्यकित के वश में नहीं है। एक टीम के तौर पर कार्य करना है। यह पुस्तक पूरी होने के बाद अन्य वर्गों के गौरवमई इतिहास के बारे में भी लिखा जाएगा।
भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बली के अहंकार को चकनाचूर कर दिया।
भक्त प्रह्लाद को दिशा ब्राह्मण शिरोमणि देवर्षि नारद जी ने दी। नारद जी ने भक्त प्रह्लाद का
साथ दिया और हिरण्यकशिपु का वध करवाया और इस प़थ्वी को इस दैत्य के अत्याचार से मुक्त
करवाया। फिर भगवान परशुराम ने इस धरा को आतताइयों से मुक्ती दिलवाई। भगवान राम के गुरु वशिष्ट ऋषि ने राम जी को आतताइयों का नाश करने को कहा। महाप्रतापी राजा रावण ने राम जी के हाथों सदगति पाई। संदीपनी ऋषि ने भगवान कृष्ण को कंस का खात्मा करने को कहा। गुरु द्रोणाचार्य,कृपाचार्य ने कौरवों व पांडवों के शिक्षा व दीक्षा दी। सुदामा जी के पैर धोकर
भगवान ने उनका आतिथ्य किया। पराणिक इतिहास में महान ब्राह्मणों का योगदान इतना है कि इनके बिना इतिहास ही अधूरा है। आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने तो फिर से भारत में सनातन वैदिक धर्म की स्थापना की।
अफगानिस्तान व सिंध में राजा दहिर का गौरव इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया। चाण्कय ने अपने बल पर चंद्रगुप्त मौर्य से मौर्य वंश की आदारशिला रखी और भारत को एक सूत्र में पिरो दिया। चाण्कय का लिखा अर्थशास्त्र व नीतिशास्त्र आज भी प्रमाणिक है। आर्यभट्ट ने शून्य व गणित का सिद्धांत पूरे विश्व को दिया। चरक,श्रुशुतु, धन्नवंतरि, विश्वकर्मा के आयुर्वैदिक ग्रंथ,पतंजलि का योग सूत्र उस समय उपलब्ध थे जब यूरोप के लोग सभ्यता के बारे में कुछ भी नहींजानते थे। महारानी लक्ष्मीबाई के बारे में कौन नहीं जानता। यह वीरांगना अपने छोटे से बच्चे को पीठ से लगाकर घोड़े में अंग्रजों से भिड़ गई थी। अहिल्याबाई होलकर ने अंग्रेजों को तबाह करने की कसम खाई थी। बाल गंगाधर तिलक, बिपन चंद्रपाल,गोबिंद वल्लभ पंथ, रविन्द्रनाथ टैगोर, बकिम चंद्र चैटर्जी, चंद्र शेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त आदि के योगदान को कौन भुला सकता है।
सिखों के पांच प्यारों में 3 ब्राह्मण थे, कृपा दत्तजी, भाई मतिदास, भाई सतिदास, भट्ट ब्राह्मणों की
वारें व बानियां, बंदा बहादुर आदि के योगदान को कोई नहीं भला सकता। ऐसे हजारों वीर ब्रह््मणों की गाथाओं से इतिहास भरा पड़ा है। इन गाथाओं को एक पुस्तक का रूप देने के लिए समय और मेहनत की जरूरत है। हम अपेक्षा करते हैं कि ब्राह्मण इस यज्ञ पूरा करने के लिए हर सम्भव योगदान देंगे। हमें पुस्तक लिखने, इसके प्रकाशन आदि के लिए प्रचुर मात्रा में धन की भी आवश्कता पड़ेगा। कोई भी बाह्मण इसमें 10 रुपए तक से लेकर अपनी श्रद्धा व सामर्थ के अनुसार योगदान दे सकता है। हमारा पेटीएम नम्बर व वाट््, एप नम्बर है+ 91 98726 65620
Comments
Post a Comment