कैसा था 2000 साल पहले का भारत

कैसा था 2000 साल पहले का भारत
जैसा भारत आज है वैसा यह 2000 साल नहीं था। उस समय यह दुनिया का सबसे अमीर देश था और इसकी जीडीपी लगभग 25 प्रतिशत थी। आप सोच सकते हैं कि कैसा होगा हमारा देश। उस समय बेरोजगारी नाम की कोई समस्या नहीं थी। दुनिया की बेहतरीन तकनीक भारत के ही पास थी। इस समय ईसाई व इस्लाम का उदय नहीं हुआ था। हिन्दू धर्म चीन, जापान, कम्बोडिया, थाईलैंड अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। हिन्दू धर्म का यह विस्तार तलवार या आक्रमण के बल पर नहीं बल्ति अपने आप हुआ। भारत से बौद्ध पूरे एशिया में फैला। इसे फैलाने के लिए एक भी आक्रमण नहीं हुआ। आज भी ईरान (पर्शिया) , ईराक, मिस्र आदि देशों में हिन्दू धर्म व देवी-देवताओं के चिन्ह मिलते हैं। कम्बोडिया में तो दुनिया का सबसे प्राचीन हिन्दू मंदिर है। आज देखें तो हम जान सकते हैं कि हमने 80 प्रतिशत क्षेत्र को खो दिया है। ईसाई धर्म पैदा हुआ तो इससे पहले पूरे यूरोप में कोई भी ईसाई नहीं था। सभी पैगेन थे, ईसाई धर्म अरब से ही इस्लाम की तरह उठा और यूरोप
में फैला। आप इतिहास में पढ़ सकते हैं कि किस तरह क्रूसेड हुए और बेरहमी से मूल पैगेन को निर्ममता से खत्म कर दिया गया और ईसा के लगभग 100 सालों के भीतर ही यूरोप को ईसाई बना दिया गया। यह सब रक्तरंजित आकमणों से हुआ। लेकिन भारत के लिए ऐसी कोई स्थिति नहीं थी। शांति से बिना कोई आक्रमण किए हिन्दू धर्म व बौद्ध धर्म पूरे एशिया में फैला। धीरे-धीरे विदेशी हमलावरों ने हिंसा फैलाकर व हर हथकंडे अपनाकर देश को तोड़ दिया। आज भी देश भीतर से तोड़ा जा रहा है। नफरती विचारधाराओं को फैलाया जा रहा है। कोई यह कहे कि देखो हमारी एक बाजू भी नहीं है, आंख भी नहीं है, एक टांग भी नहीं है देखो फिर भी
हम जिंदा हैं। या फिर कोई कहे कि हमारी कम्पनी दीवालिया हो गई है लेकिन हमारा मार्किट में नाम तो है तो ये बातें बचकानी ही लगेंगी। इसी तरह विभिन्न तरह के हथकंडे अपना कर हिन्दू धर्म को खत्म किया जा रहा है। हम कह सकते हैं कि यह हिन्दुओं की स्लो डैथ है।
आज कश्मीर, केरल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में स्थिति बहुत ही चिंताजनक बनी हुई है। विचारक तौर पर एक वर्ग विशेष के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है। यदि पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बंगाला देश न बनता तो इस समय भारत एक इस्लामिक देश होता। https://youtu.be/Au_HvuB2IQcहिन्दू जो गर्व से कहते हैं कि देखो आज भी हम जिंदा है तो वे किसी मुगालते में न रहें कि वे आगे बढ़ रहे हैं वे धीरे-धीरे मारे या मर रहे हैं।
हजारों सालों से कहते थे कि भगवान आएगा बचाने लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि हम कृष्ण को भूल गए अर्जुन को भी भूल गए। ये कुरुक्षेत्र हमेशा से है और रहेगा। धर्म व अधर्म की जंग रहेगी और हमें सपनों से उठकर अर्जुन की तरह लडऩा होगा। यह लड़ाई वैचारिक भी होसकती है। घबराने की जरूरत नहीं है अभी भी समय है कि आपसी मतभेदों को भुलाकर एक हो जाएं तो एक सशक्त भारत का निर्माण हो सकता है।


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