बुध ग्रह क्या है, इसका जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है
बुध ग्रह क्या है, इसका जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है
नव ग्रहों का इस पृथ्वी पर बस रहे लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये नव ग्रह हैं- सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि , राहु व केतु । सूर्य नव ग्रहों का केन्द्र है। चन्द्रमा मन को प्रभावित करता है। आज हम बात बुध ग्रह की करेंगे कि इसका क्या प्रभाव होता है और इसके नेगेटिव होने पर क्या उपाय करने चाहिएं।
बुध सबसे छोटा ग्रह है तथआ सूर्य के सबसे पास ग्रह है। व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है, जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर भी अपना प्रभाव डालता है। बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च एवं मीन राशि में नीच का होता है। इसका हमारे जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है।
पौराणिक इतिहासिक चरित्रों में चंद्रमा के पुत्र हैं बुध। इनकी माता का नाम रोहिणी और वे अथर्ववेद के ज्ञाता माने गए हैं। उनका विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से हुआ। उन्हें बुध ग्रह का स्वामी माना गया है। देवों की सभा में बुध को राजकुमार कहा गया है। लाल किताब अनुसार बुध ग्रह के बुरे प्रभाव को शांत करने के लिए दुर्गा की पूजा करने की हिदायत दी गई है। यह कुंडलिनी में बारहवें स्थान के स्वामी होने के साथ ही दलाली और व्यापार के कार्यों में मदद करते हैं। कन्या और मिथुन राशि के स्वामी बुध के सूर्य, शुक्र और राहु मित्र, चंद्र शत्रु और मंगल, गुरु, शनि और केतु सम। लेकिन अकेले शुक्र के साथ बुध बैठकर बलशाली बन जाते हैं।
यदि आप पर बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है तो आपको व्यापार, दलाली, नौकरी आदि कार्यों में नुकसान उठाना पड़ेगा। आपकी सूंघने की शक्ति कमजोर हो जाएगी। समय पूर्व ही दांत खराब हो जाएंगे।
आपके मित्रों से संबंध बिगड़ जाएंगे। संभोग की शक्ति क्षीण हो जाएगी। बहन, बुआ और मौसी किसी विपत्ति में है, तो भी आपका बुध ग्रह अशुभ प्रभाव वाला माना जाएगा। इसके अलावा यदि आप तुतले बोलते हैं तो भी बुध ग्रह अशुभ माना जाएगा। व्यक्ति खुद ही अपने हाथों से बुध ग्रह को खराब कर लेता है, जैसे यदि आपने अपनी बहन, बुआ और मौसी से संबंध बिगाड़ लिए हैं तो बुध ग्रह विपरीत प्रभाव देने लगेगा। कुंडली में यदि बुध ग्रह केतु और मंगल के साथ बैठा है तो यह मंदा फल देना शुरू कर देता है। शत्रु ग्रहों से ग्रसित बुध का फल मंदा ही रहता है। ऐसे में यह उपरोक्त सभी तरह के संकट खड़े कर देता है।
आठवें भाव में बुध ग्रह शनि और चंद्र के साथ बैठा है तो पागलखाना, जेलखाना या दवाखाना किसी भी एक की यात्रा करा देता है। हालांकि बुध ग्रह को अच्छे प्रभाव देने वाला भी बनाया जा सकता है। बुध की विभिन्न भावों में स्थिति, प्रभाव व उपाय निम्नानुसार हैं-
प्रथम भाव- विनोदप्रिय, हंसमुख, सामाजिक, आजीविका से निश्चिंत, ससुराल या संतान की ओर से चिंतित।
उपाय- नशा न करें।
द्वितीय भाव- लेखन कार्य, व्यापार से आमदनी, उभरा हुआ मस्तिष्क, शत्रुओं से हानि।
उपाय- जुआ न खेलें। नाक में छेद करवाएं।
तृतीय भाव- धनी, डॉक्टर, संतान का फल उत्तम, कभी-कभी बाधाएं।
उपाय- पक्षियों की सेवा करें। दांत हमेशा साफ रखें।
चतुर्थ भाव- माता का सुख, राजकीय सम्मान धनी। उपाय- पीले कपड़े पहनें, केसर का तिलक लगाएं, स्वर्ण पहनें।
पंचम भाव- सृजनात्मक व वाणी संबंधित कार्यों में ओजस्विता, न्यायप्रियता, ज्योतिष में रुचि व प्रवीणता, अशुभ स्थिति में परिवारजनों की चिंता।
उपाय- गले में तांबे के छेद वाला गोल सिक्का धारण करें।
षष्ठम भाव- ईमानदार, उच्च श्रेणी का वक्ता, प्रबुद्ध व्याख्या, तर्कशास्त्र में निपुण, लेखन कार्य में कुशलता। उपाय- शुभ कार्य के समय लड़की, कन्या या बकरी की सेवा करें। घर का द्वार उत्तर दिशा की ओर न रखें। चांदी धारण करें।
सप्तम भाव- सलाह-मशविरा में तेज, मार्गदर्शक, कलम में तेजी, जो कि विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलने-सा प्रभाव दे। व्यापारी।
उपाय- पन्ना धारण करें।
अष्टम भाव- दांत का रोगी, बहन, बुआ इत्यादि को कोई कष्ट, बातचीत तथा स्वभाव में कर्कश।
उपाय- दुर्गा पूजा करें। मूंग साबुत का यथाशक्ति दान करें। नाक में चांदी का छल्ला धारण करें, छत पर बारिश का पानी रखें।
नवम भाव- अपने से ज्यादा परिवार की चिंता करने वाला, प्राध्यापक, 34 वर्ष के बाद पूर्ण सफलता। अशुभ राशि में होने पर हरा रंग नुकसानदायक। उपाय- लोहे की लाल रंग की गोली अपने पास रखें।
दशम भाव- नीतिगत या ठेकेदारी के कार्य में संलग्न। उपाय- शाकाहारी बनें।
एकादश भाव- उच्च कुल में विवाह। 34 वर्ष के बाद अचानक सफलता एवं उन्नति।
उपाय- बुध को और अधिक शुभ करने के लिए पीला वस्त्र, केसर का तिलक तथा स्वर्ण का उपयोग करें। गले में तांबे का पैसा धारण करें।
द्वादश भाव- व्ययकारी, रोगी, कन्या, बहन, मौसी तथा बुआ इत्यादि को कोई कष्ट संभव। उपाय- माथे पर केसर का तिलक लगाएं, कम बोलें। कुत्ता पालें, स्वर्ण धारण करें। गणेश पूजा, दुर्गा स्तुति, बुध की वस्तुओं का दान करें।
बुध के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप कर्ें।
ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।
इस तरह आप बुध का उपाय कर सकतें हैं। ग्रहों को जानने से आप अपने आप इनके बारे में जान जाओगे कि इनका क्या प्रभाव पड़ता है। यदि आप ज्योतिष अनुसार भी न मानना चाहे तो ठीक है आपको अंतरिक्ष ग्रह विज्ञान के बारे में जानने के लिए इससे अधिक रोचक सामग्री नहीं मिलेगी। आप जरा सोचें इस लेख को बार-बार पढ़ें और जाने कि किस सूक्षमता से ग्रह का अध्ययन किया गया।
आज से हजारों साल पहले कितना सूक्ष्म ज्ञान मानीशियों को होगा। उन्होंने ग्रहों की गति, संख्या, वेग, दिशा आदि का गणितिज्ञ हिसाब कैसे किया होगा। आप बाजार से पंचाग खरीद कर ऐसे ही पढ़ें तो आपको पता चल जाएगा कि किस तरह दिनमान, सूर्य उदय, सूर्य अस्त किसी भी देश का हजारों साल पहले और बाद का गणना करके निकाल दिया जाता है। किस तरह यह आपको हजारों साल बाद का सटीक बता दिया जाएगा कि कब सूर्य ग्रहण , चंद्र ग्रहण कब लगेगा।
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