बहुत ही जटिल है भृगु पद्धति से सटीक भविष्फल करना


बहुत ही जटिल है भृगु पद्धति से सटीक भविष्फल करना

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भगवान भृगु जी ने मानवता के कल्याण के लिए जो भृगुसंहिता इस धरा के प्राणियों के लिए उपलब्ध करवाई है इसके लिए हम उनके आभारी हैं। जीवन में सुख, दुख, यश-अपयश आदि सभी कुछ विधि के हाथ में है। सब कुछ उसका ही किया है। हर मानव का जीवन उसके पूर्व कर्मों के अच्छे-बुरे के आधार पर बांटा गया है। इस धरा पर मानव अपने अच्छे कर्मों, आचरण व अर्चना से ऊंचे मुकाम पर पहुंच चुका है।

भृगु पद्धति को  हिन्दू  सनातन ज्योतिष की सबसे रहस्मय शाखा माना जाता है। भृगु पद्धति तर्कसंगत न होकर दैवीय शक्ति में विश्वास और साधना के बल पर आधारित है। इस कारण से भृगु का ज्ञान हमेशा कुछ परिवारों तक ही सीमित रहा है। पंजाब के जालंधर में भृगुपंडित (होशियारपुर), वाराणसी और प्रतापगढ़, मध्यप्रदेश के सागर, उड़ीसा के गंजम और राजस्थान  में भृगु पद्धति से भविष्यवाणी करने वाले कई ज्योतिषियों के कुछ ही परिवार हैं। इसके अतिरिक्त पुणे, दरभंगा (बिहार), कुरुक्षेत्र और बेंगलुरु में भृगु संहिता की दुर्लभ प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियां संरक्षित हैं। बहुत ही जटिल है भृगु पद्धति से सटीक भविष्फल करना।

भृगु पद्धति में मुख्य रूप से तीन प्रकार से जातक को भविष्यफल दिया जाता है, पहला जातक के नाम और जन्मकुंडली के ग्रहों की ‌िस्‍थ‌ित के आधार पर उसका भृगु-पत्र निकाल कर फल कथन, दूसरा जातक के प्रश्न पूछने पर उसको एक अंक तालिका में से एक अंक का चयन करने को कहना और फिर उसके आधार पर भविष्यवाणी करना और तीसरा जातक के हाथ की रेखाओं और जन्म कुंडली के ग्रहों की स्‍िथ‌ित की गणना के आधार पर भृगु-पत्र निकाल कर भविष्वाणी करना। उपरोक्त तीनों पद्धतियों में से पहली दो का अभ्यास अधिकतर भृगु शास्त्री करते देखे गए हैं। किन्तु तीसरी पद्धति का अभ्यास बेहद कम भृगु ज्योतिषियों ने किया है।
वर्तमान में भृगुुपंडित भगवान भृगु की इस विलक्षण पद्धति का अभ्यास पिछले कई सालों से कर रहे हैं।
भृगुपंडित को विश्व मीडिया द्वारा प्रसिद्धि वर्ष 2007 में मिली जब उनकी एक भविष्वाणी के अनुसार प्रतिभादेवी पाटिल राष्ट्रपति बनी। फिर उन्होंने ओबामा के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने, नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने , डोनाल्ड ट्रम के राष्ट्रपति बनने, योगी आदित्यनाथ जी के उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बनने की यह भविष्यवाणी काफी समय पहले ही कर दी थी। भृगुपंडित  जी 20 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़कर इस पद्धति को सीखने वाराणसी व अन्य स्थानों पर गए थे और वहां से यह ग्रन्थ प्राप्त कर लगभग 30 वर्ष की आयु में अपने घर जालंधर वापिस आकर हजारों जिज्ञासुओं की भविष्यवाणियां कर चुके हैं।
 46 वर्ष के आयु पर कर चुके भृगुपंडित जी को यह काम अपने पिता जी के स्वर्गवास होने के बाद सम्भालना पड़ा। इससे पहले वह प्रतिष्ठा प्राप्त संस्थआनों में उच्च पद पर कार्य करते रहे। भृगु पंडित जी भृगु का फल कथन कहने के लिए प्रश्न दोनों पद्धतियों का इस्तेमाल करते हैं। वह जातक के हाथ और कुंडली देखकर उसकी ग्रह स्‍िथ‌ित के आधार पर कुछ अंकों को अपनी स्लेट पर लिख लेते हैं।
 बाद में जातक को भृगु के एक विशेष पत्र पर किसी एक चिन्ह पर हाथ रखने को कहते हैं। जातक के इस चिन्ह विशेष को उंगली से छूने के बाद वह वहां अंकित अंकों का अपने द्वारा ग्रह-गणना से निकले गए अंक से मिलान करते हैं। अंक मिल जाने पर उस अंक विशेष के आधार पर एक भृगु-पत्र निकाल कर जातक का फल कथन किया जाता है।

इस भृगु फल कथन में अधिकतर संस्कृत के श्लोक होते हैं जिसमे जातक के भाई-बहनों के सुख-दु:ख, माता-पिता और घर की स्‍थ‌ित‌ि, शिक्षा, विवाह, संतान, व्यवसाय आदि का सामान्य फल कथन होता है।
जातक के कोई विशेष प्रश्न पूछने पर उसका उत्तर उसके भृगु-पत्र में से दिया जाता है। किन्तु भृगु की भविष्यवाणियां साधारण फल कथन पर आधारित होती हैं जिसमें ग्रहों के गोचर के आधार पर कुछ विशेष आयु खंडों जैसे 28, 36, 42, 48, और 72 वर्ष की आयु के पूर्ण होने पर जीवन में कुछ घटनाओं के होने की भविष्यवाणी दी जाती है। यह फल-कथन बड़े ग्रहों शनि, गुरु और राहु के गोचर में  जन्मकालीन ग्रहों के ऊपर या उनसे किसी विशेष स्थान पर आने  पर आधारित होता है। पाराशरी और जैमिनी पद्धति की भांति भृगु पद्ध‌ति में दशाओं और वर्ग कुंडलियों का प्रयोग नहीं होता है इस कारण से तात्काल‌िक व‌िषयों पर सटीक फल-कथन की चाह रखने वालों को निराशा हो सकती है। लेकिन लंबे समय के ल‌िए भव‌िष्य कथन के मामले में यह पद्ध‌त‌ि काफी सटीक होती है।
इसके अलावा भृगुपंडित ने ऐश्वर्या राय, अमिताभ बच्चन, स्मृति इरानी, काजोल, विनोद खन्ना, श्रीदेवी, नार्थ ईस्ट, ममता बैनर्जी, सुभाष घई आदि कई जानी मानी हस्तियों के बारे में सटीक भविष्यबानी की है। लोगों की मदद करने वाले भृगुपंडित जी का जीवन स्तर बहुत ही सादा है।

 लोगों को महीनों पहले अपाइंटमैंट लेनी पड़ती है। लोग फोन पर ऑनलाइन भी उनसे सम्पर्क करके अपने प्रश्नों का उत्तर व जीवन का हाल व समाधान पा सकते हैं। मामूली फीस देकर लोग अपनी समस्याओं का हल उसी तरह पा लेते हैं जिस तरह उन्हें लम्बे सफर के बाद उनसे मिलने के बाद मिलता है। बहुत ही साधारण से दीखने वाले भृगुपंडित जी को नहीं पसंद की बहुत
सारे लोग उनको जाने और उनके पास अपनी


जिज्ञासा लेकर आएं। वे कहते हैं कि पर भी लोग इन्हें ढूंढ ही लेते हैं। आज उनके क्लाइंट देश विदेश में फैले हैं। भृगुपंडित को चिंता है कि उनके बाद उनकी यह धरोहर नष्ट न हो जाए। आने वाली पीढ़ी इस काम को नहीं सीखना चाहती और वह चाहती है कि विदेशों में जाकर सैटल हो और
किसी अच्छी कम्पनी में नौकरी करें जबकि विदेशी लोग इसे सीखने की जिज्ञासा प्रकट करते है।

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