एक समाज को छोटे-छोटे टुकड़ों के कैसे बांटा जाता है?

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एक समाज को छोटे-छोटे टुकड़ों के कैसे बांटा जाता है?
एक समाज व देश को भीतर से तोडऩे के लिए उसे छोटे-छोटो टुकड़ों में बांटना जरूरी होता है। इसमें हर तरह का साम, दाम, दंड व भेद आदि की सारी विधाओं का बहत ही सलीके से इस्तेमाल किया जाता है। एक भोले भाले इंसान को पता ही नहीं चलता कि कब वह इसके शिकंजे में फंस गया है। इस काम को युद्ध छेडऩे की तरह किया जाता है और इसमें ज्यादा से ज्याद धन व बल का प्रयोग होता है। 
मान लो एक बड़ा परिवार है वह अपने तरीके से चल रहा है। कुछ नाराजगियां भी हैं लेकिन वे दूर हो जाती हैं और इस परिवार के सदस्य एक साथ हैं। इतने एक पड़ोसी जो इस परिवार की एकता व प्यार को तोडऩा चाहता है तो वह परिवार की एक कड़ी पर तोडऩे का प्रयास करेगा। वह घर की असंतुष्ट बहू या बेटे को पहने धन से मदद करेगा उसका हमदर्द बनेगा और फिर भड़काने का प्रयास करेगाा। वह उसके मन में परिवार के बाकि सदस्यों के प्रति नफरत भरेगा और यह इस कद्र होगी कि यह अपने ही परिवार के सदस्य हत्या तक करने में पीछे नहीं हटेगा।
इस तरह एक परिवार टूट जाता है। पुरखों का बना बनाया व्यवसाय व प्रापर्टी औने-पौने दामों पर बिक जाती है।  दूसरों के घरों को तोडऩे वाला कभी नहीं चाहेगा कि परिवार के सदस्य एक मंच पर सभ्य सामाज की तरह बैठ कर अपनी समस्याओं का निवारण करें।
अब आ जाओ बड़े समाज की तरफ एक गांव में लोग शांति से रहते हैं। यहां हर वर्ग के लोग अपनी आजीविका कमा रहे हैं। तभी कुछ नेता टाइप लोग आते हैं। दलित व पिछड़ेपन का हवाला देकर लोगों को भड़काते हैं। नफरत इस स्तर तक फैलाई जाती है कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर हमलो कर दे। एक कृत्रिम तरह की एकता का हवाला दिया जाता है और फिर नफरत के बल पर अलग किए गए वर्ग को एकजुट करके वोट लिए जाते हैं और इस तरह समाज छोटे-छोटे टुकड़ों बांटा जाता है।
कुछ इस तरह का इतिहास व बेसलैस धार्मिक दृष्टिकोण भी फैलाए जाते हैं जिससे अपनी नफरती विचारधारा को इंजैक्ट किया जाता है।
एक सैकुलर बाबा जिसे तथाकथित सैकुलर सरकार का वरदहस्त प्राप्त होता है वह अपने शिकार को फंसाने के लिए अपना जाल फैलाता है वह वहां अपना प्रचार नहीं करता जहां लोग अपनी विचारधारा व धर्म के प्रति कट्टर हैं वह वहां अपना जाल बिछाता है जहां लोग समझते हैं कि सभी धर्म एक हैं, किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं कहना चाहिए आदि । अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए बहुसंख्यक वर्ग को तोडऩे के लिए हर तरह की टैक्टिस अपनाई जाती है। धीरे-धीरे उसका ब्रेनवाश किया जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि उसका ब्रेनवाश हो चुका है। फिर वह अपनी परम्पराओं, धार्मिक विश्वासों व संस्कृति का  विरोधी हो जाता है। वह साल में 20 बार अपने चेलों को अपने डेरे में बुलाता है और इस प्रकार वह उनकी आधी कमाई खा जाता है कि उसे  पता ही नहीं चलता कि वह अपनी मूल जड़ों से तोड़ा जा चुका है।
वह अपने समाज,धर्म व संस्कृति के बीच में रहता हुआ भी काट दिया जाता है। अब तो कुछ हिन्दुओं ने इन तथाकथित बाबाओं के पीछे लगकर अपने वेद, गीता, महाभारत व रामायण आदि ग्रंथ पढऩे  बंद कर दिए हैं और इनके स्थान पर बाबाओं के तथाकथित ग्रंथ पढऩे शुरु कर दिए हैं। इसने मनों में अन्य वर्गों के प्रति नफरत भरी रहती है और ये समझते हैं कि वे अब उच्च स्तर की अराधना कर रहे हैं और हमारा बाबा हमारा भगवान है। ऊपर से ये बहुत ही सिपरिचुअल लगते हैं जैसे ही इनसे बात करो तो ये धार्मिक ग्रंथों व देवी-देवताओं के खिलाप अश£ील व गंदी बातें अपने दिमाग से उगलना शुरू कर देते हैं। ये गीता से या वेदों से कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि ये ग्रंथ तो इनसे छुड़वा लिए जाते हैं। ये यह भी कहते हैं कि हमारा बाबा तो किसी के खिलाफ कुछ नहीं कहता और हम भी नहीं कहते। इस प्रकार अपने चेलों को भी चुनाव के दौरान वोटों के लिए प्रयोग किया जाता है। सरकारें बदलने के बाद ये बाबा भी पलटी मार देते हैं। ऊपर से धार्मिक लगने वाले ये बाबा पूरी तरह से
मीडिया, राजनीति आदि में  पैठ रखते हैं।  इसके बाद पूरी तरह से हिंसक अगगाववादी आंदोलनों को भी विदेशी फंड दिए जाते हैं। इनको हिंसा फैलाने, लोगों की हत्याएं करने के लिए पैसा दिया जाता है। देश में ऐसे कई हिंसक अलगाववादी आंदोलन चलाए जा रहे हैं। भारत सरकार की गुप्तचर एजेंसियां भी ऐसी सूचनाएं
सामने लाने में नाकाम नजर आती हैं। कश्मीर में देश का सरकारी तंत्र, गुप्तचर एजैंसियां उस समय नाकाम साबित हुए जब 5 लाख कश्मीरी हिन्दुओं को घाटी को छोडऩा पड़ा और उनके परिजनों की वहां हत्याएं हुईं। ये घटना देश के लिए एक धब्बा है। इनकी दशा के लिए ये लोग  आप भी जिम्मेदार हैं क्योंकि ये लोग हाईपर सैकुलर थे और समझ ही नहीं पाए कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ। अब देश के राष्ट्रवादियों को सोचना होगा कि ऐसा क्यों हुआ और इसे कैसे रोका जा सकता , भविष्य में ऐसा न हो इसके बारे में भी चौकस रहना होगा।

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