होली है वीरता, प्रेम,उल्लास व रंगों का त्यौहार


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होली की आप सबको बधाई हो। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें रंगों से मानव अपने जीवन में रंग भरता है। यह वीरता, प्रेम, उल्लास व रंगों का त्यौहार है, यह भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक है। किसी भी देश में रंगों से ऐसे नहीं खेला जाता जैसे भारत में खेला जाता है। अब हिन्दू विदेशों में काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। विदेशी हिन्दू इस उत्सव बहुत ही प्यार से और बहुत बड़े स्तर पर मनाते हैं। हजारों की संख्या में हिन्दू एक जगह पर एकत्र होते हैं और पूरे जोशो-खरोश से इसे मनाया जाता है।
हमारे त्यौहारों को बहुत ही चालाकी सेटार्गेट किया जाता इसमें मुख्य सूत्रधार सामने नहीं आते वे कुछ सैकुलर हिन्दुओं वामपंथियों का सहारा लेते हैं और फिर पानी बचाने,दुर्घटना होने व छेड़छाड़ आदि के मामले को लेकर मीडिया में बयान देते हैं। अभी होली से ठीक 2 दिन पहले एक ऐसी घटना का ताना बाना बुना गया और उसे मीडिया में प्रचारित किया गया। मामला था कुछ युवकों ने महिलाओं पर गुब्बारे फैंके, आरोप था कि गुब्बारों में गंदा पानी था या उससे पेशाब था। इस घटना की असलीयत में नहीं जाया गया और तुरंत चैनलों ने इसे इस तरह उछाला कि ऐसा
लग रहा था पूरे देश के हिन्दू हाथों में पेशाब से भरे गुब्बारे लेकर खड़े हैं और होली वाले दिन महिलाओं को निशाना बनाएंगे। एक भांड पत्रकार ने तो यहां तक भद्दा ट्वीट कर दिया कि हिन्दू अब महिलाओं के शील को निशाना बना रहे हैं। इस एक अजीब सी बनाई गई घटना से पूरे त्यौहार को गुंडों, माफिआओं व सुसाइड बाम्बरों जैसा प्रचारित करके फैलाया गया। इसके बाद इस घटना को विदेशी चैनलों ने विदेशों में उठाया। अब इस खबर से भारत के हिन्दुओं को तो गुस्सा आया होगा लेकिन उन्होंने इस त्यौहार को पूरे श्रद्धा से मनाया। अब विदेशों जो लोग इस त्यौहार की महानता नहीं जानते वे समझते होंगे कि शायद हिन्दू ऐसे ही होते होंगे। इससे भारत व हिन्दुओं की छवि को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश की गई। एक अरबी संस्कृति के पैरोकार ने तो यहां तक धमकी दे दी कि यदि हम पर रंग डाला गया तो परिणाम वैसे ही होंगे जैसे कश्मीर में अब हैंं,जहां हमें ईद की बधाई और दरगाहों पर माथा टेकने वालों को हमने मार भगाया और अब वहां न तो कोई होली खेलता है और नही दीवाली
मनाता है। ऐेसा हर त्यौहार को लेकर किया जा है। चलो जो भी हो अब लोग जागरूक हो गए हैं और इन भांडों को तुरंत जबाव दे देते हैं।
यह वीरता का ऐसा त्यौहार है कि सिख निहंग इसे होला मोहल्ला के नाम से आनंदपुर साहिब में मनाते हैं। वीरता से भरा यह त्यौहार वहां कई दिन
तक चलता है। दूर-दूर से सिख संगत वहां पहुंचती है और जोशो-खरोश से इसे मनाती है।
ईश्वर करे रंगों का यह त्यौहार ऐसे ही लोग मनाते रहें और भारतीय एकता व अखंडता का परिचय देते रहें।

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