इराक में आईएस आतंकियों ने 39 भारतीय 4 साल पहले मार दिए गए थे


इराक में आईएस आतंकियों ने 39 भारतीय 4 साल पहले मार दिए गए थे

इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने 39 गैर मुस्लिम भारतीयों की हत्या कर कर दी थी। इसमें 27 पंजाबी थे जिनमे 22 से ज्यादा सिख थे जो अपने परिवारों का पालन-पोषण करने के लिए ईराक गए थे। इनमें बंगलादेश व पाकिस्तान व अन्य देशों के मुस्लिम बंधक भी थे लेकिन आईएस के आतंकियों ने उन्हें मारा नहीं छोड़ दिया गया था। उस समय केन्द्र में जो भी सरकार थी उसे जरूर पता चल गया था कि 39 भारतीय इराक में मारे गए इस दुखदाई घटना को चालाकी से दबा दिया गया। यह भी कहा जाता है कि उन निर्दोशों को मारने से पहले इनके साथ अमानवीय अत्याचार किए गए। इसके अंग काट दिए गए थे और इन्हें कई दिनों तक तडफ़ाया गया था। आतंकियों की इस अमानवीय घटना को दबा दिया गया। सरकार के मंत्रियों ने भी मृतकों के परिजनों को झूठा दिलासा ही दिया। अब सबसे ज्यादा दुखदायी बात यह है किसी भी सम्पादक  ने अपने सम्पादकीय में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ या इस घटना की निंदा करने का साहस तक नहीं किया। किसी ने लिखा भी इतने नपे तुले शब्द प्रयोग किए कि पता ही नहीं लगा कि लिखा क्या है। किसी ने तो इस घटना की निंदा करने की जगह आरएसएस के खिलाफ ही लिख दिया। अब यह घटना को हुए 4 साल से ज्यादा हो गए हैं और इसको लोग भूल भी गए थे।
इस समय सरकार ने भी अपना भार कम कर लिया है और आखिर में सच को उगल ही दिया है। किसी भी भारतीय ने इस घटना की सड़कों पर उतर कर निंदा नहीं की क्योंकि ऐसा करने से वोट बैंक पर प्रभाव पड़ सकता है। जो बुद्धिजीवि हैं उन्हें तो जैसे सांप सूंघ गया है वे चैनलों पर आचार बनाना व कैंसर कैसे होता है जैसे विषयों पर भाषण दे रहे हैं। जिन घरों के चिराग बुझा दिए गए कौन उनका दुख समझेगा। हमारे देश के कुछ
लोग वहां इराक में जाकर लोगों को भोजन खिला रहे थे और आतंकी हमारे लोगों को मार रहे थे। आज किसी
भी सिख संगठन ने भी आगे आकर इस घटना का विरोध नहीं किया। सारे बुद्धिजीवी सारा दोष सरकार पर मढ़ रहे हैं जैसे भारत सरकार ने ही इनकी हत्या करवाई हो। दोगले लोग आज भगवान के चित्रों को सड़कों पर उतर कर फाड़ रहे हैं और एक स्वर्ण जाति समूह का सामूहिक नरसंहार करने की धमकी दे रहे हैं। मैं हैरान होता हूं कि इनको मीडिया नहीं दिखाता, यह सब कुछ सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रहा है। भरे मन से इराक में
जान गंवाने वाले मेरे भाइयों को अलविदा।

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