सती प्रथा को क्या अंग्रेजों ने बैन किया था?
https://youtu.be/WzgR7yTQNzY
सती प्रथा को क्या अंग्रेजों ने बैन किया था?
जिस समय अंग्रेजों का भारत में शासन था, उस समय ऐसा कुप्रचार किया गया था कि पूरे भारत में सती प्रथा जोरों पर थी। ऐसा बताया गया कि पूरे भारत में महिलाओं को सती प्रथा के नाम पर जलाया जा रहा था। उस समय यूरोप में महिलाओं को चुड़ैल करार दे दिया जाता था और इसके नाम पर लाखों महिलाओं को व्यभिचार अन्य आरोपों के चलते चुड़ैल करार देकर जिंदा जला दिया जाता था। आइए एक अगल दृष्किोण से इस घटना पर प्रकाश डालते हैं। अंग्रेजों के समय में सती प्रथा के जो केस डाकूमैंटेड हैं उनके बारे में विचार करते हैं। ऐसा कतई नहीं था कि सती प्रथा आज के भ्रूण हत्या की तरह आम थी। उस समय सती प्रथा के 3 केस राजस्थान, 2बंगाल, 1 केस यूपी में लगभग ऐसे ही केस अन्य राज्यों में पाए गए। राजस्थान में ज्यादा केस लगभग 3 थे। भारत में लगभग 20 केस पाए गए। ये केस एक वर्ष में नहीं बल्कि 50 वर्षों के डाक्यूमैंटेड हैं। ईसाई मिशनरियां बंगाल में अपना काम करना चाहती थीं। वे ईस्ट इंडिया कम्पनी पर दबाव बनाती कि उन्हें वहां काम करने का मौका दिया जाए लेकिन कम्पनी ऐसा कोई भी रिस्क लेकर अपनी आमदन को कम नहीं होने देना चाहती थी। वह अपना ध्यान सिर्फ मुनाफे की तरफ दे रही थी। लेकिन मिशनरियों ने वहां अराजकता दिखाने के लिए सती के मामलों को जोर शोर से प्रचारित करना शुरु कर दिया। इसके लिए उन्होंने वहां के कुछ लोगों को भी खरीदा जो भारत के बारे में कुप्रचार करें। आप को बता दें कि लार्ड विलियम बैंङ्क्षटग के इस पर बैन लगाने से पहले ही 10 वर्ष पूर्व देश के लोगों ने इसे बैन कर दिया था। भारत के लगभग सभी राजाओं ने इसे बंद करवा दिया था। सती प्रथा बैन लगने से पूर्व ही यह खत्म हो चुकी थी। इसे जानबूझ कर ऐसे प्रचारित किया गया जैसे कि यह आम हो। इंगलैंड की महारानी तक यह बात पहुंची तो उसने मिशनरियों को वहां काम करने की आज्ञा दे दी और इसके बाद सुधार के मान पर काम करने का इनको धर्मपरिवर्तन करने का मौका मिल गया। सारे देश में कहीं गरीबी, कहीं अनपढ़ता, कहीं महिला सशक्तिकरण,दुख दूर करने, प्रर्थना करने व भष्यिवाणियों के नाम पर आज भी मिशनरियां धड़ल्ले से काम कर रही हैं और धर्मांतरण कर रही हैं। पिछले 60 वर्षों में मिशनरियों ने इसी आधार पर उत्तर पूर्वी राज्यों में सफल होते हुए 90 प्रतिशत धर्मांतरण किया है। आप हैरान होंगे कि अंग्रेजों की तरफ से बैन होते ही कोई भी केस नहीं हुआ क्या यह सम्भव है जबकि आज हजारों महिलाओं को विभिन्न कारणों से जल दिया जाता है। क्या सिर्फ बैन लगने के तुरंत बाद कोई प्रथा खत्म हो जाती है।
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जिस समय अंग्रेजों का भारत में शासन था, उस समय ऐसा कुप्रचार किया गया था कि पूरे भारत में सती प्रथा जोरों पर थी। ऐसा बताया गया कि पूरे भारत में महिलाओं को सती प्रथा के नाम पर जलाया जा रहा था। उस समय यूरोप में महिलाओं को चुड़ैल करार दे दिया जाता था और इसके नाम पर लाखों महिलाओं को व्यभिचार अन्य आरोपों के चलते चुड़ैल करार देकर जिंदा जला दिया जाता था। आइए एक अगल दृष्किोण से इस घटना पर प्रकाश डालते हैं। अंग्रेजों के समय में सती प्रथा के जो केस डाकूमैंटेड हैं उनके बारे में विचार करते हैं। ऐसा कतई नहीं था कि सती प्रथा आज के भ्रूण हत्या की तरह आम थी। उस समय सती प्रथा के 3 केस राजस्थान, 2बंगाल, 1 केस यूपी में लगभग ऐसे ही केस अन्य राज्यों में पाए गए। राजस्थान में ज्यादा केस लगभग 3 थे। भारत में लगभग 20 केस पाए गए। ये केस एक वर्ष में नहीं बल्कि 50 वर्षों के डाक्यूमैंटेड हैं। ईसाई मिशनरियां बंगाल में अपना काम करना चाहती थीं। वे ईस्ट इंडिया कम्पनी पर दबाव बनाती कि उन्हें वहां काम करने का मौका दिया जाए लेकिन कम्पनी ऐसा कोई भी रिस्क लेकर अपनी आमदन को कम नहीं होने देना चाहती थी। वह अपना ध्यान सिर्फ मुनाफे की तरफ दे रही थी। लेकिन मिशनरियों ने वहां अराजकता दिखाने के लिए सती के मामलों को जोर शोर से प्रचारित करना शुरु कर दिया। इसके लिए उन्होंने वहां के कुछ लोगों को भी खरीदा जो भारत के बारे में कुप्रचार करें। आप को बता दें कि लार्ड विलियम बैंङ्क्षटग के इस पर बैन लगाने से पहले ही 10 वर्ष पूर्व देश के लोगों ने इसे बैन कर दिया था। भारत के लगभग सभी राजाओं ने इसे बंद करवा दिया था। सती प्रथा बैन लगने से पूर्व ही यह खत्म हो चुकी थी। इसे जानबूझ कर ऐसे प्रचारित किया गया जैसे कि यह आम हो। इंगलैंड की महारानी तक यह बात पहुंची तो उसने मिशनरियों को वहां काम करने की आज्ञा दे दी और इसके बाद सुधार के मान पर काम करने का इनको धर्मपरिवर्तन करने का मौका मिल गया। सारे देश में कहीं गरीबी, कहीं अनपढ़ता, कहीं महिला सशक्तिकरण,दुख दूर करने, प्रर्थना करने व भष्यिवाणियों के नाम पर आज भी मिशनरियां धड़ल्ले से काम कर रही हैं और धर्मांतरण कर रही हैं। पिछले 60 वर्षों में मिशनरियों ने इसी आधार पर उत्तर पूर्वी राज्यों में सफल होते हुए 90 प्रतिशत धर्मांतरण किया है। आप हैरान होंगे कि अंग्रेजों की तरफ से बैन होते ही कोई भी केस नहीं हुआ क्या यह सम्भव है जबकि आज हजारों महिलाओं को विभिन्न कारणों से जल दिया जाता है। क्या सिर्फ बैन लगने के तुरंत बाद कोई प्रथा खत्म हो जाती है।
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