ग्रह, नक्षत्र. सितारे, रत्न आदि हमारे जीवन में कैसे प्रभाव डालते हैं, जानिए
ग्रह, नक्षत्र. सितारे, रत्न आदि हमारे जीवन में कैसे प्रभाव डालते हैं, जानिए
आप सुबह क्यों उठते हैं, आपने कोई काम भी न करना हो या काम पर जाना भी न हो तो आपने यदि सारी रात अच्छी नींद ली है तो आप देर से ही ही सुबह अपने टाइम पर उठ ही जाएंगे। सूर्य देव की किरणें सभी को चेचन कर देती हैं। जैसे ही सुबह होने वाली होती है, आकाश में हत्ली दुधिया से रौशनी आने लगती है और पंछियों का चहकने शूरु हो जाते हैं और कुछ देर बाद अपने घोंसले छोड़ आकाश में उड़ाने भरनी शुरु कर देते हैं। पेड़ अपने भोजन की प्रक्रिया सूर्य देव के उगने से ही शुरु कर देते हैं और आक्सीजन छोडऩी शुरु कर देते हैं। वातावरण में तपस होनी शुरु हो जाती है। इंसान भी सूर्य को देखकर अपनी दिनचर्या शुरु कर देते हैं। धरती से पानी वाष्प बनकर उडऩा शुुरु हो जाता है। यही पानी फिर बारिश बनकर धरा को हरा भरा कर देता है। सूर्य नव ग्रहों में केन्द्र है। सारे ग्रह इसके इर्द गिर्द चक्कर लगाते रहते हैं। कहने को तो सूर्य एक पिंड मात्र या मध्यम आकार का तारा ही है लेकिन इसके प्रभाव से पृथ्वी पर कोई भी नहीं बच नहीं पाता। चाहे वह माने या न माने। सूर्य देव जीवन है इनको जल चढ़ा के आराधना करके या सिर्फ हाथ जोड़ देने से हम अपनी कृतज्ञता दिखाते हैं। जानवरों को इससे कोई लेना-देना नहीं होता। इंसान को जहां से भी कुछ मिलता है व एहसान मानता है और अपनी श्रद्धा दिखाता है। सूर्य देव के अनगिणत प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं। अब सायं को सूर्य अस्त होते ही पंछी घोंसलों में लौट जाते हैं। फिर चंद्रमा व तारे, नक्षत्र आसमान में दिखाई देने शुरु हो जाते हैं और निशाचर जागृत हो जाते हैं। वे अपने कामों पर लग जाते हैं। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी अपना प्रतयक्ष व परोक्ष असर दिखाते रहते हैं। इन प्रभावों का सूक्ष्म गणना करने से पता चल जाता है। नव ग्रह आदि इस प्रकार से मानव जीवन पर असर डालते रहते हैं। आजकल अमेरिका सहित यूरोप के देशों में घर, कार्यालय आदि वास्तु के हिसाब से बनने लगे हैं। लगभग ज्यादातर घर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ शतंरज के मैट की तरह बनने लगे हैं आप गूगल में से इसे देख सकते हैं। ग्रहों के प्रभावों व योग, मैडिटेशन, शाकाहार, वेगन, आयुर्वेद के तो लोग दीवाने हो गए हैं। इनके बिना ये नहीं रह सकते। भारतीय मनोविज्ञान, माईंड साईंस आदि के बारे में हजारों पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। ज्योतिष की गणनाओं को देख वे हैरान हैं कि कितनी सूक्ष्मता से इसका अध्ययन किया गया और पूरा जीवन ही खपा दिया गया। इसके बाद कई पीढिय़ों ने इसका अध्ययन जारी रखा। पश्चिमी जगत के लोग इसे जान कर सीखना चाहते हैं लेकिन उनके बस की यह बात नहीं है। अमेरिका,इंगलैंड,यूरोप आदि से लोग अब इन गणनाओं को करके ग्रह विज्ञान की खोजें कर रहे हैं। ज्योतिष लिखी पांडुलिपियों को पढ़कर नासा के वैज्ञानिक दिशा-निर्देेश ले रहे हैं। सभी ग्रहों के स्वभाव नासा वैज्ञानिकों ने हजारों साल पहले लिखे ज्योतिष के ग्रंथों से पहले पढ़े और फिर बाद में जांच करने पर वैसा ही पाया।
जितना लोग ज्योतिष का विरोध करते हैं यह उतना ही मजूबत होता जाता है। गणना गलत हो सकती है लेकिन फार्मूला गलत नहीं हो सकता।
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