कैसा था इस्लामिक हमलावरों के आक्रमण से पहले का पंजाब
कैसा था इस्लामिक हमलावरों के आक्रमण से पहले का पंजाब
अक्सर जब भी पंजाब की बात की जाती है तो वह उस समय की होती है जब इस्लामिक हमलावरों में इस पर आक्रमण किया और धीरे-धीरे
इसे इस्लामिक बनाया। इस्लाम के पंजाब की धरती पर पहुंचने से पंजाब में स्वर्ण युग था। इसका नाम सप्तसिंधु था और यहां 7 नदियां बहती थी। इस सप्तङ्क्षसधू की सीमाएं काबुलं कंधार, सिंध से लेकर दिल्ली तक फैली थी। यह वही धरती थी जहां सिंधू घाटी की व राखी घड़ी की सभ्यता पूरे उफान पर थी जब यूरोप व अरब के लोग खानाबदोशों की तरह घूम रहे थे। विश्व की सबसे प्राचीन तकक्षिला युनिवर्सिटी यहीं पर थी।
वेदों की रचना इसी धरा पर हुई और वेदों के श्लोक इसी धरा पर उच्चारित किए गए थे। यहां के पवित्र स्थानों पर पाणिनी ने व्याकरण दुनिया को दी। महर्षि पतंजलि ने यहीं पर योग सूत्र व आयुर्वेद का अनमोल उपहार विश्व को दिया। पूरे सप्तसिंधू की जीडीपी दुनिया में सबसे ज्यादा
यानि 16 प्रतिशत थी। कोई भी बेरोजगार नहीं। यह वही धरा थी जहां महाभारत व रामायण लिखे गए। इसी धरा पर ही महाभारत का युद्ध हुआ
था। उस समय लोगों की भाषा संस्कृत व अन्य क्षेत्रीय भाषाएं थी। 95 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की थी और कुछ आबादी बौद्ध व जैनियों की
थी। तक्षिला विश्वविद्यालय में वेद, उपनिषद , ज्योतिष, आयुर्वेद आदि की पढ़ाई होती थी। इतनी विशाल युनिवर्सिटी में दुनिया भर से छात्र
के लिए आते थे। गुप्त वंश का समय तो गोल्डन पीरियड था। इस दौरान यहां कला, साहित्य, विज्ञान, संगीत आदि हर क्षेत्र में कमाल का विकास हुआ। हिन्दू, बौद्ध व जैन हर धर्म ने हर क्षेत्र में कमाल की प्रगति की। इस्लामिक हमलावरों ने इसे पंजाब का नाम दिया जो पर्शियन शब्द से
बना है। इस सप्तसिंधू की गाथा तो इतनी है कि कहते कहते आप बूढ़े हो जाएंगे लेकिन आप इसे पूरी नहीं कर पाएंगे।
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