सावधान! जंग व नफरत का अंजाम बुरा होता है
सावधान! जंग व नफरत का अंजाम बुरा होता है
आज से लगभग 6 वर्ष पहले सीरिया से भयानक खबरें आनी शुरू गई थीं। कैसे आईएस के आतंकी निर्दोष लोगों की हत्याएं कैमरे के सामने कर रहे थे। गैर मुस्लिम बच्चों को पिंजरों में बंद करके आग लगा दी जा रही थी। महिलाओं को सैक्स गुलाम बनाकर अत्याचार हो रहे हैं जो रैंगटे खड़े कर देने वाले। यजीदी लोगों का जो नरसंहार हुआ देखकर समाज ने आंखें झुका ली। सभ्य समाज इसको देखकर आंखों में पट्टी बांध कर नहीं रख सकता। मैं देखता था कि ऐसे सैंकड़ों चित्र मीडिया व चैनलों पर दिखाए जाते थे। मैं सोचता था कि भारत के मुसलमान सड़कों पर निकलकर इनका विरोध क्यों नहीं करते। क्यों किसी भी मौलवी ने इनके खिलाफ फतवा जारी नहीं किया। क्यों सोशल मीडिया पर मुसलमानों ने इसका विरोध जताया। जहां कुछ लोग आईएस का झंडा लेकर विरोध करते थे तो मुसलमान आयतों का बहाना बनाकर विरोध करने वालों पर हमला बोल देते थे। सारे सभ्य देश कह रहे थे इन लोगों को रोको। मानवता का इस तरह विनाश न करने दो। आतंक का हर हाल में विरोध करो लेकिन कोई आवाज कहीं से भी सुनने को नहीं मिली। कश्मीर, जेएनयू, केरल, कर्नाटक,उड़ीसा से की युवा आईएस में भर्ती हो गए। वैसे भारतीयों के लिए ऐसे अत्याचार कोई नए नहीं है। पिछले 1200 सालों में उनपर मुगलों व अन्य विदेशी हमलावरों ने बहुत अत्याचार किए।
आज रूस,अमेरिका के लगातार हमलों में आईएस की कमर टूट गई है और वे अब रिहायशी इलाकों में घुस कर अपनी जान बचा रहे हैं। उनपर की गई बमबारी में निर्दोश नागरिक भी मारे जा रहे हैं। जंग जब होती है तो यह नहीं देखा जाता कि कौन मरता है,बस मारा जाता है।
हिंसा करेंगे तो फूल नहीं बरसेंगे बम ही बरसेंगे। यह एक बच्चे को भी पता है। आज सोशल मीडिया पर मुसलमान इन लोगों की तस्वीरें शेयर करते लानते डाल रहे हैं। काश उस समय आतंकी शांति का रास्ता अपना लेते तो ये दिन न देखने पड़ते। आज समाज के लोगों को जानना होगा कि हिंसा से कुछ नहीं हासिल होने वाला सिर्फ मौत और निर्दोश लोगों की मौत। आज हमें सीखना होगा कि जीओ और जीने दो, किसी से भी नफरत नहीं, प्रेम व मानवता सबसे बड़ा धर्म है। रास्ता आपने चुनना है पछताने से पहले चुन लो तो मानवता बच सकती है।
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