चौघडिय़ों में भी आप कर सकते हैं शुभ काम
चौघडिय़ों में भी आप कर सकते हैं शुभ काम
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आपको अचानक कोई शुभ काम आ पड़ा हो और इस समय कोई मुहूत्र्त भी न हो। आपको काम भी करवाना है और यह आपके लिए बहुत ही जरूरी है। आप चाहते हैं कि यह काम हो जाए। यदि आपको लम्बी यात्रा में जाना पड़ गया हो और इस समय आपको कोई मुहूत्र्त भी न हो तो आपको चौधडिय़ों का सहारा लेना पड़ता है। अचानक से कोई भी यात्रा या कोई भी काम आ जाये और शुभ मुहुत्र्त भी न हो उस समय तो आप इस अवसर के लिए चौघडिय़ों का प्रयोग सकते हैं। वर्तमान में चौघडिय़ों का महत्व बढ़ गया है, इसके अंतर्गत समय को रोग, उद्धोग, चर, लाभ, अमृत, काल, शुभ, चाल आदि में बांटा जाता है। चौघडिय़ां मुहूत्र्त सूर्योदय पर आधारित है। हर शहर के लिए इसके समय में बदलाव आता रहता है। इसका कारण यह है कि हर प्रदेश व विदेश के शहर में सूर्योदय का समय अलग-अलग होता है इसलिए उस शहर की चौघडिय़ां भी अलग-अलग समय में होती हैं। दिन रात का चौघडिया पता करने का तरीका यह है कि चौघडिय़ां में 24 घण्टों को 16 घटियों में बांटां जाता है। एक घटी घड़ी लगभग 22 मिनट 20 सैकेन्ड की होती है। एक मुहूर्त में चार घटियां घडिय़ां ली जाती है। चार घटियों से ही इसका नाम चौघड़ी पड़ा है। इस प्रकार के 08 मुहूर्त दिन में तथा 08 मुहूर्त रात्रि में आते हैं। इसमें प्रत्येक मुहुर्त लगभग 1.30 घण्टे का होता है। यह मुहूर्त निकालने का सबसे आसान तरीका है। प्रत्येक सप्ताह में दिनरात्रि के मिलाकर कुल 112 मुहूर्त बनते हैं। मंगलवार के दिन - रोग, उद्दोग, चर, लाभ, अम्रत, काल, शुभ इस क्रम में ये मुहूर्त आते हैं। ये सात प्रकार के होते हैं। इन मुहूर्त का प्रयोग, दिन -रात्रि में पूजा का शुभ समय जानने के लिये किया जाता है। विशेष उद्धेश्य के लिये यात्रा का आरम्भ करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक समारोह व उत्सव मनाने के लिये भी चौघडिया का प्रयोग होने के कारण आज यह विशेष मूहूर्तों की श्रेणी में आ गया है।
चौघडिया मुहूर्त में सबसे अधिक अमृत, लाभ, शुभ, चर को मध्यम स्तर तक अशुभ माना जाता है। तथा उद्धोग, रोग व काल को अशुभ माना जाता है। इसमें भी अमृ्त समय में पूजा, समारोह करना विशेष शुभता देता है। लाभ समय में क्रय-विक्रय के कार्य, तथा गतिशील वस्तुओं को क्रय करने के लिये चर व शुभ मुहुर्त को प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रोग समय में यात्रा आरम्भ करना इसके नाम के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।
शुभ समय चौघडिया शुभ, चार, अमृत और लाभ हैं
अशुभ समय चौघडिया उद्वेग, रोग और काल का होता है इसको छोड़ देना चाहिए।
आपको जिस दिन का चौघडिय़ां जाननी हो आप उस दिन का पंचांग आप देख लें वहां चौघडिया का वर्णन कियागया होता है। अब आपको पता चल ही गया होगा कि चौघडिय़ां क्या होती हैं और इनके अनुसार शुभ कार्य
या कामकाज, यात्रा आदि की जा सकती हैं। वैसे तो आप अपनी सुविधा के अनुसार निर्यण करने के स्वतंत्र होते हैं। पंचाग उद्देश्य जीवन को सही ढंग से जीने का है। आपको किसी भी कार्य पंचाग अनुसार करने पर बाध्य नहीं करते। यह आपकी इच्छा पर है कि आपने किस प्रकार अपने निर्णय लेने हैं।
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आपको अचानक कोई शुभ काम आ पड़ा हो और इस समय कोई मुहूत्र्त भी न हो। आपको काम भी करवाना है और यह आपके लिए बहुत ही जरूरी है। आप चाहते हैं कि यह काम हो जाए। यदि आपको लम्बी यात्रा में जाना पड़ गया हो और इस समय आपको कोई मुहूत्र्त भी न हो तो आपको चौधडिय़ों का सहारा लेना पड़ता है। अचानक से कोई भी यात्रा या कोई भी काम आ जाये और शुभ मुहुत्र्त भी न हो उस समय तो आप इस अवसर के लिए चौघडिय़ों का प्रयोग सकते हैं। वर्तमान में चौघडिय़ों का महत्व बढ़ गया है, इसके अंतर्गत समय को रोग, उद्धोग, चर, लाभ, अमृत, काल, शुभ, चाल आदि में बांटा जाता है। चौघडिय़ां मुहूत्र्त सूर्योदय पर आधारित है। हर शहर के लिए इसके समय में बदलाव आता रहता है। इसका कारण यह है कि हर प्रदेश व विदेश के शहर में सूर्योदय का समय अलग-अलग होता है इसलिए उस शहर की चौघडिय़ां भी अलग-अलग समय में होती हैं। दिन रात का चौघडिया पता करने का तरीका यह है कि चौघडिय़ां में 24 घण्टों को 16 घटियों में बांटां जाता है। एक घटी घड़ी लगभग 22 मिनट 20 सैकेन्ड की होती है। एक मुहूर्त में चार घटियां घडिय़ां ली जाती है। चार घटियों से ही इसका नाम चौघड़ी पड़ा है। इस प्रकार के 08 मुहूर्त दिन में तथा 08 मुहूर्त रात्रि में आते हैं। इसमें प्रत्येक मुहुर्त लगभग 1.30 घण्टे का होता है। यह मुहूर्त निकालने का सबसे आसान तरीका है। प्रत्येक सप्ताह में दिनरात्रि के मिलाकर कुल 112 मुहूर्त बनते हैं। मंगलवार के दिन - रोग, उद्दोग, चर, लाभ, अम्रत, काल, शुभ इस क्रम में ये मुहूर्त आते हैं। ये सात प्रकार के होते हैं। इन मुहूर्त का प्रयोग, दिन -रात्रि में पूजा का शुभ समय जानने के लिये किया जाता है। विशेष उद्धेश्य के लिये यात्रा का आरम्भ करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक समारोह व उत्सव मनाने के लिये भी चौघडिया का प्रयोग होने के कारण आज यह विशेष मूहूर्तों की श्रेणी में आ गया है।
चौघडिया मुहूर्त में सबसे अधिक अमृत, लाभ, शुभ, चर को मध्यम स्तर तक अशुभ माना जाता है। तथा उद्धोग, रोग व काल को अशुभ माना जाता है। इसमें भी अमृ्त समय में पूजा, समारोह करना विशेष शुभता देता है। लाभ समय में क्रय-विक्रय के कार्य, तथा गतिशील वस्तुओं को क्रय करने के लिये चर व शुभ मुहुर्त को प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रोग समय में यात्रा आरम्भ करना इसके नाम के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।
शुभ समय चौघडिया शुभ, चार, अमृत और लाभ हैं
अशुभ समय चौघडिया उद्वेग, रोग और काल का होता है इसको छोड़ देना चाहिए।
आपको जिस दिन का चौघडिय़ां जाननी हो आप उस दिन का पंचांग आप देख लें वहां चौघडिया का वर्णन कियागया होता है। अब आपको पता चल ही गया होगा कि चौघडिय़ां क्या होती हैं और इनके अनुसार शुभ कार्य
या कामकाज, यात्रा आदि की जा सकती हैं। वैसे तो आप अपनी सुविधा के अनुसार निर्यण करने के स्वतंत्र होते हैं। पंचाग उद्देश्य जीवन को सही ढंग से जीने का है। आपको किसी भी कार्य पंचाग अनुसार करने पर बाध्य नहीं करते। यह आपकी इच्छा पर है कि आपने किस प्रकार अपने निर्णय लेने हैं।
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