मंदिरों में सुचारु व्यवस्था व प्रबंधन कैसा हो
मंदिरों में सुचारु व्यवस्था व प्रबंधन कैसा हो
मंदिरों में अक्सर जाने वाले भक्तों शिकायतें आती रहती हैं कि वहां प्रबंध सुचारु नहीं होते और भक्तों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा जाता। इससे उनकेे मनों को ठेस पहुंचती है। मंदिरों में राजनीतिक दखअंदाजी, गुटबाजी अक्सर हावी रहती है। प्रबंधक कमेटी के लोग इतने प्रशिक्षित नहीं होते कि उन्हें नहीं पता होता कि मंदिर में आए भक्तों से किस तरह का व्यवहार करना है। अब नए मंदिरों की कमेटियों में पढ़े लिखे लोग आने से हालात कुछ सुधरने शुरू हो गए हैं। ये लोग विभिन्न मंदिरों का दौरा करते रहते हैं और तालमेल भी रखते हैं। अच्छी व्यवस्था अपनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी ये लोग इसाइसों जैसी कम्पनी व्यवस्था लाने में अभी बहुत पीछे हैं।
मंदिर के पंडित जी को इतना कम वेतन मिलता है कि इसमें उसका गुजारा होना मुश्किल होता है। यदि वह अपने तौर पर यजमानों के काम पूजा आदि न करे तो वह अपने परिवार पालन-पोषण ही न कर सके। इसलिए ये पूरी तरह से यजमानों पर ही निर्भर होते हैं। प्रंबधक कमेटी के सदस्यों का व्यवहार भी ठीक नहीं होता वे उन्हे वह आदर नहीं देते जैसा पादरी, मुल्ला आदि को मिलता है। हर कार्य की शुरुआत में किस तरह पादरी का स्वागत होता है उसे कितना वेतन मिलता है, कितनी सुविधाएं मिलती हैं इस मुकाबले में मंदिर के पुजारी कहीं भी टिक नहीं पाते।
मंदिर कमेटी के सदस्य व पंडित इस काम की ओर बिलकुल ध्यान नहीं देते कि जो लोग हिन्दू धर्म को अपनाना चाहते हैं उनको कैसे दीक्षित करना है। उनका अकसर ध्यान उन भक्तों की तरफ होता है जो अधिक दान देते हैं।
आज पंजाब के हर गांव मेें मस्जिदें तो हैं लेकिन मंदिर नहीं हैं। इसका कारण है कि वे प्रचार करने के मामले में असफल सिद्ध हो रहे हैं। एक मंदिर कमेटी के सदस्य 15 वर्षों में एक भी व्यक्ति को अपने धर्म में नहीं ला सके वहीं ईसाइयों ने कई पूरे के पूरे गांवों को 15 वर्षों में पूरी तरह ईसाई बना दिया है। मंदिर कमेटी की लोग जगराता व भागवत करने में धन एकत्र करके ही खुश हो जाते हैं। कई मंदिरों में तो कमेटी के सदस्य सनातनी हिन्दू भी नहीं हैं।
ये लोग धर्म की सेवा के नाम पर उसे तोडऩे का ज्यादा प्रयास करते हैं क्योंकि उनकी मंदिर में कोई श्रद्धा नहीं होती। आधे से ज्यादा बड़े मंदिर तो सरकार के हाथ में चले गए हैं। अब मंदिरों के सदस्यों को समय के अनुसार बदलना होगा और जो कमियां हैं उन्हें दूर करना होगा।www.bhrigupandit.com
मंदिरों में अक्सर जाने वाले भक्तों शिकायतें आती रहती हैं कि वहां प्रबंध सुचारु नहीं होते और भक्तों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा जाता। इससे उनकेे मनों को ठेस पहुंचती है। मंदिरों में राजनीतिक दखअंदाजी, गुटबाजी अक्सर हावी रहती है। प्रबंधक कमेटी के लोग इतने प्रशिक्षित नहीं होते कि उन्हें नहीं पता होता कि मंदिर में आए भक्तों से किस तरह का व्यवहार करना है। अब नए मंदिरों की कमेटियों में पढ़े लिखे लोग आने से हालात कुछ सुधरने शुरू हो गए हैं। ये लोग विभिन्न मंदिरों का दौरा करते रहते हैं और तालमेल भी रखते हैं। अच्छी व्यवस्था अपनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी ये लोग इसाइसों जैसी कम्पनी व्यवस्था लाने में अभी बहुत पीछे हैं।
मंदिर के पंडित जी को इतना कम वेतन मिलता है कि इसमें उसका गुजारा होना मुश्किल होता है। यदि वह अपने तौर पर यजमानों के काम पूजा आदि न करे तो वह अपने परिवार पालन-पोषण ही न कर सके। इसलिए ये पूरी तरह से यजमानों पर ही निर्भर होते हैं। प्रंबधक कमेटी के सदस्यों का व्यवहार भी ठीक नहीं होता वे उन्हे वह आदर नहीं देते जैसा पादरी, मुल्ला आदि को मिलता है। हर कार्य की शुरुआत में किस तरह पादरी का स्वागत होता है उसे कितना वेतन मिलता है, कितनी सुविधाएं मिलती हैं इस मुकाबले में मंदिर के पुजारी कहीं भी टिक नहीं पाते।
मंदिर कमेटी के सदस्य व पंडित इस काम की ओर बिलकुल ध्यान नहीं देते कि जो लोग हिन्दू धर्म को अपनाना चाहते हैं उनको कैसे दीक्षित करना है। उनका अकसर ध्यान उन भक्तों की तरफ होता है जो अधिक दान देते हैं।
आज पंजाब के हर गांव मेें मस्जिदें तो हैं लेकिन मंदिर नहीं हैं। इसका कारण है कि वे प्रचार करने के मामले में असफल सिद्ध हो रहे हैं। एक मंदिर कमेटी के सदस्य 15 वर्षों में एक भी व्यक्ति को अपने धर्म में नहीं ला सके वहीं ईसाइयों ने कई पूरे के पूरे गांवों को 15 वर्षों में पूरी तरह ईसाई बना दिया है। मंदिर कमेटी की लोग जगराता व भागवत करने में धन एकत्र करके ही खुश हो जाते हैं। कई मंदिरों में तो कमेटी के सदस्य सनातनी हिन्दू भी नहीं हैं।
ये लोग धर्म की सेवा के नाम पर उसे तोडऩे का ज्यादा प्रयास करते हैं क्योंकि उनकी मंदिर में कोई श्रद्धा नहीं होती। आधे से ज्यादा बड़े मंदिर तो सरकार के हाथ में चले गए हैं। अब मंदिरों के सदस्यों को समय के अनुसार बदलना होगा और जो कमियां हैं उन्हें दूर करना होगा।www.bhrigupandit.com
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