अखाड़ों व जिम में क्या अंतर है, अखाड़े क्यों कम हो गए
अखाड़ों व जिम में क्या अंतर है, अखाड़े क्यों कम हो गए
प्राचीन काल से ही अखड़ों का भारत का बहुत महत्व रहा है। युवा अखड़ों में पहलवानी व कुश्ती के गुर सीखते थे। आज भी देश में कुछ अखाड़े बचे हैं जो देश को अच्छे पहलवान दे रहे हैं। अखाड़ों के नियम बहुत ही कड़े होते
थे। पहलवानों को गुरु जी की आज्ञा का पालन करना होता था। सूर्य उदय से पहले उठकर व्यायाम करना होता और ब्रहमचर्य का पालन करना होता होता है। अखाड़े की तरफ से उसकी खुराक का ध्यान रखा जाता है। व्यायाम करने वाला सामान पारम्परिक होता था और बहुत ही सस्ता अखाड़े की तरफ से ही अधिकतर बनाया जाता था।
अनुशासन का बहुत ही ध्यान रखा जाता था। जो कोई भी अनुशासन तोड़ता उसको दंड दिया जाता था। अखाड़े में उतरने से पहले पहलवान अखाड़ेै को माथा टेकते हैं। ये पहलवान हुनुमान जी के पक्के भक्त होते हैं।।किसी प्रकार का कोई नशा नहीं करते।
अब हम आपको जिम के बारे में बताते हैं। जिम में लाखों का सामान लगा होता है। लोग फीस देते हैहैं और वहां का इंस्टक्टर उन्हें सिखाता है। शरीर बनाने के लिए हार्मोन्स, प्रोटीन पाऊडरों का भी जमकर इस्तेमाल होता है। जिम जाने वाले ज्यादातर युवा एक दूसरे को देखकर नशों का शिकार हो जाते हैं। मांस का जमकर भक्षण करते हैं। समय की कोई पाबंदी नहीं, सूर्य उदय के बाद भी काम कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि ज्यादा हारमोन व प्रोटीन पाऊडर लेने से युवकों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और प्रैक्टिेस छोडऩे के बाद बुरे प्रभाव सामने आने
शुरु हो जाते हैं। युवा इसको समजते नहीं। जिम जाने वाले युवा गलत संगत में पड़ कर नशे आदि करने लगते हैं।
अंत में हम आपको सलाह देते हैं कि आप यदि अपना शरीर बनाना चाहते हैं तो पास के अखाड़े में चले जाएं और
अपना दूद, दही मक्खन से बनाएं।
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