जानवर बोर नहीं होते मानव हो जाता है
जानवर बोर नहीं होते मानव हो जाता है
आपने देखा होगा कि जानवर रोज चरता है,जुगाली करता है और फिर चरता है। उसे भूख लगती है तो वह फिर
खाने लगता है। उसे ताजा चारा दे दो तो वह उसे खाता है और यदि न दो तो वही बासी चारा भी खा लेता है। लेकिन मानव ऐसा नहीं है। वह शीघ्र बोर हो जाता है। सुबह जो खाया वही दोबारा दोपहर को मिल जाए तो गुस्सा करता है और यदि वही रात को भी खाना पड़ जाए तो तौबा-तौबा। वही संगीत बार-बार नहीं सुन सकता, फिल्म भी बार-बार नहीं देखता, दूसरी बार चुटकला सुनने पर हंसता नहीं। नए कपड़े, नई कार, नए फोन आदि को पाकर जो खुशी उसे पहले दिन होती है वह फिर नहीं होती। फिर वह इनसे भी बोर हो जाता है। बार-बार एक ही तरह का काम,एक ही तरह की शक्लें उसे बोरियत का एहसास करवाती हैं। इस बोरियत का उपचार करने के लिए वह कुछ दिन दूर मस्ती करने घूमने निकल पड़ता है। कभी परिवार के साथ बाहर का खाना भी खाने जाता है। अलग तरह के लोग देखकर उसे खुशी मिलती है। कुछ लोग तो बहुत ही जल्दी बोर हो जाते हैं। शोरूम में जो चीज उनको सबसे ज्याद अच्छी लगती है पता नहीं क्यों घर पहुंचने तक उन्हें पश्चाताप हो जाता है कि क्यों उसने इसे खरीदा जो पहले देखा था वह अच्छा था और फिर उसे वापिस करने की भी जल्दी होती है। पुरुष अपनी पत्नी से भी बोर हो जाते हैं। अब उन्हें पहले जैसा आनंद नहीं मिलता और न ही कोई उत्तेजना होती है। वे नई महिला से सम्भोग की इच्छा रखते हैं और महिलाएं भी कुछ इसी तरह बोर हो जाती हैं। भारत में तो महिलाएं अपने काम धंधों में इतना व्यस्त हो जाती हैं कि उनके पास ऐसा सोचने का समय ही नहीं होता। जानवर बोर नहीं होते मानव हो जाता है
वे अपनी बोरियत टीवी पर सास बहू के सीरियल देखकर या होम शापिंग में सस्ता सामान आर्डर करके दूर करती हैं। लेकिन विदेशों में फ्री लाइफ होने के कारण पति-पत्नी तुरंत अगल हो जाते हैं और अपनी बोरियत दूर करने का प्रयास करते हैं। क्या आपने देखा कि जो अपने काम के प्रति पैशन रखते हैं या जो काम उन्हें करने में मजा आता है वे उस काम में बोर नहीं होते। एक कारिगर को सुंदर मूर्तियां बनाने में इतना आनंद आता है कि वह खाना भी भूल जाता है। एक लेखक को लिखने में स्टोरी बताने में इतना आनंद आता है कि वह सारी रात लिखता ही रहता है,थकता नहीं। हमें अपनी बोरियत दूर करने के लिए वे काम जरूर करने चाहिएं जिसमें हमें आनंद मिलता है। हम नौकरी करतेहैं क्योंकि इससे हमारा घर चलता है लेकिन इससे हम खुश नहीं होते, फिर भी हमें पड़ती है और हम अपने पैशन का गला घोंटकर जीते रहते हैं। थोड़ा भी समय नहीं निकालते और जब रिटायर हो जाते हैं तो हाथ में सिर्फ बीमारियां ही आती हैं और कुछ नहीं।
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