राहु का रत्न कौन सा है और इसकी क्या पहचान है

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राहु का रत्न कौन सा है और इसकी क्या पहचान है
राहु रत्न गोमेद को संस्कृत में गोमेदक, अंग्रेजी में झिरकन zircon कहते हैं। गोमेद का रंग गोमूत्र के समान हल्के पीले रंग का , कुछ लालिमा तथा श्यामवर्ण का होता है। स्वच्छ, भारी, चिकना गोमेद उत्तम होता है तथा उसमें शहद के सफेद रंग की झांई भी दिखाई देती है। समान्यत गोमेद उल्लू की आंख तथा बाज की आंख के समान दिखाई देता है। शुद्ध गोमेद को 24 घंटों तक गोमूत्र में रखने से गोमूत्र का रंग बदल जाएगा। गोमेद रत्न शनिवार को शनि की होरा में स्वाति, शतभिषा, आद्र्रा या रविपुष्य योग में  पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसे राहू के बीज मंत्र से अभिमंत्रित करके दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इसका वजन 5,7 व 9 रत्ती का होना चाहिए।
राहु बीज मंत्र-ओम भ्रां भ्रीं, भ्रौं स: राहवे नम: है।
धारण करने के बाद बीजमंत्र का पाठ  हवन एंव सूर्य देव को अघ्र्य प्रदान कर नीले रंग का कम्बल,तिल,बाजरा आदि दक्षिणा सहित दान करें। विधी पूर्वक गोमेद धारण करने से  अनेक प्रकार की बीमारियां नष्ट होती हैं, धन, सुख,संतान,वकाल व नौकरी में पदौन्नति होती है।
शत्रु के नाश के लिए भी इसका प्रयोग प्रभावी रहता है। जिनकी जन्म कुंडली में राहु 1,4,7,9,10 भाव में हो या राहू की दशा चल रही हो तो उन्हें गोमेद पहनना चाहिए। मकर लग्र वालों के लिए गोमेद शुभ होता है।

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