एक वामपंथी की मौत

एक वामपंथी की मौत
राहुल के परिवार का माहौल बहुत ही धार्मिक था। माताजी सुबह 4 बजे उठ जाती अौर पिता जी व दादा दादी भी उठते सुबह तुलसी पूजा, शालीग्राम पूजा, गोपाल पूजा होती। रोज का यही नियम था। उन्हें संस्कृति पर बहुत ही गर्व होता। अब कालेज में पढ़ा राहुल इन बातों पर विश्वास नहीं करता था। वह तुलसी पूजा करने पर मां को कहता क्या माता यह एक पौधा ही तो है इसपर इतना समय नष्ट करने से क्या मिलेगा। इस मूर्ति पर इतना समय लगाना बेकार है। माता उसकी अोर देखती अौर भगवान से प्रार्थना करती कि इसके बेटे को सद्बुद्धी दे। पता नहीं क्यों उसे उन्होंने कालेज में भेजा जहां से नासि्तक बन कर ही  उनका बेचा निकला पता नहीं क्या-क्या उल जलूल बातें ही सिखाई जाती हैं। राहुल को लगता कि जीवन का सारा सच उसने ही जान लिया हजारों सालों से चली अा रही परम्पराअों को वह जोर शोर से विरोध करता। वामपंथ का इतना प्रभाव उस पर हो चुका था कि उसे अपने धर्म,परम्पराअों में ही खोट लगता। उसे लगता कि सारे त्यौहार मनाने बेकार हैं, पैसे अौर समय की बर्बादी है। उसे नहीं लगता था कि उसका ब्रेन वाश कर दिया गया है। किसी की भी भावनाअों को ठेस पहुंचाने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। कई बार मां की अांखों में अांसु अा जाते पर वह उसे  कहती कुछ न।
शहर में कालेज के पेपर हो  गए थे अौर राहुल को सूचना मिली कि मां बीमार है वापस गांव अा जाए। राहुल वापस पहुंच जाता है। मां को बीमार होने का इतना दुख नहीं उसे दुख है कि गाय नंदिनी किसी अौर को दूध नहीं देती, तुलसी का पौधा सूख जाएगा, ठाकुर जी की कौन पूजा करेगा। मां की इच्छा थी कि कुछ दिन राहुल उसके काम को सम्भाल ले। राहुल चाहता तो नहीं था लेकिन मां की खातिर उसने उसका काम सम्भाल लिया।
 पहले दिन वह सुबह जल्दी उठा , स्नान किया प्रांगल में लगे तुलसी के पौधे को  जल देने गया देखा तुलसी का पौदा पानी न मिलने के कारण मुरझा गया है। पत्ते पीले पड़ गए हैं। मां को यह दुख लगेगा उसने ठाना कि तुलसी को फिर से हरा कर देगा। गाय नंदिनी के पास जब वह गया तो देखा कि वह उसे देखकर सिर हिलाने लगी उसने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा तो वह उसे चाटने लगी। राहुल को उसने प्यार से दूध दोहने दिया। इसी तरह ठाकुर जी पूजा करने के बाद वह मां को बताने गया मां ने सुना तो वह बहत ही खुश हो गई। धीरे-धीरे तुलसी हरी होने लगी। वह तुलसी  को जब भी समय मिलता देख लेता अब कुछ ही में वह हरी भरी हो गई। नंदिनी के पास जब भी व जाता वह उसका पूंछ हिलाकर, चाट कर व नखुनों से फूंक मारकर उसका स्वागत करती। अब इन सभी के
साथ राहुल भावुक होकर जुड़ गया था। गाय को जब प्यास लगती वह रम्भा कर राहुल को अावाज लगाती अौर राहुल उसकी सेवा में हाजिर हो जाता। तुलसी को देखकर वह खुश होता।  अब जन्माष्टी भी अा गई अौर माता भी ठीक हो गई।ठाकुर जी को नए कपड़े डाले गए उनकी मूर्ति की छठा देखते ही बनती थी।
अासपास के लोगों को ठाकुर जी को झूला झुलाने के लिए बुलाया गया। सारे अाए भजन गाए अौर ठाकुर जी को झूला झुलाया।
ठाकुर जी,तुलसी व नंदिनी अन्य सदस्यों की राहुल के सहयोगी हो चुके थे। एक दिन राहुल का दोस्त शहर से अाया उसे ठाकुर जी व तुलसी पूजा करते देखकर बोला कि यह क्या कर रहे हो। राहुल को उसका इस तरह बात करना बहुत बुरा लगा। उसने उसे डांट दिया अौर कहा कि अाज के बाद वह उसके सामने उसके ईष्ट ठाकुरजी,तुलसी व उसकी प्यारी नंदिनी के खिलाफ कोई बोलेगा उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  राहुल के दोस्त ने उसे कहा कि तुम्हारे अंदर का वामपंथी मर चुका है। राहुल को यह जानकर खुशी हुई कि एक वामपंथी की मौत हो चुकी है।

Comments

astrologer bhrigu pandit

नींव, खनन, भूमि पूजन एवम शिलान्यास मूहूर्त

मूल नक्षत्र कौन-कौन से हैं इनके प्रभाव क्या हैं और उपाय कैसे होता है- Gand Mool 2023

बच्चे के दांत निकलने का फल | bache ke dant niklne kaa phal