हिन्दुअों के धार्मिक कार्यों के लेकर प्रोपेगंडा कैसे चलाया जाता है
हिन्दुअों के धार्मिक कार्यों के लेकर प्रोपेगंडा कैसे चलाया जाता है
भारत में हिन्दू अपनी अास्था के अनुसार कोई भी धार्मिक काम न करें , उनकी भावनाअों को ठेस पहुंचाई जाए अौर किसी भी तरह इन धार्मिक कामों को करने से हिन्दू एक जगह पर एकत्र न हो सकें क्यों एेसा होने से इन विधर्मियों की चिंताएं बढ़ जाती हैं। एेसा प्रोपेगंडा केवल भारत में ही नहीं हर जगह हर देश में चलाया जाता रहा है। फिर चाहे वो अफ्रीका के पेगेन हों या यूरोप के। उनकी मान्यताअों पर बैन लगा दिया गया वे सिर्फ इसलिए कि वे इनके रास्ते में अड़चन थे। भारत में यह काम बहुत ही सुनियोजित ढंग से किया जाता है। यह कार्य सामने अाकर नहीं किया जाता। इसके लिए कुछ सैकुलर हिन्दू या क्रिप्टो हिन्दुअों का सहारा लिया जाता है । इस कार्य के लिए बकायदा पेमेंट की जाती है। सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता है। यह काम अाज से नहीं शुरु हुअा बलि्क पिछले 2000 सालों से प्रोपेडंडा विंग की तरफ से चलाया जा रहा है। ये लोग कभी नहीं बताते कि नववर्ष पर शराब पीने के बाद पूरे विश्व में लाखों लोग कार दुर्घटनाअों में मारे
जाते हैं, अरबों रुपए के धन का विनाश होता है। ये लोग कभी नहीं बताते कि क्रिसमस पर करोड़ों पेड़ काट दिए जाते हैं अौर फिर अगले दिन उन्हें कूड़े को ढेरों में फैंक दिया जाता है, थैंक्स गिविंग पर करोड़ों टर्की जैसे जीवों की बिना किसी कारण हत्या कर दी जाती है, किस तरह से नव जन्में बछड़ों का ही गेश्त एक धार्मिक कार्य के लिए खाया जाता है अौर उनकी माताएं गऊएं रात भर रोती रहती हैं। किस तरह से जोशुअा नाम का प्रोजैक्ट चलाया जा रहा है। किस तरह से फार्वड प्रैस मद्रास हिन्दुअों की मान्यताअों के बारे में भद्दी भाषा का प्रयोग करती है। किसी तरह से करोड़ों बेजुबान पशुअों को मारा जाता है अौर फिर उनके अवशेष नदियों में जानबूझ कर फैंक दिए जाते हैं ।
वैसे तो हर त्यौहार व धार्मिक कार्य से पहले से गंदा प्रौपेगंडा चलाना शुरु कर देते हैं अौर कुछ भोले हिन्दू भी इनका शिकार हो जाते हैं जो इनकी मूल साजिश को नहीं समझते। अभी कुछ दिन पहले गणेष चतुर्थी पर भी एेसा ही दिखाया गया। इस भव्य व महान उत्सव के बारे में अपनी गंदी सोच को उजागर कर दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की गई। ये लोग वे हैं जो नहीं देखते कि कब्रों पर जानवर क्या कर रहे हैं, इनको यह नहीं दिखता कि कैसे बकरी के साथ बलात्कार कर उसे मार दिया गया, कैसे रेप जैसी घटनाअों पर ये लोग एकतरफा चुप्पी सांध लेते हैं। जीवन में कोई भी वस्तु का एक नियम है विसर्जन। अादमी जब पूरा हो जाता है तो कई लोग उसे जला देते हैं, कोई उसे जमीन में दफना देते है, गंगा में बहा देते हैं, कोई जानवरों के खाने के लिए खुले में छोड़ देते हैं। प्राचीन काल में तो ममी बनाकर रख ली जाती थी।
अब ये लोग अपना किया अच्छा कहेंगे लेकिन दूसरे के खिलाफ बातें करेंगे। पवित्र ग्रंथों का तो सम्मान करते हैं लेकिन जिस प्रैस में वे छपते हैं वहां वे अाम पुस्तकों की तरह ही छपते हैं। उनका खुला मैटीरियल,पेज यहां वहां पड़े रहते हैं अौर काफी तो रद्दी हो जाते हैं। इसके बाद यही ग्रंथ गलने के बाद विसर्जित कर दिेए जाते हैं या जला दिए जाते हैं। मां की योनि से बच्चा बाहर अाता है तो ये लोग तो उस पर भी सैंसर लगाने की बात करते हैं । इनके लिए तो यह भी अश्लील ही है।
इनका बस चले तो ये सारी धार्मिक ग्रंथ इंटरनेट से हटा लें क्योंकि इसमें अश्लील फिल्मों व चित्रों की भरमार है, इससे उनकी बेअदबी होती है।इनका बस चले तो ये इ पर भी प्रोपेगंडा चला कर कहते हैं कि देखो कितनी गंदगी से मानव पैदा हुअा है। ये वे लोग हैं जो दीवाली के जले हुए पटाखों को लेकर हाय तौबा तो मचाते हैं लेकिन उसी तरफ नववर्ष पर फूंके गए करोड़ों रुपयों पर मौन रहते हैं।
ये लोग वेदों के बारे में भी सम्मान जनक बातें नहीं कहते। इनके लिए भारतीय संस्कृति अौर इससे जुड़ी हर चीज ही हराम है अौर अपनी नफरत को यह उगलते रहते हैं। दुनिया हर चीज के की पहलू हैं परस्पर भावनाअों का अादर करते हुए हमें मानव होने का परिचय देना होगा।
इनके प्रोपेगंडे से किसी भक्त की भावना को तो ठेस पहुंचती है। इन्हें नहीं पता कि कब्र में या गंगा में बहाए मरे परिजनों का कीड़े क्या हाल करते होंगे वे दूसरों को नीचा दीखाने की कोशिश कर रहे हैं। इम लोगों पर तर ही किया जा सकता है।
भारत में हिन्दू अपनी अास्था के अनुसार कोई भी धार्मिक काम न करें , उनकी भावनाअों को ठेस पहुंचाई जाए अौर किसी भी तरह इन धार्मिक कामों को करने से हिन्दू एक जगह पर एकत्र न हो सकें क्यों एेसा होने से इन विधर्मियों की चिंताएं बढ़ जाती हैं। एेसा प्रोपेगंडा केवल भारत में ही नहीं हर जगह हर देश में चलाया जाता रहा है। फिर चाहे वो अफ्रीका के पेगेन हों या यूरोप के। उनकी मान्यताअों पर बैन लगा दिया गया वे सिर्फ इसलिए कि वे इनके रास्ते में अड़चन थे। भारत में यह काम बहुत ही सुनियोजित ढंग से किया जाता है। यह कार्य सामने अाकर नहीं किया जाता। इसके लिए कुछ सैकुलर हिन्दू या क्रिप्टो हिन्दुअों का सहारा लिया जाता है । इस कार्य के लिए बकायदा पेमेंट की जाती है। सोशल मीडिया का सहारा लिया जाता है। यह काम अाज से नहीं शुरु हुअा बलि्क पिछले 2000 सालों से प्रोपेडंडा विंग की तरफ से चलाया जा रहा है। ये लोग कभी नहीं बताते कि नववर्ष पर शराब पीने के बाद पूरे विश्व में लाखों लोग कार दुर्घटनाअों में मारे
जाते हैं, अरबों रुपए के धन का विनाश होता है। ये लोग कभी नहीं बताते कि क्रिसमस पर करोड़ों पेड़ काट दिए जाते हैं अौर फिर अगले दिन उन्हें कूड़े को ढेरों में फैंक दिया जाता है, थैंक्स गिविंग पर करोड़ों टर्की जैसे जीवों की बिना किसी कारण हत्या कर दी जाती है, किस तरह से नव जन्में बछड़ों का ही गेश्त एक धार्मिक कार्य के लिए खाया जाता है अौर उनकी माताएं गऊएं रात भर रोती रहती हैं। किस तरह से जोशुअा नाम का प्रोजैक्ट चलाया जा रहा है। किस तरह से फार्वड प्रैस मद्रास हिन्दुअों की मान्यताअों के बारे में भद्दी भाषा का प्रयोग करती है। किसी तरह से करोड़ों बेजुबान पशुअों को मारा जाता है अौर फिर उनके अवशेष नदियों में जानबूझ कर फैंक दिए जाते हैं ।
वैसे तो हर त्यौहार व धार्मिक कार्य से पहले से गंदा प्रौपेगंडा चलाना शुरु कर देते हैं अौर कुछ भोले हिन्दू भी इनका शिकार हो जाते हैं जो इनकी मूल साजिश को नहीं समझते। अभी कुछ दिन पहले गणेष चतुर्थी पर भी एेसा ही दिखाया गया। इस भव्य व महान उत्सव के बारे में अपनी गंदी सोच को उजागर कर दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की गई। ये लोग वे हैं जो नहीं देखते कि कब्रों पर जानवर क्या कर रहे हैं, इनको यह नहीं दिखता कि कैसे बकरी के साथ बलात्कार कर उसे मार दिया गया, कैसे रेप जैसी घटनाअों पर ये लोग एकतरफा चुप्पी सांध लेते हैं। जीवन में कोई भी वस्तु का एक नियम है विसर्जन। अादमी जब पूरा हो जाता है तो कई लोग उसे जला देते हैं, कोई उसे जमीन में दफना देते है, गंगा में बहा देते हैं, कोई जानवरों के खाने के लिए खुले में छोड़ देते हैं। प्राचीन काल में तो ममी बनाकर रख ली जाती थी।
अब ये लोग अपना किया अच्छा कहेंगे लेकिन दूसरे के खिलाफ बातें करेंगे। पवित्र ग्रंथों का तो सम्मान करते हैं लेकिन जिस प्रैस में वे छपते हैं वहां वे अाम पुस्तकों की तरह ही छपते हैं। उनका खुला मैटीरियल,पेज यहां वहां पड़े रहते हैं अौर काफी तो रद्दी हो जाते हैं। इसके बाद यही ग्रंथ गलने के बाद विसर्जित कर दिेए जाते हैं या जला दिए जाते हैं। मां की योनि से बच्चा बाहर अाता है तो ये लोग तो उस पर भी सैंसर लगाने की बात करते हैं । इनके लिए तो यह भी अश्लील ही है।
इनका बस चले तो ये सारी धार्मिक ग्रंथ इंटरनेट से हटा लें क्योंकि इसमें अश्लील फिल्मों व चित्रों की भरमार है, इससे उनकी बेअदबी होती है।इनका बस चले तो ये इ पर भी प्रोपेगंडा चला कर कहते हैं कि देखो कितनी गंदगी से मानव पैदा हुअा है। ये वे लोग हैं जो दीवाली के जले हुए पटाखों को लेकर हाय तौबा तो मचाते हैं लेकिन उसी तरफ नववर्ष पर फूंके गए करोड़ों रुपयों पर मौन रहते हैं।
ये लोग वेदों के बारे में भी सम्मान जनक बातें नहीं कहते। इनके लिए भारतीय संस्कृति अौर इससे जुड़ी हर चीज ही हराम है अौर अपनी नफरत को यह उगलते रहते हैं। दुनिया हर चीज के की पहलू हैं परस्पर भावनाअों का अादर करते हुए हमें मानव होने का परिचय देना होगा।
इनके प्रोपेगंडे से किसी भक्त की भावना को तो ठेस पहुंचती है। इन्हें नहीं पता कि कब्र में या गंगा में बहाए मरे परिजनों का कीड़े क्या हाल करते होंगे वे दूसरों को नीचा दीखाने की कोशिश कर रहे हैं। इम लोगों पर तर ही किया जा सकता है।
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