हिन्दूफोबिया व इस्लामिक फोबिया क्या है

हिन्दूफोबिया व इस्लामिक फोबिया क्या है

अमेरिका में 9-11 हमले के बाद अमेरिका में रहने वाले मुसलमान बुरी तरह से घबराए हुए थे। अमेरिकी लोगों में मुसलमानों के खिलाफ नफरत हर जगह फैली हुई थी। मुसलमान अपने को पाकिस्तानी व अरबी कहने से घबरा रहे थे। इस हमले के बाद अमेरिका के लोग बुरी तरह से सहम गए थे। इस घटना के बाद अमेरिका में कई जगहों पर मुसलमानों पर हमले भी हुए। कई सिख भी इस हिंसा का शिकार बने क्योंकि पगड़ी व दाड़ी के कारण वहां के लोग उन्हें मुसलमान ही समझ लेते थे। इस इस्लामिक फोबिया का उत्तर देने के लिए मुसलमानों ने मुहिम छेड़ी अौर लोगों को बताना शुरु किया कि सारे मुसलमान जेहादी अातंकवादी नहीं होते। जगह- जगह पर हग मी अाई एम मुसिलम अाई एम नाट टैरारिस्ट जैसी मुहिम में अलग-अलग जगहों पर मुसलमान अांखों में पट्टी बांधकर लोगों को उन्हें हग करने के लिए प्रेरित करते अौर लोग उनकों गले भी लगते। छोटी-छोटी फिल्में बनाई गईं  जहां मुसलमान लोगों के लिए मसीहा के तौर पर उनकी मदद करते दिखाई दिए। इस तरह इस्लामिक फोबिया को तोड़ने के लिए साम, दाम, दंड व भेद अादि की सारी नीतियां अपनाई गईं। जो भी नेता जेहादी मुसलमानों के खिलाफ कोई ब्यान देता तो उसे सैकुलर मीडिया, वामपंथियों के द्वारा इस्लामोफोबिक करार देकर उसकी तरफ से उठाए गए प्रश्नों को नजरअंदाज कर दिया जाता।  दुनिया में जब भी जेहादी मुसलमान कोई बड़ा नरसंहार करते हैं तो मोडरेट मुसलमानों,सैकुलर मीडिया, वामपंथियों की तरफ से जोर शोर से अावाज उठाई जाती है ये जो कर रहे हैं वे सच्चे मुसलमान नहीं हैं। अब अाप सोशल मीडिया पर कई क्लिप देखते होंगे कि मुसलमान हिन्दुअों के लिए मसीहा बनकर उनकी मदद करते हैं, गशेष पूजा पर यदि डीजे बजाते हो तो अापको क्या नुकसान हो सकते हैं, हिन्दुअों के सभी त्यौहारों से पहले कोई न कोई अापत्तिजनक बात कही जाती है किसी फेक अाईडी से अौर फिर इसे वायरल किया जाता है इस ट्रेप में कई हिन्दू भी फंस जाते हैं।

अाइए अब हिन्दूफोबिया के बारे में बात करते हैं। बालीवुड में जितनी भी फिल्में बनाई जाती हैं उसमें हिन्दुअों के खिलाफ कुछ न कुछ जरूर दिखाया या कहा जाता है। पंडित. ठाकुर ,बनिया या राजपूत को अापस में लड़ते अौर दूसरों का शोषण करते दिखाया जाता। जहां कहीं भी कोई हिन्दू कोई गलत काम करते पकड़ा जाता है तो उसका नाम लेकर 24 घंटों तक चैनलों में दिखाया जाता है। दूसरी तरफ से कोई घटना होने पर नाम धर्म अादि को छिपा दिया जाता है अौर खबर  भी नहीं लगाई जाती। हिन्दू संगठनों की तुलना अाईएस जैसे अातंकवादी संगठनों से की जाती है।  अब सारी परेशानी वाली बात यह है कि इस हिन्दूफोबिया का उत्तर नहीं दिया जाता। कोई उत्तर में फिल्म नहीं बनाई जाती,सोशल मीडिया में कोई क्लिप वायरल नहीं होता। हिन्दू राजनीतिक संगठन अपनी पार्टी का ही प्रचार करते दिखते हैं। अाज स्वर्ण समाज के खिलाफ जहर उगला जाता है लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं दिया जाता। बार- बार झूठ बोलने से वह सच ही लगने लगता है। कहीं कोई घटना होती है तो उस को पूरे समाज व धर्म के साथ जोड़ दिया जाता है। पिछले कुछ साल पहले पशिचम बंगाल में ननों के साथ रेप हुअा मीडिया ने बताया कि हिन्दुअों ने ये रेप किया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में अारोपी बंगलादेशी मुसलमान निकले तो एकदम चुप्पी छा गई। क्रिप्टो ईसाई गौरी लंकेश की हत्ता की जिम्मेदारी भी हिन्दुअों पर डाल कर चीख-चीख कर बताई गई जब पता लगा कि हत्या नक्सलियों ने की थी तो एकदम चुप्पी छा गई। माफी तक न मांगी गई। किसी भी हिन्दू संगठन ने इसका विरोध तक नहीं किया। एेसी हजारों घटनाएं जो हिन्दूफोबिया का शिकार रहती हैं इसका मुहंतोड़ उत्तर नहीं दिया जाता। प्रोपेगंडा का जवाब देने के लिए हिन्दू समझदार नहीं हैं या वे इस झमेले में पड़ना नहीं चाहते।
हिन्दू फोबिया का उत्तर कैसे  दें - कोई भी हिन्दू विरोधी बात होने पर एक साथ होकर उसका विरोध करें उसका उत्तर दें। मीडिया में हिन्दुअों के खिलाफ कोई खबर दिखाई जाती है तो प्रमाण की मांग करें झूठी खबर चलाने वाले की शिकायत दर्ज करवाएं अौर उस चैनल का एक साथ बायकाट करें। कंचन इलाहा, अरुंधती राय, देवदत्त पटनायक जैसे लेखकों को जबाव दें अौर इसके उत्तर के लिए पुस्तक भी लिखनी पड़े तो लिखें। ध्यान रहे कि उत्तर प्रमाणों के साथ दूसरे को पूरी तरह अध्ययन करके दिया जाए।

नोट ये विचार महान लेखक राजीव मल्हौत्रा से प्रेरित हैं। मूल लेखक राजीव मल्हौत्रा हैं

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