क्या अारएसएस अातंकवादी व देशद्रोही संगठन है

क्या अारएसएस अातंकवादी व देशद्रोही संगठन है

अाजकल वामपंथियों व कांग्रेसी नेताअों की तरफ से एक प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है कि अारएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) एक खतरनाक  अातंकवादी संगठन है। इसको अारोप को की सच्चाई जानने के लिए हमने स्वयं इस बात का प्रमाण प्राप्त करने का निर्णय किया। पूरे सबूतों के साथ लोगों के सामनेे बात रखने का फैसला किया। हमने 25 युवाअों की टीम बनाई अौर सच्चाई जानने के लिए विभिन्न जगहों पर शाखा के केन्द्रों में भेजा। अारएसएस के दरवाजे हर देशप्रेमी के लिए खुले हैं वो किसी भी धर्म,जाति, सप्रदाय से हो सकता है। संघ के साथ शाखाएं लगाने हमें मालूम हुअा कि कैसे संघ राष्ट्रवादी संगठन है जिसके समाजसेवा के हजारों प्रकल्प चल रहे हैं। सेवा भारती, विद्या मंदिर,चिकिस्सालय , सिलाई केन्द्र अादि प्रकल्पों के माध्यम से लोगों की मदद की जा रही है।  शाखाअों में देश को सबसे ऊपर रखा जाता है। देश पर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के गुण गाए जाते हैं। बताया जाता है कि  सबसे पहले हम भारतवासी हैं उसके बाद ही सब कुछ हैं। सभी जातियों, धर्म ,सम्प्रदाय के लोग एक साथ मिलकर बिना किसी भेदभाव के काम करते हैं। हम उन लोगों से अाग्रह करते हैं कि किसी की भी सुनी सुनाई बातों पर विश्वास न करें। अाप स्वयं निरीक्षण करें अौर फिर किसी निर्णय पर पहुंचे। पेड मीडिया व फेक पत्रकार बिना किसी सुबूत के संघ के बारे में झूठ व नफरत फैलाते हैं ताकि संघ के पास लोग न जा सकें, उन्हें पता है कि संग के पास छिपाने के लिए कुछ  भी नहीं है। संघ के बारे में लोग जानने लग गए हैं । जो लोग संघ की अाईएस से तुलना करते हैं वे एक बात समझ लें कि यदि संघ अातंकवादी संघठन होता तो भारत में
ये लोग मारे न जाते ये लोग एेसा कोहराम मचाते कि इनके खिलाफ बोलने की कोई हिम्मत न करता। संघ का प्रोपेगंडा विभाग नकारा है या बना ही नहीं जो  सशक्त रूप से अपने विरोधियों को जवाब दे सके। संघ के प्रचारकों के पास धन की कमी रहती है। भाजपा की सरकार होने के बावजूद संघ के पास संसाधनों की भारी कमी है। संघ में अब कुछ अवसरवादी नेता भी घुस गए हैं जो संघ से लाभ लेने की बात सोचते हैं। साम, दाम, भेद ,दंड की स्थिति में अभी  भी संघ कहीं  भी खड़ा नहीं होता। संघ से जो भी नेता निकल कर सांसद, विधायक बन जाता है तो वह 5 साल तक संघ के कार्यकर्ताअों से पीछा छुड़ा कर उनसे दूर होकर सत्ता व धन के नशे में चूर हो जाता है। वह सिर्फ इसी उधेड़बुन में लगा रहता है कि अगले 5 साल उसने कैसे जीतना है। वह संघ की अार्थक रूप से कम ही मदद करता है। संघ अपने कार्यकर्ताअों का कोई रिकार्ड नहीं रखता जो कि इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। कुल मिलाकर हमने अपनी रिपोर्ट में पाया कि
संख्या के हिसाब से संघ ईसाई संगठन व मुसलमानों से कहीं ज्यादा है लेकिन यह इनकी तरह से संगठित नहीं है।
ईसाई देश में 5 प्रतिशत होने पर भी पूरी तरह से संगठित हैं इनके शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, प्रोपेगंडा विभाग, फंड अादि में संघ दूर-दूर तक इनके मुकाबले में कहीं खड़ा नहीं होता।  संघ के पास अाज भी अलजजीरा, सीएनएन, फोक्स, अाज तक, एनडीटीवी, एबीपी न्यूज, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान टाइम्स जैसे एंटी हिन्दू वामपंथी, सैकुलर चैनलों जैसा एक भी मुकाबले का चैनल नहीं है जो इनकी बात नैशनल स्तर व इंटरनैशनल स्तर पर पहुंचा  सके। संघ कांग्रेस व वामपंथियों जैसा स्ट्रांग नैटवर्क ऩहीं बना पाया। संघ के लोग अाज भी पढ़े लिखे होने के बावजूद बेरोगार गूम रहे हैं जबकि दूसरी तरफ हर युनिवर्सिटी में वामपंथी लॉबी का पूरा कब्जा है। संघ को अपने फैलाव से पहले अपने को अंदर से मजबूत बनाना होगा ताकि 200 साल तक ताकतवर संघ कायर्कर सके

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