पान सिंह तोमर फिल्म की समीक्षा | paan singh tomar film Review
पान सिंह तोमर फिल्म की समीक्षा | paan singh tomar film Review
पान सिंह तोमर फिल्म की समीक्षा | paan singh tomar film Review
पान सिंह तोमर एक देशभक्त. सैनिक अौर अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी की दुखद कहानी है जो अपने देश के लिए मैडल लेकर अाता है। घर अाकर देखता है कि उसकी जमीन पर उसके रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया है। वह न्याय के लिए दर-दर भटकता है क्योंकि उसे देश की न्याय व्यवस्था व संविधान पर विश्वास होता है। पुलिस थाने में जब वह शिकायत दर्ज करवाने के लिए जाता है कि उसके रिश्तेदारों ने उसके बेटे को बुरी तरह से मारा पीटा है तो उसे दरोगा गालियां देकर भगा देता है। व्यवस्था अाज भी बदली नहीं है।
paan singh tomar film Review-शरीफ इंसान को एेसे ही न्याय के लिए सालों साल कोर्ट कचहरियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उनके घरों के बर्तन तक बिक जाते हैं न्याय नहीं मिलता। यह कोई सदियों पुरानी दास्तां नहीं बलि्क दशकों पुरानी ही बात है जब देश अाजाद हो चुका होता है। एक मेधावी सेवानिवृत सूबेदार को यदि समय पर न्याय मिल जाता। दरोगा उसकी बात सुनता अौर उसे न्याय दिलवाने में मदद करता या जिला क्लैक्टर अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभाता तो इतने भयंकर हादसे न होते हत्याएं न होती। पान सिंह तोमर बागी न होता।
क्या करता पान सिंह क्या वह सब कुछ छोड़ कर किसी दूसरे गांव में बस जाता या फिर व फौज में दोबारा खिलाड़ियों का कोच बन जाता। एक फौज का सूबेदार,एक देशभक्त अौर खिलाड़ी हाथ में बंदूकें पकड़ लोगों काअपहरण करता अौर फिरौती मांगता। एक बार जब कोई इस रास्ते पर निकल जाता है तो उसे पता नहीं चलता कि उसके अंदर का इंसान मर चुका है अौर वह एक किल्लर बन गया है।
paan singh tomar film Review in Hindi-फिल्म की डायरेक्शन,संगीती भाषा शैली अादि को बहुत ही सजीव ढंग से पेश किया गया है। इरफाल खान ने पान सिंह का किरदार बहुत अच्छे ढंग से निभाया है। उन्होंने साबित किया है कि वही एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अभिनेता हैं जिनके सामने किसी अन्य कलाकार का खड़ा भी हो पाना मुश्किल ही नहीं असम्भव सा ही लगता है। नवाजुद्दीन की छोटी सी भूमिका है लेकिन उसने भी अभिनय में जान डाल दी।
भारत की व्यवस्था पर एक तरह का जोरदार चांटा मारती यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई अाज भी ये सब जारी है अौर लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं अौर उन्हें न्याय नहीं मिलता।
paan singh tomar film Review-शरीफ इंसान को एेसे ही न्याय के लिए सालों साल कोर्ट कचहरियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उनके घरों के बर्तन तक बिक जाते हैं न्याय नहीं मिलता। यह कोई सदियों पुरानी दास्तां नहीं बलि्क दशकों पुरानी ही बात है जब देश अाजाद हो चुका होता है। एक मेधावी सेवानिवृत सूबेदार को यदि समय पर न्याय मिल जाता। दरोगा उसकी बात सुनता अौर उसे न्याय दिलवाने में मदद करता या जिला क्लैक्टर अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभाता तो इतने भयंकर हादसे न होते हत्याएं न होती। पान सिंह तोमर बागी न होता।
क्या करता पान सिंह क्या वह सब कुछ छोड़ कर किसी दूसरे गांव में बस जाता या फिर व फौज में दोबारा खिलाड़ियों का कोच बन जाता। एक फौज का सूबेदार,एक देशभक्त अौर खिलाड़ी हाथ में बंदूकें पकड़ लोगों काअपहरण करता अौर फिरौती मांगता। एक बार जब कोई इस रास्ते पर निकल जाता है तो उसे पता नहीं चलता कि उसके अंदर का इंसान मर चुका है अौर वह एक किल्लर बन गया है।
paan singh tomar film Review in Hindi-फिल्म की डायरेक्शन,संगीती भाषा शैली अादि को बहुत ही सजीव ढंग से पेश किया गया है। इरफाल खान ने पान सिंह का किरदार बहुत अच्छे ढंग से निभाया है। उन्होंने साबित किया है कि वही एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अभिनेता हैं जिनके सामने किसी अन्य कलाकार का खड़ा भी हो पाना मुश्किल ही नहीं असम्भव सा ही लगता है। नवाजुद्दीन की छोटी सी भूमिका है लेकिन उसने भी अभिनय में जान डाल दी।
भारत की व्यवस्था पर एक तरह का जोरदार चांटा मारती यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई अाज भी ये सब जारी है अौर लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं अौर उन्हें न्याय नहीं मिलता।
Theatrical release poster
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Directed by | Tigmanshu Dhulia |
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Produced by | Ronnie Screwvala |
Written by | Tigmanshu Dhulia Sanjay Chauhan[1] |
Starring | Irrfan Khan Mahi Gill Vipin Sharma |
Music by | Abhishek Ray |
Cinematography | Aseem Mishra |
Edited by | Aarti Bajaj |
Production
company | |
Distributed by | UTV Motion Pictures |
Release date
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Running time
| 135 minutes |
Country | India |
Language | Hindi |
Budget | ₹70 million[2] |
Box office | ₹201.80 million[3] |
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