नोटा है स्वर्णों के लिए अात्मदाह

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अापको याद होगा कि जब वीपी  सिंह की सरकार थी तब मंडल कमीशन की रिपोर्ट का बहुत शोर मचा था । इस दौरान स्वर्णों  के बच्चों  ने सड़कों पर निकल कर बहुत प्रर्दशन किए थे। एक जो गलत कदम बच्चों ने उठाना शुरु किया था वह था अात्मदाह। देश भर में 350 से ज्यादा स्वर्णों  के बच्चों ने अात्मदाह कर लिया था। यह एक एेसा काम था जो उन्हें कदापि नहीं करना चाहिए था। सरकारी नौकरियों को उन्होंने जीवन से ज्यादा मह्त्व दिया अौर मौत को गले लगाया। अपने पीछे बेसहारा मां बाप को छोड़कर चले गए। जब अाप किसी भी समस्या का हल न निकाल पाअो तो कुछ लोग अात्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। बच्चों ने एेसा कदम इसलिए उठाया कि उनके मां बाप ने उन्हें संर्घष करने के लिए अौर अपनी बात रखने के लिए शुरु से प्रशिक्षण नहीं दिया। सिर्फ यही कहते रहे कि पढ़ों अौर अपना कैरियर बनाअो अौर वे अासपास की दुनिया से अंजान पढ़ते रहे 16-16 घंटे पढ़ते रहे। जब उन्हें पता चला कि उनके पढ़ने का कोई फायदा नहीं क्योंकि कोई अौर उनका हक मार सकता है तो वे बदहवास की पोजीशन में अा गए अागे पीछे अंधकार दिखाई देने लगा उन्हें लगा कि अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि अात्महत्या कर ली जाए। एक तो यह एक दिशाहीन अांदोलन था जिसमें किसी ने उनको दिशा प्रदान नहीं कि अौर उन्हें कोई नेता नहीं मिला। वे किसी नेता के अधीन अांदोलन भी नहीं करना चाहते थे। 4-5 ग्रुपों में अात्मदाह का घातक फैसला लिया जाता अौर अाग लगा ली जाती। यही बच्चे एकसाथ यदि अपने साथ लाखों की तादाद में देश के किसी हिस्से में सड़कों पर अा जाते अौर थोड़ी हिंसा भी करते तो सरकार घुटनों के
बल पर अाकर इनकी सभी मांगे मानती। मरने के बाद मांगें मनवाने वाला कोई नहीं रहता।
अब अाजकल भाजपा स्वर्णों  में एेसा ही एक अात्मदाह का फैसला लिया जा रहा है जो है नोटा। नोटा के राक्षस को अब अपना नेता मानकर ये स्वर्ण उस पर बटन दबाएंगे।
याद रहे कोई कांग्रेसी या मुसलमान नोटा का बटन नहीं दबाएगा। खेल एेसा खेला जा रहा है कि नोटा से स्वर्णों  की वोट काटी जाएगी अौर  अौर 25 प्रतिशत मुसलमानों व 15 प्रतिशत ईसाइयों की वोट से सरकार बनाने की कोशिश की जा रही है। स्वर्णों  को लगता है कि नोटा दबाकर उनकी सारी समस्याअों का हल हो जाएगा। यह एक अात्मदाह होगा क्योंकि सरकार सीटों की संख्या पर बनती है। एससीएसटी एक्ट कोई मजहबी बम नहीं है कि इसका कोई तोड़ न निकल सके। स्वर्णों को अपने लिए अारक्षण मांगना चाहिए। अपने बच्चों को तैयार करना चाहिए संर्घष के लिए न कि अात्मदाह जैसा कोई कदम उठाना चाहिए।
याद रहे कि अाप तब ही जीत सकते हैं जब अापके पास शकि्त होगी नहीं तो अाप अात्मदाह करने की पोजीशन में ही होंगे। सड़कों पर निकलों अौर संख्या बल दिखाकर  सरकारों को अाप घुटनों पर ला सकते हैं। मांगों के लिए संर्घष करो लेकिन नोटा दबाकर अपना अौर अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में न धकेलो, फैसला अापका है। 

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