देशप्रेमी बनाम देशद्रोही
देशप्रेमी बनाम देशद्रोही
अाप भारत में रहते हैं अौर एक अाम वोटर हैं , देश से प्यार करते हैं दोश के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार हैं तो अापको कोई नहीं पूछेगा। अाप देशद्रोहियों के गैंग में शामिल हो जाते हैं। अातंकवादी बन जाते हैं , बड़ी-बड़ी वारदाते करते हैं तो अाप मीडिया के हीरो हो जाते हैं। 24 घंटे अापको हीरो की तरह मीडिया पेश करती है। सरकारें भी अापसे बातचीत की मांग करने लगती हैं। यदि अापके पीछे थोड़ा सा भी अलगाववादी जनमानस खड़ा है तो वोट के भूखे नेता अापका पक्ष लेना शुरु कर देते हैं। वोट के लिए उनके मुंह से लार टपकने लगती है। अापकी मांगे मानने से लिए सरकारें घुटनों पर अा जाती हैं। एक राष्ट्रवादी की हत्या होने पर किसी चैनल में खबर तक नहीं चलाई जाती क्योंकि उसका जनाधार बंटा हुअा है। उसके मरने पर किसी नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता केवल एक वोट ही कम होती है। बाकी के तथाकथित राष्ट्रवादी अपने घरों के अंदर दुबक कर दबी जुबान में बात करते हैं। कोई अापकी लड़ाई लड़ने को अागे नहीं अाता। जब अाप भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं तो विदेशों से अाप पर धन की बरसात हो जाती है । अापको स्वाचलित महंगे हथियारों को उपल्बध करवा दिया जाता है। मीडिया में अापके पक्ष मे अावाज उठाने वाले खड़े हो जाते हैं अौर अाधी रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे भी खुल जाते हैं।
अाप अाम वोटर हैं तो अापकी अावाज उठने से पहले ही दबा दी जाती है। कश्मीर से देशप्रेमी पंडितों का नरसंहार हुअा कोई नहीं बोला सारे देश के बाकी हिंदू घरों में दुबके रहे। सरला भट्ट जैसी महिलाअों को अाज तक न्याय नहीं मिला उसकी अात्मा चीख-चीख कर दोषियों के खिलाफ गवाही दे रही है। अदालतें कहसी है कि अब मामला पुराना हो गया। क्या कश्मीरी पंडितों ने हाथों में चूड़ियां पहन रखी थी या कि वे किसी सैकुलर मुगालते में जी रहे थे कि उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ उनके अपनी भूमि पर कभी एेसा अन्याय होगा। क्या वे हिन्दू-मुसिलम एकता के अाज भी नारे लगा रहे हैं। क्या कोई एक भी मुसलमान नहीं था जो कि उनकी मदद के लिए खड़ा होता। क्या सरकार उसकी इंटैलिजैंस एजैंसियां क्या घास खोद रही थीं कि उन्हें इतने बड़े होने वाले नरसंहार की खबर तक नहीं पहुंची। क्या सरकार वहां के जेहादियों के दिलों राष्ट्रवाद भरने में नाकाम रही। क्या एेसा कारण था कि पाकिस्तान अपने मंसूबे में
कामयाब हो गया। अाज हिन्दू जहां कम संख्या में है वहां खौफ की जिंदगी जीने को मजबूर है।
अाप भारत में रहते हैं अौर एक अाम वोटर हैं , देश से प्यार करते हैं दोश के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार हैं तो अापको कोई नहीं पूछेगा। अाप देशद्रोहियों के गैंग में शामिल हो जाते हैं। अातंकवादी बन जाते हैं , बड़ी-बड़ी वारदाते करते हैं तो अाप मीडिया के हीरो हो जाते हैं। 24 घंटे अापको हीरो की तरह मीडिया पेश करती है। सरकारें भी अापसे बातचीत की मांग करने लगती हैं। यदि अापके पीछे थोड़ा सा भी अलगाववादी जनमानस खड़ा है तो वोट के भूखे नेता अापका पक्ष लेना शुरु कर देते हैं। वोट के लिए उनके मुंह से लार टपकने लगती है। अापकी मांगे मानने से लिए सरकारें घुटनों पर अा जाती हैं। एक राष्ट्रवादी की हत्या होने पर किसी चैनल में खबर तक नहीं चलाई जाती क्योंकि उसका जनाधार बंटा हुअा है। उसके मरने पर किसी नेता को कोई फर्क नहीं पड़ता केवल एक वोट ही कम होती है। बाकी के तथाकथित राष्ट्रवादी अपने घरों के अंदर दुबक कर दबी जुबान में बात करते हैं। कोई अापकी लड़ाई लड़ने को अागे नहीं अाता। जब अाप भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं तो विदेशों से अाप पर धन की बरसात हो जाती है । अापको स्वाचलित महंगे हथियारों को उपल्बध करवा दिया जाता है। मीडिया में अापके पक्ष मे अावाज उठाने वाले खड़े हो जाते हैं अौर अाधी रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे भी खुल जाते हैं।
अाप अाम वोटर हैं तो अापकी अावाज उठने से पहले ही दबा दी जाती है। कश्मीर से देशप्रेमी पंडितों का नरसंहार हुअा कोई नहीं बोला सारे देश के बाकी हिंदू घरों में दुबके रहे। सरला भट्ट जैसी महिलाअों को अाज तक न्याय नहीं मिला उसकी अात्मा चीख-चीख कर दोषियों के खिलाफ गवाही दे रही है। अदालतें कहसी है कि अब मामला पुराना हो गया। क्या कश्मीरी पंडितों ने हाथों में चूड़ियां पहन रखी थी या कि वे किसी सैकुलर मुगालते में जी रहे थे कि उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ उनके अपनी भूमि पर कभी एेसा अन्याय होगा। क्या वे हिन्दू-मुसिलम एकता के अाज भी नारे लगा रहे हैं। क्या कोई एक भी मुसलमान नहीं था जो कि उनकी मदद के लिए खड़ा होता। क्या सरकार उसकी इंटैलिजैंस एजैंसियां क्या घास खोद रही थीं कि उन्हें इतने बड़े होने वाले नरसंहार की खबर तक नहीं पहुंची। क्या सरकार वहां के जेहादियों के दिलों राष्ट्रवाद भरने में नाकाम रही। क्या एेसा कारण था कि पाकिस्तान अपने मंसूबे में
कामयाब हो गया। अाज हिन्दू जहां कम संख्या में है वहां खौफ की जिंदगी जीने को मजबूर है।
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