चंद्र ग्रहण पर 31 जनवरी को लगेगा, पढि़ए क्या करें क्या न करें
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चंद्र ग्रहण पर 31 जनवरी को लगेगा, पढि़ए क्या करें क्या न करें
ग्रहण के पूर्व व इस दौरान हमें लोगों के फोन आते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना। शास्त्रों के अनुसार इसके क्या लाभ हैं
और क्या नुक्सान हैं। गर्भवति महिलाएं भी अपने होने वाले बच्चों के बारे में पूछती हैं कि उन्हें ग्रहण के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह भी पूछा जाता है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। शारीरिक संबंध बनाने चाहिए या नहीं। पूजा करनी चाहिए कि नहीं। सूतक क्या होता है इत्यादि। उनकी सभी जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए हमनें ग्रहण के बारे में शास्त्र सम्वत जानकारियां लोगों तक पहुंचाने का प्रबंध किया है। इस लेखको पढ़ कर सभी लोगों के ग्रहण संबंधी जिज्ञासा दूर होगी। साल 2018 में दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी 2018 को दिखाई देगा जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई 2018 में होगा। ये दोनों पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे और भारत सहित अन्य देशों में दिखाई देंगे। इसकी शुरुआत 31 जनवरी को दोपहर 04.21 से होगी और समापन रात्रि 09.38 पर होगा। ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को करना अशुभ माना गया है।
सूतक समय को भी अशुभ मुहूर्त समय माना जाता है। इसे एक ऐसा समय कहा जा सकता है, जिसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते है। धार्मिक नियमों के अनुसार, ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक समय आरम्भ हो जाता है और यह ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान धर्म स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है। इस दौरान भोजन आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए और जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है। ग्रहण के बाद पानी को बदल लेना चाहिए। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में यदि उनके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
ग्रहण के समय कभी भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। शास्त्रों में माना जाता है कि अगर इस समय बनाए गए शारीरिक संबध से कोई बच्चा होता है तो उसको जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेषरूप से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पडऩे का डर रहता है।
देवपूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। इसी कारण अनेक मंदिरों के कपाट ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिये जाते है। ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन करना वर्जित है। ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए. प्रेग्नेंट महिला, बीमार व्यक्ति और वृद्ध व्यक्ति आराम कर सकते हैं।
ग्रहण के समय कभी बाल और नाखून न कटवाएं, इस समय कोई सिलाई-कढ़ाई का काम न करें। ये अशुभ माना जाता है। जब ग्रहण शुरू हो उससे पहले भोजन ग्रहण कर लें। साथ ही दूध, दही और खाने के चीजों में दूर्वा या फिर तुलसी के पत्तों को डाल दें। इससे इन वस्तुओं को ग्रहण का असर न पड़े. ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। ग्रहण के दौरान दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें। ग्रहण लगने से पूर्व मल-मूत्र और शौच निविृत हो लें। ग्रहण के दौरान किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचें। असफलता हाथ लग सकती है। ग्रहण के समय भोजन करना और बनाना आदि को त्याग देना चाहिए।
(नोट यह जानकारी है, इसे मानने के लिए कोई भी बाध्य नहीं है।)
चंद्र ग्रहण पर 31 जनवरी को लगेगा, पढि़ए क्या करें क्या न करें
ग्रहण के पूर्व व इस दौरान हमें लोगों के फोन आते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना। शास्त्रों के अनुसार इसके क्या लाभ हैं
और क्या नुक्सान हैं। गर्भवति महिलाएं भी अपने होने वाले बच्चों के बारे में पूछती हैं कि उन्हें ग्रहण के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह भी पूछा जाता है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। शारीरिक संबंध बनाने चाहिए या नहीं। पूजा करनी चाहिए कि नहीं। सूतक क्या होता है इत्यादि। उनकी सभी जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए हमनें ग्रहण के बारे में शास्त्र सम्वत जानकारियां लोगों तक पहुंचाने का प्रबंध किया है। इस लेखको पढ़ कर सभी लोगों के ग्रहण संबंधी जिज्ञासा दूर होगी। साल 2018 में दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी 2018 को दिखाई देगा जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई 2018 में होगा। ये दोनों पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे और भारत सहित अन्य देशों में दिखाई देंगे। इसकी शुरुआत 31 जनवरी को दोपहर 04.21 से होगी और समापन रात्रि 09.38 पर होगा। ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को करना अशुभ माना गया है।
सूतक समय को भी अशुभ मुहूर्त समय माना जाता है। इसे एक ऐसा समय कहा जा सकता है, जिसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते है। धार्मिक नियमों के अनुसार, ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक समय आरम्भ हो जाता है और यह ग्रहण समाप्ति के मोक्ष काल के बाद स्नान धर्म स्थलों को फिर से पवित्र करने की क्रिया के बाद ही समाप्त होता है। इस दौरान भोजन आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए और जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है। ग्रहण के बाद पानी को बदल लेना चाहिए। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में यदि उनके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
ग्रहण के समय कभी भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। शास्त्रों में माना जाता है कि अगर इस समय बनाए गए शारीरिक संबध से कोई बच्चा होता है तो उसको जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेषरूप से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पडऩे का डर रहता है।
देवपूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। इसी कारण अनेक मंदिरों के कपाट ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिये जाते है। ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन करना वर्जित है। ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए. प्रेग्नेंट महिला, बीमार व्यक्ति और वृद्ध व्यक्ति आराम कर सकते हैं।
ग्रहण के समय कभी बाल और नाखून न कटवाएं, इस समय कोई सिलाई-कढ़ाई का काम न करें। ये अशुभ माना जाता है। जब ग्रहण शुरू हो उससे पहले भोजन ग्रहण कर लें। साथ ही दूध, दही और खाने के चीजों में दूर्वा या फिर तुलसी के पत्तों को डाल दें। इससे इन वस्तुओं को ग्रहण का असर न पड़े. ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। ग्रहण के दौरान दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें। ग्रहण लगने से पूर्व मल-मूत्र और शौच निविृत हो लें। ग्रहण के दौरान किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचें। असफलता हाथ लग सकती है। ग्रहण के समय भोजन करना और बनाना आदि को त्याग देना चाहिए।
(नोट यह जानकारी है, इसे मानने के लिए कोई भी बाध्य नहीं है।)
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