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ABOUT PUNJAB
Punjab, a state bordering Pakistan, is the heart of India’s Sikh community. The city of Amritsar, founded in the 1570s by Sikh Guru Ram Das, is the site of Harmandir Sahib, the holiest gurdwara (Sikh place of worship). Known in English as the Golden Temple, and surrounded by the Pool of Nectar, it's a major pilgrimage site. Also in Amritsar is Durgiana Temple, a Hindu shrine famed for its engraved silver doors.
वैदिक काल में सप्तसिंधू था पंजाब का नाम (ancient Punjab)
अक्सर जब भी पंजाब की बात की जाती है तो वह उस समय की होती है जब इस्लामिक हमलावरों में इस पर आक्रमण किया और धीरे-धीरे इसे इस्लामिक बनाया। इस्लाम के पंजाब की धरती पर पहुंचने से पंजाब में स्वर्ण युग था। इसका नाम सप्तसिंधु था और यहां 7 नदियां बहती थी। इस सप्तसिंधू की सीमाएं काबुलं, कंधार, सिंध से लेकर दिल्ली तक फैली थी। यह वही धरती थी जहां सिंधू घाटी की व राखी घड़ी की सभ्यता पूरे उफान पर थी जब यूरोप व अरब के लोग खानाबदोशों की तरह घूम रहे थे। विश्व की सबसे प्राचीन तकक्षिला युनिवर्सिटी यहीं पर थी।
वेदों की रचना इसी धरा पर हुई और वेदों के श्लोक इसी धरा पर उच्चारित किए गए थे। यहां के पवित्र स्थानों पर पाणिनी ने व्याकरण दुनिया को दी। महर्षि पतंजलि ने यहीं पर योग सूत्र व आयुर्वेद का अनमोल उपहार विश्व को दिया। पूरे सप्तसिंधू की जीडीपी दुनिया में सबसे ज्यादा यानि 16 प्रतिशत थी। कोई भी बेरोजगार नहीं। यह वही धरा थी जहां वेद, उपनिषद, महाभारत व रामायण लिखे गए। इसी धरा पर ही महाभारत का युद्ध हुआ था। उस समय लोगों की भाषा संस्कृत व अन्य क्षेत्रीय भाषाएं थी। 95 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की थी और कुछ आबादी बौद्ध व जैनियों की थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय में वेद, उपनिषद , ज्योतिष, आयुर्वेद आदि की पढ़ाई होती थी। इतनी विशाल युनिवर्सिटी में दुनिया भर से छात्र के लिए आते थे।काश्मीर में मां शारदा विश्वविद्याल पूरी दुनिया में मशहूर था और यहा पूरे विश्व से छात्र पढ़ने के लिए आते थे। वैसे ही जैसे आज भारत के छात्र अमेरिका में पढ़ने के लिए जाते हैं। गुप्त वंश का समय तो गोल्डन पीरियड था। इस दौरान यहां कला, साहित्य, विज्ञान, संगीत आदि हर क्षेत्र में कमाल का विकास हुआ। हिन्दू, बौद्ध व जैन हर धर्म ने हर क्षेत्र में कमाल की प्रगति की। इस्लामिक हमलावरों ने इसे पंजाब का नाम दिया जो पर्शियन शब्द से
बना है।
इस सप्तसिंधू की गाथा तो इतनी है कि कहते कहते आप बूढ़े हो जाएंगे लेकिन आप इसे पूरी नहीं कर पाएंगे।
इस क्षेत्र में लोग संस्कृत, ब्रज,पाली व अन्य लोकल भाषाएं बोलते व लिखते थे। अंक गणित,ज्योतिष, आयुर्वेद, रेखागणित में महान ग्रंथ लिखे जा चुके थे। चरक सहिंता में आयुर्वेद के चमत्कारों का वर्णन है। यह वह समय था जब यूरोप के लोग खाना बदोशों की भांति घूम रहे थे और भारत में विश्वविद्यालय,गुरुकुल चल रहे थे। गगन चुम्बी मंदिरों व भवनों का निर्माण हो चुका था और भारत सोने की चिड़िया कहलाता था।
लोगों का पहरावा- लोगों का पहरावा धोती गमछा, धोती कुर्ता, चोली लहंगा, साड़ी आदि था । सरवार कमीज का चलन मुगलों के आने के बाद पड़ा। महिलाएं हाथी दांत व कांच की चूड़ियां पहनती थी और श्रंगार करती थीं। पुरुष लम्बे बाल व दाड़ी रखते थे।
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