क्या भारत के और टुकड़े होंगे?
क्या भारत के और टुकड़े होंगे?
आज टीवी चैनलों व सोशल मीडिया पर कुछ मुस्लिम नेता भारत में रहते मुस्लमानों के लिए एक और अलग देश की मांग करते कि रहे हैं। वे कह रहे हैं कि 1947 मे भी मुसलमान 17 करोड़ थे और उन्होंने अलग देश पाकिस्तान व बंगलादेश के रूप में बना लिया था। अब दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें भारत में अलग देश बनाने से नहीं रोक सकती। वे यह नहीं कहते कि वे पाकिस्तान या बंगलादेश चले जाएंगे। वे यहीं पर एक और अलग देश बनाने की मांग करेंगे। अब कुछ लिबरल गैंग कहेंगे कि उनकी मांग उचित है हम 20 करोड़ मुसलमानों की आवाज नहीं दबा नहीं सकते यदि वे अलग देश की मांग करते हैं तो यह उनका हक है और इसी मांग को अगले 2019 के चुनाव में मुद्दा भी बनाया जाएगा। अलग देश के नाम पर 95 प्रतिशत मुस्लिम एक जगह वोट देंगे और यह राजनीतिक उठा पटक के लिए काफी है। 1947 में भी लगभग ऐसा ही हुआ था। इस मुद्दे पर अधिक से अधिक मुस्लिम संसद तक कूच करेंगे और किसी भी राजनीतिक पार्टी का भविष्य तय करेंगे। रूस भी इसी कारण टूटा था। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है विश्व में अब भारत ऐसा देश है जिसमें मुस्लिम आबादी दूसरे नम्बर पर है। पाकिस्तान की मांग करने वाले मुस्लिम भी राष्ष्ट्रवादी थे लेकिन जब अलग इस्लामिक देश जब मांग उठती है तो वे सब कुछ एक तरफ छोड़ देते हैं। केरल, बंगलादेश, हैदराबाद, यूपी व दिल्ली में मुसलमानों की जनसंख्या काफी है। अलग देश के नाम पर केरल के वामपंथी मुसलमान,
बंगाल के तृणमूल कांग्रेस व वामपंथी, उत्तर प्रदेश के सैकुलर सपाई व पूरे भारत के सैकुलर कांग्रेसी मुसलमान भी सब विचारधाराएं छोड़कर आगे इस्लामिक देश के लिए आ जाएंगे। वामपंथी हिन्दू, बसपाई, कांग्रेसियों के पास चुप रहने या मूक सहमति देने के सिवा कुछ नहीं रहेगा। क्या वे भीम बंधुओं को इस देश में शामिल करेंगे या फिर यह सिर्फ एक नारा ही रह जाएगा। भविष्य तय करेगा कि अब क्या भारत सरकार के पास कोई और चारा है? हमारे राजनीतिक नेता तो यही कहेंगे कि चलो कोई बात नहीं तुम उस जगह के नेता व हम इस जगह के। क्या फर्क पड़ता है लोग यहां रहे या वहां। जमीन तो वही रहेगी न कम होगी न ज्यादा बस राजनीतिक तौर पर तो सबकुछ होना है। लोग को तो कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसा ही कहा गया था पाकिस्तान के बनने से पहले और दोनों तरफ से लाखों लोगों को मरना पड़ा था और बेघर होना पड़ा था।
आज टीवी चैनलों व सोशल मीडिया पर कुछ मुस्लिम नेता भारत में रहते मुस्लमानों के लिए एक और अलग देश की मांग करते कि रहे हैं। वे कह रहे हैं कि 1947 मे भी मुसलमान 17 करोड़ थे और उन्होंने अलग देश पाकिस्तान व बंगलादेश के रूप में बना लिया था। अब दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें भारत में अलग देश बनाने से नहीं रोक सकती। वे यह नहीं कहते कि वे पाकिस्तान या बंगलादेश चले जाएंगे। वे यहीं पर एक और अलग देश बनाने की मांग करेंगे। अब कुछ लिबरल गैंग कहेंगे कि उनकी मांग उचित है हम 20 करोड़ मुसलमानों की आवाज नहीं दबा नहीं सकते यदि वे अलग देश की मांग करते हैं तो यह उनका हक है और इसी मांग को अगले 2019 के चुनाव में मुद्दा भी बनाया जाएगा। अलग देश के नाम पर 95 प्रतिशत मुस्लिम एक जगह वोट देंगे और यह राजनीतिक उठा पटक के लिए काफी है। 1947 में भी लगभग ऐसा ही हुआ था। इस मुद्दे पर अधिक से अधिक मुस्लिम संसद तक कूच करेंगे और किसी भी राजनीतिक पार्टी का भविष्य तय करेंगे। रूस भी इसी कारण टूटा था। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है विश्व में अब भारत ऐसा देश है जिसमें मुस्लिम आबादी दूसरे नम्बर पर है। पाकिस्तान की मांग करने वाले मुस्लिम भी राष्ष्ट्रवादी थे लेकिन जब अलग इस्लामिक देश जब मांग उठती है तो वे सब कुछ एक तरफ छोड़ देते हैं। केरल, बंगलादेश, हैदराबाद, यूपी व दिल्ली में मुसलमानों की जनसंख्या काफी है। अलग देश के नाम पर केरल के वामपंथी मुसलमान,
बंगाल के तृणमूल कांग्रेस व वामपंथी, उत्तर प्रदेश के सैकुलर सपाई व पूरे भारत के सैकुलर कांग्रेसी मुसलमान भी सब विचारधाराएं छोड़कर आगे इस्लामिक देश के लिए आ जाएंगे। वामपंथी हिन्दू, बसपाई, कांग्रेसियों के पास चुप रहने या मूक सहमति देने के सिवा कुछ नहीं रहेगा। क्या वे भीम बंधुओं को इस देश में शामिल करेंगे या फिर यह सिर्फ एक नारा ही रह जाएगा। भविष्य तय करेगा कि अब क्या भारत सरकार के पास कोई और चारा है? हमारे राजनीतिक नेता तो यही कहेंगे कि चलो कोई बात नहीं तुम उस जगह के नेता व हम इस जगह के। क्या फर्क पड़ता है लोग यहां रहे या वहां। जमीन तो वही रहेगी न कम होगी न ज्यादा बस राजनीतिक तौर पर तो सबकुछ होना है। लोग को तो कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसा ही कहा गया था पाकिस्तान के बनने से पहले और दोनों तरफ से लाखों लोगों को मरना पड़ा था और बेघर होना पड़ा था।
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