जर्मनी सहित अन्य देशों में यहूदियों के नरसंहार के पीछे असली कारण क्या थे?
जर्मनी सहित अन्य देशों में यहूदियों के नरसंहार के पीछे असली कारण क्या थे?
येरूशलम में ईसा के जन्म लगभग हजार वर्ष पहले यहूदियों का धर्म पैदा हो गया था। यहूदी धर्मग्रंथ टोरा को मानते हैं। अरब सहित सारी सत्ता का धु्रवीकरण यहूदियों के हाथों में था। उस समय पूरे यूरोप व अरब में पेगेन धर्म प्रचलित था। लोग कबीलों में रहते थे। इन कबीलों के अपने-अपनेे नियम थे। इन लोगों के अपनी-अपनी आस्थाएं और भगवान थे। यहूदी इनको जेंनटाईल कहते थे। इनमें और यहूदियों में आपसी झड़पें होती रहती थीं। टोरा में कई जगहों पर किल आल द जेनटाईल के आदेशानुसार कई जेनेटाईल कबीलों के लोगों की हत्याएं ककरने का विवरण मिलता है। ईसा मसीह यहूदी परिवार में पैदा हुए थे। उनके क्रूस पर लटकाए जाने के 200 साल ईसाई धर्म का उत्थान हुआ और बाईबल लिखा गया। इसमें टोरा की ही तरह इब्राहिम की व अन्य कहानियां हैं। ईसाइयों की झड़पें यहूदियों से होती थी। मौका मिलते दोनों कम नहीं करते। इन दोनों धर्मों ने मिलकर पेगेन धर्म को मानने वालों का खात्मा करना शुरू कर दिया। इसके बाद इस अभियान में इस्लाम भी शामिल हो गया। पूरे यूरोप में लगभग 500 सालों में पेगेन धर्म को लगभग खत्म कर दिया गया। कई देश पूरे ईसाई व क ई पूरे इस्लामिक हो गए। करोड़ों लोगों की हत्याएं की गईं। तीनों इब्रहामिक धर्मों ने मिलकर बड़े पेगेन हाथी को मार डाला। इस दौरान ये लोग आपस में भी मारकाट करते रहते थे। लेकिन पेगेन धर्म व उसके मानने वालों को खत्म करने के बाद यह आपसी जंग और तेज हो गई।
इस जंग में यहूदियों को अरब छोड़कर भागना पड़ा और यूरोप के देशों में शरण लेनी पड़ी।
जर्मनी में जाकर बसे यहुदियों ने अपनी मेहनत से शीघ्र ही कुछ ही वर्षों में हर क्षेत्र में अच्छी पैठ बनाई। इस दौरान यहूदियों के नरसंहार से लगभग 10 वर्ष पहले जर्मनी में यहूदियों खिलाफ जमकर नफरत फैलाई गई। इसमें मीडिया,चर्च,दक्षिणपंथी आदि ने भी आग लगाई। दुनिया की हर समस्या के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया गया। यह आग ऐसी भड़की की जर्मनीवासी यहूदियों को अपना दुश्मन समझने लगे। यहूदी उनके खिलाफ भड़काई इस नफरत से बिलकुल अंजान थे और उन्हें नहीं पता था कि उन निर्दोश लोगों को कितना
भयानक संताप झेलना पड़ेगा। यह आज उसी तरह है जिस तरह भारत में हिन्दुओं विशेषकर ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत भरा माहौल पिछले 35 वर्षों से चलाया जा रहा है। इसमें वामपंथी, कट्टरपंथी शामिल हैं। हिन्दू इस फैलाई जा रही नफरत से बिलकुल अंजान हैं। यह हिन्दूईज्म नामक हाथी को मार डालने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याएं और उनका निकाला भी ऐसे ही हुआ।
जब हिटलर ने घर-घर से सेना भेजकर यहूदियों का कत्लेआम किया तो पूरे जर्मनी में उनके पक्ष में आकर कोई खड़ा नहीं हुआ। इसके बाद यहूदियों को अक्ल आई कि जब तक वे अपना देश व अपने आप को हथियारों से लैस नहीं करते, लडऩे के लिए स्वयं नहीं खड़े होते तो उनका ऐसा कत्लेआम होता रहेगा। जर्मनी सहित अन्य देशों में यहूदियों के नरसंहार के पीछे असली कारण क्या थे?
येरूशलम में ईसा के जन्म लगभग हजार वर्ष पहले यहूदियों का धर्म पैदा हो गया था। यहूदी धर्मग्रंथ टोरा को मानते हैं। अरब सहित सारी सत्ता का धु्रवीकरण यहूदियों के हाथों में था। उस समय पूरे यूरोप व अरब में पेगेन धर्म प्रचलित था। लोग कबीलों में रहते थे। इन कबीलों के अपने-अपनेे नियम थे। इन लोगों के अपनी-अपनी आस्थाएं और भगवान थे। यहूदी इनको जेंनटाईल कहते थे। इनमें और यहूदियों में आपसी झड़पें होती रहती थीं। टोरा में कई जगहों पर किल आल द जेनटाईल के आदेशानुसार कई जेनेटाईल कबीलों के लोगों की हत्याएं ककरने का विवरण मिलता है। ईसा मसीह यहूदी परिवार में पैदा हुए थे। उनके क्रूस पर लटकाए जाने के 200 साल ईसाई धर्म का उत्थान हुआ और बाईबल लिखा गया। इसमें टोरा की ही तरह इब्राहिम की व अन्य कहानियां हैं। ईसाइयों की झड़पें यहूदियों से होती थी। मौका मिलते दोनों कम नहीं करते। इन दोनों धर्मों ने मिलकर पेगेन धर्म को मानने वालों का खात्मा करना शुरू कर दिया। इसके बाद इस अभियान में इस्लाम भी शामिल हो गया। पूरे यूरोप में लगभग 500 सालों में पेगेन धर्म को लगभग खत्म कर दिया गया। कई देश पूरे ईसाई व क ई पूरे इस्लामिक हो गए। करोड़ों लोगों की हत्याएं की गईं। तीनों इब्रहामिक धर्मों ने मिलकर बड़े पेगेन हाथी को मार डाला। इस दौरान ये लोग आपस में भी मारकाट करते रहते थे। लेकिन पेगेन धर्म व उसके मानने वालों को खत्म करने के बाद यह आपसी जंग और तेज हो गई।
इस जंग में यहूदियों को अरब छोड़कर भागना पड़ा और यूरोप के देशों में शरण लेनी पड़ी।
जर्मनी में जाकर बसे यहुदियों ने अपनी मेहनत से शीघ्र ही कुछ ही वर्षों में हर क्षेत्र में अच्छी पैठ बनाई। इस दौरान यहूदियों के नरसंहार से लगभग 10 वर्ष पहले जर्मनी में यहूदियों खिलाफ जमकर नफरत फैलाई गई। इसमें मीडिया,चर्च,दक्षिणपंथी आदि ने भी आग लगाई। दुनिया की हर समस्या के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया गया। यह आग ऐसी भड़की की जर्मनीवासी यहूदियों को अपना दुश्मन समझने लगे।
यहूदी उनके खिलाफ भड़काई इस नफरत से बिलकुल अंजान थे और उन्हें नहीं पता था कि उन निर्दोश लोगों को कितना भयानक संताप झेलना पड़ेगा। यह आज उसी तरह है जिस तरह भारत में हिन्दुओं विशेषकर ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत भरा माहौल पिछले 35 वर्षों से चलाया जा रहा है। इसमें वामपंथी, कट्टरपंथी शामिल हैं। हिन्दू इस फैलाई जा रही नफरत से बिलकुल अंजान हैं। यह हिन्दूईज्म नामक हाथी को मार डालने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याएं और उनका निकाला भी ऐसे ही हुआ।
जब हिटलर ने घर-घर से सेना भेजकर यहूदियों का कत्लेआम किया तो पूरे जर्मनी में उनके पक्ष में आकर कोई खड़ा नहीं हुआ। इसके बाद यहूदियों को अक्ल आई कि जब तक वे अपना देश व अपने आप को हथियारों से लैस नहीं करते, लडऩे के लिए स्वयं नहीं खड़े होते तो उनका ऐसा कत्लेआम होता रहेगा।
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