समझदार मूर्ख राजा, मूर्ख समझदार प्रजा व तख्तापलट


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समझदार मूर्ख राजा, मूर्ख समझदार प्रजा व तख्तापलट
एक देश में एक राजा राज करता था। वह पढ़ा-लिखा, दयालु व बहुत ही समझदार था। जनता भी जैसा वह कहता वैसा करती थी। एक दिन
उसने जनता को कहा कि उसके देश की जनसंख्या बहुत बढ़ गई है और अन्न व रोजगार लोगों को नहीं मिल पा रहा इसलिए जिनके ज्यादा बच्चे हैं वे उन्हें देश से बाहर कर दें या जहर देकर मार दें। यदि वे ऐसा नहीं कर सकते तो उसे अपने बच्चे दे दें वह उन्हें कारागार में डाल देगा।
इससे कुछ बीमारी से मर जाएंगे और कुछ भूख से। कुछ जो बच जाएंगे उन्हें दूसरे देश से लड़ाने के लिए सैनिक बना देंगे। जनता ने वैसा ही किया किया जैसा राजा ने बताया था। कुछ लोग चालाक थे उन्होंने ऐसा नहीं किया किसी भी तरह अपने बच्चों को छिपा लिया, कुछ को विदेश भेज दिया और राजा के अधिकारियों को पैसा देकर उन्हें पटा लिया। कुछ सालों के बाद राजा के देश में जनसंख्या कम हो गई।
राजा बहुत खुश हुआ कि अब सब को काम मिलेगा और अन्न मिलेगा। इसने देश में रोजगार पैदा किए, अन्न से लोगों का पेट भरने लगा। छोटी-छोटी झोंपडिय़ों में रहने वाले लोग बड़े मकानों में रहने लगे। खूब धन आने लगा। पड़ोसी देश का राजा यह सब देखरहा था। उसके यहां भुखमरी, गरीबी थी और जनसंख्या भी बहुत थी। उसने सारे लोगों के हाथों में हथियार देकर उन्हें इस अमीर देश को लूटने का प्लान बनाया और हमला कर दिया। राजा अपने खुशहाल देश को देखकर खुश था और प्रजा अपनी खुशहाली को लेकर खुश थी। लेकिन वह इस बात से पूरी तरह अंजान थी कि आगे क्या होने वाला है। लुटेरे देश ने हमला किया और उस देश के राजा को हरा दिया। विदेशी राजा के साथ वही बच्चे जो बड़े हो गए थे। इन हमलावरों ने देश पर कब्जा कर लिया। वहां के लोगों का बड़े स्तर पर नरसंहार किया और मार मुकाया। वही लोग अब जो अमीर थे आज गुलाम थे।
यह किसी एक राजा की कहानी नहीं, ऐसे सैंकड़ों राजा हमारे इतिहास में हुए और प्रजा भी। इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है,यह मैं पाठकों
पर ही छोड़ता हूं।

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