महाभारत में महाराज पांडू ने किया ऐसा न्याय, इसकी नहीं मिलती मिसाल
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महाभारत में महाराज पांडू ने किया ऐसा न्याय, इसकी नहीं मिलती मिसाल
महाभारत के आदिपर्व के अनुसार एक दिन राजा पांडु शिकार खेलने के लिए वन को निकलते हैं। जंगल में दूर से देखने पर उनको एक हिरण दिखाई देता है। वे उसे एक तीर से मार देते हैं। वह हिरण एक ऋषि निकलते हैं तो अपनी पत्नी के साथ प्रेम कर रहे थे। वे ऋषि मरते वक्त पांडु को शाप देते हैं कि तुम भी मेरी तरह मरोगे, जब तुम मैथुनरत रहोगे। इस हत्या से महाराज को बहुत ही दुख होता है। वह ग्लानि से भर जाते हैं। उनसे बहुत बड़ा अपराध हुआ है।
अब एक दूसरे दृष्टिकोण से इस घटना को देखते हैं। इस व्यक्ति से हत्या होती है। उसका चश्मदीद गवाह भी वही है। दूसरा कोई नहीं जानता कि किसने हत्या की।
बड़ी आसानी से प्रमाण इत्यादि नष्ट किए जा सकते थे। राजा पांडू को किसने कुछ कहना था। यदि पता भी चल जाता तो कह सकते थे कि मरने वालों ने उनपर हमला करने की कोशिश की थी, इसलिए मार दिया। ये केस ऐसा भी कह सकते हैं कि एक वाहन चालक ने तेज गति वाहन चलाते या गलती से एक राहगिर को टक्कर मार दी और भाग गया। आज 99 प्रतिशत केस ऐसे ही होते हैं। आरोपी टक्कर मारने के बाद भाग जाता है और घायल को पुलिस के चक्कर में उलझने के कारण कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं उठाता।
महाराज ऐसा नहीं करते वापस आने पर वे विदुर जी व भीष्मपितामह को सारी बात बताते हैं। दोनों उन्हें समझाते हैं कि यह मात्र दुर्घटना थी, राजन इसमें आपका कोई कसूर नहीं। आप अपराधी नहीं हैं। यह जानबूझ कर की गई हत्या नहीं , इसलिए आप शोक न करें। आप राजा हैं
राजधर्म का पालन करें। महाराज पांडू कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो मेरे से अपराध हुआ है। मैं इसका प्राश्चित करूंगा। सबकुछ छोड़ कर वन में जाऊंगा। इस प्रकार महाराज अपना सारा राज्य धृतराष्ट्र को सौंप कर अपनी दोनों पत्नियों रानी कुंती व माद्री के साथ वन को चले जाते हैं। यह था राजा पांडू का न्याय,है कोई ऐसी मिसाल कि राजा ने गलती से हुए अपराध के लिए
स्वयं को दंडित किया हो। इतिहास में शायद ही ऐसी कोई मिसाल हो। वर्तमान में राजनितिज्ञ बड़े
बड़े अपराद करते मौज की ङ्क्षजदगी जीते हैं। उनके अपराध की सजा किसी और को दे दी जाती है। अमीर और धनवान लोग गरीबों को सड़क पर अपनी गाडिय़ों के नीचे कुचल कर मार देते
हैं और न्यायपालिका उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। प्रापर्टी के हक के लिए भाई-भाई का कत्ल कर देता है। महाराज पांडू जैसा न्याय शायद ही कोई कर सके।
महाभारत में महाराज पांडू ने किया ऐसा न्याय, इसकी नहीं मिलती मिसाल
महाभारत के आदिपर्व के अनुसार एक दिन राजा पांडु शिकार खेलने के लिए वन को निकलते हैं। जंगल में दूर से देखने पर उनको एक हिरण दिखाई देता है। वे उसे एक तीर से मार देते हैं। वह हिरण एक ऋषि निकलते हैं तो अपनी पत्नी के साथ प्रेम कर रहे थे। वे ऋषि मरते वक्त पांडु को शाप देते हैं कि तुम भी मेरी तरह मरोगे, जब तुम मैथुनरत रहोगे। इस हत्या से महाराज को बहुत ही दुख होता है। वह ग्लानि से भर जाते हैं। उनसे बहुत बड़ा अपराध हुआ है।
अब एक दूसरे दृष्टिकोण से इस घटना को देखते हैं। इस व्यक्ति से हत्या होती है। उसका चश्मदीद गवाह भी वही है। दूसरा कोई नहीं जानता कि किसने हत्या की।
बड़ी आसानी से प्रमाण इत्यादि नष्ट किए जा सकते थे। राजा पांडू को किसने कुछ कहना था। यदि पता भी चल जाता तो कह सकते थे कि मरने वालों ने उनपर हमला करने की कोशिश की थी, इसलिए मार दिया। ये केस ऐसा भी कह सकते हैं कि एक वाहन चालक ने तेज गति वाहन चलाते या गलती से एक राहगिर को टक्कर मार दी और भाग गया। आज 99 प्रतिशत केस ऐसे ही होते हैं। आरोपी टक्कर मारने के बाद भाग जाता है और घायल को पुलिस के चक्कर में उलझने के कारण कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं उठाता।
महाराज ऐसा नहीं करते वापस आने पर वे विदुर जी व भीष्मपितामह को सारी बात बताते हैं। दोनों उन्हें समझाते हैं कि यह मात्र दुर्घटना थी, राजन इसमें आपका कोई कसूर नहीं। आप अपराधी नहीं हैं। यह जानबूझ कर की गई हत्या नहीं , इसलिए आप शोक न करें। आप राजा हैं
राजधर्म का पालन करें। महाराज पांडू कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो मेरे से अपराध हुआ है। मैं इसका प्राश्चित करूंगा। सबकुछ छोड़ कर वन में जाऊंगा। इस प्रकार महाराज अपना सारा राज्य धृतराष्ट्र को सौंप कर अपनी दोनों पत्नियों रानी कुंती व माद्री के साथ वन को चले जाते हैं। यह था राजा पांडू का न्याय,है कोई ऐसी मिसाल कि राजा ने गलती से हुए अपराध के लिए
स्वयं को दंडित किया हो। इतिहास में शायद ही ऐसी कोई मिसाल हो। वर्तमान में राजनितिज्ञ बड़े
बड़े अपराद करते मौज की ङ्क्षजदगी जीते हैं। उनके अपराध की सजा किसी और को दे दी जाती है। अमीर और धनवान लोग गरीबों को सड़क पर अपनी गाडिय़ों के नीचे कुचल कर मार देते
हैं और न्यायपालिका उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। प्रापर्टी के हक के लिए भाई-भाई का कत्ल कर देता है। महाराज पांडू जैसा न्याय शायद ही कोई कर सके।
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