भारत विखंडन, नक्सलवाद, अलगाववाद व नफरत की विचारधाओं कहां से पैदा होती हैं
भारत विखंडन, नक्सलवाद, अलगाववाद व नफरत की विचारधाओं कहां से पैदा होती हैं
भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था ऐसी बन चुकी है कि यह अब छोटे-छोटो टुकड़ों में बंटती जा रही है। यह भारत को भीतर से विखंडित कर रही है। कुछ बाहरी शक्तियां भी इसमें शामिल हैं। सुधारवाद, समाजवाद, समानता व अधिकार के भेष में भी भारत विखंडित शक्तियां काम कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर जिन क्षेत्रों में दलितों की संख्या अधिक है वहां से उठे उम्मीदवार उस वर्ग को उच्च वर्ग के खिलाफ भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ता अपने वोट पक्के करने के लिए वह नफरत का जमकर सहारा लेता है। उनको आश्वासन देता है कि आप मुझे जिताओ मैं आपको न्याय दिलाऊंगा। इसी प्रकार जिन क्षेत्रों में जिस वर्ग की जनसंख्या अधिक है वहां ऐसा फंडा अपनाया जाता है।
औवैसी हैदराबाद में अपने वोटरों के बीच कुछ और होते हैं और दिल्ली में आकर उनका मिजाज कुछ और होता है। विरोधियों की पार्टियों में दावतों का आनंद उठाते हैं वहां वह ऐसा भाषण नहीं देते क्योंकि सुनने वाला कोई नहीं होता।
यह तो है विखंडित भारत की एक दो उदाहरणे। लेकिन बड़े स्तर पर भी भारत विखंडित विचारधाराएं हैं जो विदेशों से संचालित होती हैं। उनके लिए विशेषतौर पर इंटैलिजैंट प्रोफैसरों, भाषा पर पकड़ रखने वालों को मोटे वेतन देकर हायर किया जाता है। ये काम केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में चलाया जाता है। देशों को भीतर से तोडऩे के लिए ऐसी गतिविधियों का संचालन ट्रेंड लोगो की तरफ से किया जाता है।
उदाहरण के लिए कोई राष्ट्रवादी भारत का पक्षधर यदि अमेरिका की फोर्ड कम्पनी जो ऐसे लेखकों को फंड मुहैया करवाती है और स्कालरशिप देती है के पास जाकर फंड की मांग करता है तो उसे लौटा दिया जाता है। ये कम्पनी भारत को तोडऩे वाली विचारधाराओं को फंड देती है और उनको प्रोत्साहित करती है। ये कम्पनी कई देशों में मूल निवासी विचारधारा को हथियार बनाकर नफरत फैलाने वाला काम करती है। इसके लिए वकायदा मनघड़ंत इतिहास तैयार किया जाता है और सैंकड़ों नए प्रौफैसरों की टीम तैयार की जाती है। फिर इन मिशनरी विचारधाराओं का प्रचार करने के लिए क्षेत्र टार्गेट किया जाता है। इस प्रकार हर देश में काम चलता रहता है। ऐसा करने के लिए क्षेत्रिय पार्टियों को भी धन दिया जाता है। मकसद सिर्फ एक ही होता है देश के लोगों को तोडऩा।
आपने देखा होगा कि कुछ तथाकथित अवार्डों से सम्मानित लोग जब उन्हें भारत से बाहर बुलाया जाता है तो वे सिर्फ भारत के खिलाफ ही जहर उगलते हैं क्योंकि इसके लिए उन्हें वेतन मिलता है और उन्हें इस काम में ट्रेंड किया गया होता है। आपने बहुत कम देखा होगा कि इन चैनलों पर किसी राष्ट्रवादी का इंटरव्यू हुआ हो। इसी प्रकार अलगाववाद, नक्सलवाद आदि विखंडित विचारधाराएं बड़ी चालाकी सेभोले-भाले लोगों के दिमागों में प्रोग्राम्ड कर दी जाती हैं। उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे बे्रनवाश कर दिए गए हैं।
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