कासगंज घटना के बाद चौकन्ना रहने की जरूरत
कासगंज घटना के बाद चौकन्ना रहने की जरूरत
कांसगंज की घटना ने देश के राष्ट्रवादियों को झकजोर कर रख दिया है। इस हमले में 2 निर्दोश युवकों के शहीद होने से लोग सन्न रह गए।
बिकाऊ मीडिया ने भी इस घटना को बेचने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। हर चैनल में यह हैडलाइन थी कि 2 पक्षों में हुई पत्थरबाजी व झड़प। क्या तिरंगा यात्रा निकालने वालों ने वहां रह रहे या निकल रहे लोगों पर हमला किया था? नहीं ऐसा नहीं हुआ वहां उनपर गोलियां चलाई गईं व पत्थरबाजी की गई। ये घटना उसी तरह की है जिस तरह कश्मीर में भटके नौजवान सुनियोजित तरीके से सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करते हैं। लेकिन यात्रा निकालने वालों को जरा सी भी भनक नहीं थी कि उनके साथ अगले मोड़ पर क्या होने वाला है। यदि उन्हें पता होता तो वे उस क्षेत्र में जाते ही क्यों? उन्हें तो यह था कि लोग उन पर फूलों की बारिश करेंगे। पत्थरबाजों व गोलियां चलाने वालों से पहले वहां हमले का सामान जमा हो चुका था। अब जो होना था वह हो गया जो मारे गए वे बच्चे वापस नहीं आ सकेंगे। नेता लोग अपनी रोटियां सेंक कर चले जाएंगे। आरोपियों पर सालों केस चलेगा। इस दौरान गवाह मुकर जाएंगे आरोपी बरी हो जाएंगे और लोग इस घटना को
भूल जाएंंगे। फेस बुक पर एक मोह्म्म्मद नामका व्यक्ति कहता है कि अगर मस्जिद के सामने से तिरंगा यात्रा आदि निकालोगे तो गोली खाओगे। अब आगे से सावधानियां बरतनी होंगी। आप जबरन किसी को राष्ट्रभक्त नहीं बना सकते। अब एक बात आपको समझनी होगी कि देश के कुछ क्षेत्रों में आप मंदिर की घंटी नहीं बजा सकते, अपने घर के बाहर अपने ईष्ट देवों के चित्र या प्रतिमा नहीं निकाल सकते, आप अपनी धार्मिक
यात्राएं नहीं गुजार सकते न ही आप अपने धर्म का प्रचार कर सकते हैं। जहां आप अल्पसंख्यक हो चुके हैं वहां आपकी मदद के लिए कोई नहीं
आएगा।
सबसे पहले आप मुस्लिम बहुल क्षेत्र में ऐसी यात्राएं निकालने से गुरेज करो, यदि निकालनी है तो पुलिस व वहां के मुसलमानों को भी निमंत्रण दो यदि वे आपत्ति करते हैं तो ऐसा न किया जाए। पुलिस से इजाजत लो और सुरक्षा के प्रबंध करवाओ। जहां हिन्दू या राष्ट्रभक्त ज्यादा हैं वहां से मुसलमानों को भी अपनी ऐसी कोई यात्रा न निकालने दो। फिर आप सड़कों पर निकले हैं तो पूरी तैयारी के साथ निकलो कि कोई हमला न कर सके। हर समय पीडि़त होने का रोना रोने से नहीं चलेगा। ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिएं जहां मासूम लोगों की जान चली जाए।
सरकार मौत की कीमत अदा करके अपना पीछा छुड़वा लेती है,मीडिया वाले उस मौत का तमाशा करके टीआरपी,पैसा बना लेते हैं,नेता लोग नकली सांत्वनाए देकर अपनी नेतागिरी चमका लेते हैं,पर इन सबके बीच उस परिवार का दर्द कोई नहीं समझ सकता जिसने अपना सदस्य खोया है
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