द्रोपदी को पंचाली व गांधारी क्यों कहा जाता है?
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द्रोपदी को पंचाली व गांधारी क्यों कहा जाता है?
महाभारत की महान नारी शक्ति द्रोपदी पांचाल नरेश की पुत्री थी। पांचाल उस समय पंजाब को कहा जाता था। पंजाब में आज का अफगानिस्तान,सिंध व पाकिस्तान शामिल था। महाभारत में
द्रोपदी को गांधारी नाम से भी सम्बोधित किया जाता था। गंधार आज का कंधार क्षेत्र है जोकि
अफगानिस्तान में है। महाभारत में द्रोपदी का पांचाली व गांधारी नाम से सम्बोधित किया जाता
था। द्रोपदी जब दुर्योधन पर हंस देती है और उसे अंधे का पुत्र अंधा कहती है तो दुर्योधन इससे
अपमानित होता है और द्रोपदी से इस अपमान का बदला लेने की सोचता है। इस प्रकार महाभारत नींव पड़ती है। जब द्रोपदी का चीर हरण होता है तो उस समय द्रोपदी भी इस अपमान
का बदला लेने का प्रण करती है। कहती है कि जब तक दुशासन का रक्त उसके बालों में न
लगेगा तब तक वह अपने बाल नहीं बांधेगी। नारी का अपमान करने की सजा सभी को भुगतनी
पड़ती है। पांचाली का प्रण पूरा भी होता है। महाभारत में पांचाली एक महान नारी है। वह अपने
पतियों का साथ विषम परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ती। भगवान कृष्ण उसे सखी कह कर सम्बोधित करते हैं और उसकी हर समय मदद करते हैं। चाव के एक दाने से ही खुश हो जाते हैं।
द्रोपदी को पंचाली व गांधारी क्यों कहा जाता है?
महाभारत की महान नारी शक्ति द्रोपदी पांचाल नरेश की पुत्री थी। पांचाल उस समय पंजाब को कहा जाता था। पंजाब में आज का अफगानिस्तान,सिंध व पाकिस्तान शामिल था। महाभारत में
द्रोपदी को गांधारी नाम से भी सम्बोधित किया जाता था। गंधार आज का कंधार क्षेत्र है जोकि
अफगानिस्तान में है। महाभारत में द्रोपदी का पांचाली व गांधारी नाम से सम्बोधित किया जाता
था। द्रोपदी जब दुर्योधन पर हंस देती है और उसे अंधे का पुत्र अंधा कहती है तो दुर्योधन इससे
अपमानित होता है और द्रोपदी से इस अपमान का बदला लेने की सोचता है। इस प्रकार महाभारत नींव पड़ती है। जब द्रोपदी का चीर हरण होता है तो उस समय द्रोपदी भी इस अपमान
का बदला लेने का प्रण करती है। कहती है कि जब तक दुशासन का रक्त उसके बालों में न
लगेगा तब तक वह अपने बाल नहीं बांधेगी। नारी का अपमान करने की सजा सभी को भुगतनी
पड़ती है। पांचाली का प्रण पूरा भी होता है। महाभारत में पांचाली एक महान नारी है। वह अपने
पतियों का साथ विषम परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ती। भगवान कृष्ण उसे सखी कह कर सम्बोधित करते हैं और उसकी हर समय मदद करते हैं। चाव के एक दाने से ही खुश हो जाते हैं।
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