भगवान कृष्ण व अर्जुन का संवाद-एक दृष्टिकोण
भगवान कृष्ण व अर्जुन का संवाद-एक दृष्टिकोण
यूद्ध करने सेेे मुख मोड़ चुके अर्जुन का अपने गुरु भगवान कृष्ण से संवाद होता है। भगवान
कहते हैं और अर्जुन प्रश्न करता करता है। भगवान उसका उत्तर देते हैं। अर्जुन संतुष्ट नहीं होता तो भगवान व्याख्या करते हैं। इस प्रकार गुरु-शिष्य का संवाद तब तक जारी रहता है जब तक अर्जुन के सारे संशय दूर नहीं हो जाते। वर्तमान में हर किसी को अपने गुरु से ऐसे ही संवाद करना करना होगा। अपने संशय दूर करने होंगे। तभी इस कलियुग रूपी कुरु क्षेत्र में अधॢमयों का
विनाश करना होगा। हर किसी को अर्जुन की तरह तैयारी करनी होगी। बौद्धिक क्षत्रिय भी बनना होगा। अपने विरोधियों को परास्त करना होगा। आज अधर्मी कंचन इलाहा, वैंगी डोनियर जैसे हजारों पेड लेखक भारतीय धाॢमक परम्पराओं की खिल्ली उड़ाते हैं। ये अपनी पुस्तक मैं हिन्दू क्यों नहीं हूं, में धर्म के बारे अभद्र टिप्पणियां करते हैं और इनको पैसा देने वालों में बड़े अमीर घराने भी हैं। आज ऐसे लाखों अर्जुनों की जरूरत है जो ऐसे विधॢमयों को उचित जवाब दे
सकें।
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