कृष्ण हमारे भगवान क्यों हैं

कृष्ण हमारे भगवान क्यों हैं
जब कर्ण अपनी व्यथा सुनाकर चुप हो जाता है तो भगवान कहते हैं-हे कर्ण तुमने अपनी व्यथा तो मुझे सुना दी क्या मेरे जीवन पर भी कभी नजर डाली? जब मैं इस धरा पर आया तो मैं बिना किसी अपराध के कारागृह में था। मेरे से पहले मेरे भाई-बहनों को पहली सांस लेते ही दीवार से पटक कर मारा डाला गया। मेरे सिर पर मौत मंडरा रही थी। मूसलाधार बारिश में मेरे को बचाने के प्रयास किए गए। लेकिन जहां मैं पल रहा था वहां भी मेरी हत्या करने की कोशिश की गई। क्या मैंने कोई अपराध किया था?  मुझे जिंदा रहने के लिए अपने मामा कंस को मारना पड़ा। इस प्रकार क्या किसी का जीवन होता है? मेरे जीवन में कष्ट और कांटों के सिवा क्या। मुझे अपनी प्रजा को साथ लेकर समुद्र में बसना पड़ा। मुझे आम व्यक्ति की तरह भी व्यवहार करना पड़ा। लेकिन क्याकोई आम व्यक्ति मेरी तरह जीवन जी सकता है? अब रणभूमि में कठोर मन से उतरूंगा और अपने प्रियजनों की हत्या होते देखुंगा। मुझे धर्म का साथ देना है। मैं भी इस युद्ध का निर्णय त्याग सकता हूं। धर्म को पराजित होता देख सकता हूं। पर मैं ऐसा न करूंगा मैं धर्म के साथ खड़ा रहूंगा अंत तक। अब आम इंसान सोचता है कि कृष्ण तो आम व्यक्ति थे या फिर वो महापुरूष थे। भगवान तो 16 कलाओं से पूर्ण थे। वे यदि आम व्यक्ति की तरह कभी व्यवहार करते तो वे अपनी इच्छा अनुसार करते थे। वे ईश्वर का पूर्ण रुप हैं। वे हमारे बीच आए धर्म की रक्षा के लिए। धर्म और अधर्म का युद्ध कभी भी रुका नहीं हमेशा चलता रहा है। पात्र केवल बदलते रहे हैं। भगवान अपने ही रूपों का अर्जुन आदि में विस्तार करते रहते हैं। भगवान एक युग में जो नियम बनाते वे स्वयं अगले युग में भंग भी कर देते हैं। एक आम इंसान भगवान ने जो कौतुक दिखए उसके www.bhrigupandit.comएक तिनका मात्र भी पास नहीं फटकता। वे कार्य सिर्फ भगवान स्वयं ही कर सकते थे।

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